जिस प्रकार भारत और चीन एक दूसरे से दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब होने का खिताब जीतने के लिए जद्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं, ठीक वैसे ही जैक मा और मुकेश अंबानी भी एक दूसरे से एशिया का सबसे अमीर व्यक्ति होने का खिताब जीतने की होड़ में लगे हैं, और इस लड़ाई में मुकेश अंबानी बाजी जीतते नज़र आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों में मुकेश अंबानी की अध्यक्षता वाली रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटिड (RIL) ने बड़ी तेजी से पेट्रोकेमिकल बिजनेस से हटकर कंज़्यूमर बिजनेस के क्षेत्र में विकास किया है। आसान भाषा में कहें तो रिलायंस इंडस्ट्री ने जिस प्रकार जियो डिजिटल क्षेत्र में आपार सफलता हासिल की है, उसी का नतीजा है कि अब भी मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं। अगर आज उनका सारा बिजनेस सिर्फ पेट्रोकेमिकल तक ही सीमित होता, तो वे अपने भाई की तरह ही बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुके होते।
हाल ही में पक्की हुई जियो-फेसबुक डील ने मुकेश अंबानी को और भी ज़्यादा फायदा पहुंचाया है। फेसबुक के साथ हुई डील के बाद अंबानी की संपत्ति 4 अरब डॉलर बढ़कर 49.5 अरब डॉलर (लगभग 3.77 लाख करोड़ रुपए) हो गई है। बता दें कि फेसबुक मुकेश अंबानी की जियो में 43,574 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। इस निवेश के बाद जियो में फेसबुक की हिस्सेदारी 9.99% हो जाएगी।
फेसबुक के साथ डील की खबरों के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में बुधवार को शानदार उछाल देखने को मिला। एक समय तो 11 फीसदी ऊपर 1375 रुपए पर कारोबार कर रहा था। कारोबार बंद होते समय आरआईएल का शेयर 9.83 फीसदी ऊपर 1359 रुपए पर जाकर बंद हुए। सिर्फ बुधवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में 90,000 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ था।
अब सोचिए अगर RIL का सारा व्यापार सिर्फ पेट्रोकेमिकल तक ही सीमित रहता तो क्या इतना बड़ा प्रॉफ़िट देखने को मिल सकता था? उत्तर है नहीं! आज तेल के दाम गिरने से दुनियाभर की तेल कंपनियाँ नुकसान में हैं। RIL का पेट्रोकेमिकल बिजनेस भी RIL को हमेशा के लिए डूबा सकता था, लेकिन जियो ने उसे बचाकर रखा और अब जियो और फेसबुक की डील ने RIL को एक बड़ा बूस्ट दे दिया है।
भविष्य में भी मुकेश अंबानी पेट्रो केमिकल बिजनेस से हटकर कंज़्यूमर बिजनेस पर ही ध्यान देना चाहते हैं। पहले कभी RIL का टोटल प्रॉफ़िट सिर्फ पेट्रो बिजनेस पर ही आधारित होता था, लेकिन अब कंपनी के Ebitda यानि tax, depreciation और amortization के खर्च से पहले की कमाई में कंज़्यूमर बिजनेस की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक पहुंच गयी है।
जियो-फेसबुक डील से कंपनी को अपना सारा कर्ज़ खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद हासिल होगी। इससे कंपनी में निवेशकों का विश्वास और बढ़ा है। मुकेश अंबानी रिलायंस जियो के तहत सारा डिजिटल व्यापार एक अलग एंटीटी के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं और जियो-फेसबुक डील की वजह से निवेशक इस एंटीटी में निवेश करने के इच्छुक होंगे।
रिलायंस कंपनी की इस सफलता के पीछे मुकेश अंबानी का कुशल नेतृत्व माना जाता है। वे हर बड़े प्रोजेक्ट में खुद दिलचस्पी लेकर अपनी रणनीति को अंजाम देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया। वे आमतौर पर मीडिया से कम बातचीत करते हैं और बाज़ार में अपनी मोनोपोली स्थापित करने में विश्वास रखते हैं। अब वे डिजिटल क्षेत्र में भी अपनी कंपनी की मोनोपली स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं।