‘चीनियों ने वायरस फैलाया, इन पर तगड़ी जांच हो’, अब Australia में चीन का जबरदस्त विरोध

ऑस्ट्रेलिया चीन का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर रहा है

जैसे-जैसे वुहान वायरस के लिए चीन के विरोध में स्वर उठने लगे हैं, वैसे-वैसे रोज नए नए देश चीन के खिलाफ विरोध में सामने आ रहे हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि, जनता में चीन विरोधी भावना की बढ़ोतरी हो रही है। ऑस्ट्रेलिया में चीन विरोधी भावना इतनी बढ़ गयी है कि इस देश के विदेश मंत्री यहाँ तक कह चुके हैं कि वुहान वायरस की उत्पति के लिए स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। 

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री Marise Payne ने चीन के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें COVID-19 की “उत्पत्ति” और वुहान में प्रकोप से निपटने के तरीकों की जांच हो सके। 

ABC टेलीविजन से बातचीत में ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री Marise Payne ने कहा है कि कोरोना वायरस के संदर्भ में चीन की पारदर्शिता को लेकर उनकी चिंता बहुत महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलिया वैश्विक महामारी को लेकर जांच चाहता है जिसमें वुहान में कोरोना के पहले मामले आने के बाद चीन के एक्शन की भी जांच होनी चाहिए। 

बता दें कि वुहान में कोरोना वायरस की उत्पति को लेकर पूरी दुनिया में सवाल खड़े किए जा चुके हैं। विश्व के प्रमुख देश अब इस बात को मानने लगे हैं कि वायरस की उत्पत्ति वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) में हुई थी, जो कि एशिया का सबसे बड़ा वायरस बैंक है जहां पर 1,500 से अधिक स्ट्रेंस का संरक्षण किया जाता है। 

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री द्वारा इस महामारी की “उत्पत्ति” के स्वतंत्र जांच के लिए कहना ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के समान ही है जो यह दर्शाता है कि ऑस्ट्रेलिया में चीन विरोधी भावना अब मजबूत हो चुकी है।

यहाँ पर यह समझने वाली बात है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए यह एक बहुत ही साहसिक कदम है, क्योंकि चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जो कि उसकी अर्थव्यवस्था में 194.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का आयात और निर्यात करता है।

वहीं चीन ने भी ऑस्ट्रेलिया में काफी निवेश कर रखा है लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया को भी चीन के इन निवेशों पर शक होने लगा है कि चीन जरूर कोई खेल खेल रहा है। इसी के मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया ने अपने इनवेस्टमेंट के नियम कड़े किए थे जैसा यूरोप के कुछ देश और भारत भी कर चुका है। 

वहीं ऑस्ट्रेलिया की नौसेना भी चीन के दक्षिण-चीन सागर में बढ़ते कदम पर नजर बनाए हुए है और USA के साथ मिल कर उसका सामना करने की योजना बना रही है। मजबूत व्यापारिक संबंध होने के बावजूद कुछ ही दिनों पहले ऑस्ट्रेलिया की नेवी का एक पोत अमेरिका के युद्ध पोत के साथ देखा गया था। ऐसा लगता है कि चीन की आंखो के सामने ऑस्ट्रेलिया उसे चुनौती दे रहा है। 

चीन के विरोध में इस प्रकार की लहर चीन की किसी एक हरकत की वजह से नहीं आया है। बीजिंग ने कोरोना वायरस के शुरू होने से पहले ऑस्ट्रेलिया के बाज़ारों से मास्क गायब करवा दिया था। यह रिपोर्ट आई थी कि चीनी सरकार समर्थित एक दिग्गज कंपनी ने गुपचुप तरीके से ऑस्ट्रेलिया में मास्क, हैंड सैनिटाइटर, वाइप्स और आवश्यक चिकित्सा के सामान थोक भाव में खरीदा और उन्हें चीन भेज दिया।

द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार द ग्रीनलैंड ग्रुप, नाम की कंपनी के कारण अब ऑस्ट्रेलिया के मार्केट से एंटी-कोरोनावायरस उपकरण गायब हो चुके थे। ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में जहां भी द ग्रीनलैंड ग्रुप हैं वहाँ से 3 मिलियन सर्जिकल मास्क, 500,000 जोड़े दस्ताने और भारी मात्रा में सैनिटाइज़र और वाइप्स की ख़रीदारी हुई थी। जब तक ऑस्ट्रेलिया की सरकार जागती, जरूरी चीजों की कमी व्याप्त हो चुकी थी।

इस वजह से भी ऑस्ट्रेलिया में चीन के विरोध में आवाज जोर पकड़ने लगी है। बीजिंग का इस देश में निवेश के साथ-साथ प्रभाव में भी कमी आई है, लेकिन कोरोनोवायरस महामारी और फिर उसका कवर-अप के अलावा, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में उत्पन्न होने वाले वायरस के संदेह ने  ऑस्ट्रेलिया में काफी चीजों को बदल दिया है।

ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध में तेजी से शत्रुता अपनी जगह बना रही है। अब देखना यह है कि ऑस्ट्रेलिया की ये नाराजगी चीन को कितनी भारी पड़ती है। 

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