“चीन के वेट मार्केट्स को तुरंत बंद करो, ये मानवता के लिए खतरा हैं”, ये बात तो हम तो शुरू से ही कहते आ रहे हैं, अब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी इसी बात को दोहराया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा “WHO को तुरंत चीन से इन वेट मार्केट्स को बंद करने के लिए कहना चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य की दृष्टि से ये सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरा हैं”। माना जाता है कि कोरोना वायरस की शुरुआत यहीं किसी वेट मार्केट से हुई होगी, जहां कोई बीमारी पशुओं से मनुष्यों में प्रवेश हुई होगी। इन वेट मार्केट्स में पशुओं को ज़िंदा काटा जाता है, जिनके खून से इन मार्केट्स का फर्श हमेशा गीला रहता है, इसीलिए इन मार्केट्स को वेट मार्केट्स भी कहते हैं। यहाँ गंदगी की कोई कमी नहीं होती है, जिसके कारण यहाँ से नई नई बीमारियों को जन्म मिलता है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का यह बयान दिखाता है कि कोरोना और इन वेट मार्केट्स के कारण दुनियाभर में चीन के खिलाफ एक माहौल बनता जा रहा है और चीन पूरे विश्व में एक विलेन के तौर पर उभरकर सामने आ रहा है।
ऑस्ट्रेलिया का चीन के खिलाफ इस तरह खुलकर बोलना बेहद हैरान करने वाला है क्योंकि ये दोनों देश काफी करीबी ट्रेड पार्टनर हैं। अभी ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन ही है। वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच करीब 195 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था।
ऑस्ट्रेलिया के कुल एक्स्पोर्ट्स का 30 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा चीऩ को ही एक्सपोर्ट होता है, यानि जितना एक्सपोर्ट ऑस्ट्रेलिया कुल मिलाकर भारत, अमेरिका, जापान और साउथ कोरिया को करता है, उतना सामान तो ऑस्ट्रेलिया केवल चीऩ को एक्सपोर्ट करता है। वर्ष 2017-18 में चीऩ को ऑस्ट्रेलिया ने 123 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का एक्सपोर्ट किया।
यानि जो दो देश कोरोना से पहले इतने अच्छे दोस्त हुआ करते थे, वे आज कोरोना की वजह से एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं। ऑस्ट्रेलिया का चीन के खिलाफ इस तरह बोलना वाजिब भी है क्योंकि कोरोना की वजह से ऑस्ट्रेलिया को बाकी देशों की तरह ही भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
केवल ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, दुनिया के अन्य देश भी कोरोना के कारण ही चीन से दूरी बनाते दिखाई दे रहे हैं। इसका एक उदाहरण तब भी देखने को मिला जब EU के सर्वोच्च नेता ने 1 अप्रैल को ट्वीट कर ताइवान की तारीफ की। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष Ursula von der Leyen (उर्सुला वॉन डेर लेन) ने मदद पहुंचाने के लिए ताइवान की तारीफ़ों के पुल बांध दिये। उन्होंने ट्विटर पर लिखा “5.6 मिलियन मास्क दान करने के लिए यूरोपीय संघ ताइवान की तारीफ करना चाहता है। हम एकता के इस संदेश का स्वागत करते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए इसी तरह के साथ की ज़रूरत है। यह दिखाता है कि इस लड़ाई में हम सब एक साथ है”। इससे पहले ताइवान का ऐसा समर्थन हमें अमेरिका की ओर से ही देखने को मिलता था, अब EU की ओर से ऐसे बयान आने के कई मायने निकाले जा सकते हैं।
The European Union thanks Taiwan for its donation of 5.6 million masks to help fight the #coronavirus. We really appreciate this gesture of solidarity. This global virus outbreak requires international solidarity & cooperation. Acts like this show that we are #StrongerTogether.
— Ursula von der Leyen (@vonderleyen) April 1, 2020
कोरोना से इटली और स्पेन जैसे देशों में भारी तबाही आई है और यहाँ 10 हजार से ज़्यादा लोग इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। इन देशों में चीन के खिलाफ इतना रोष पैदा हो चुका है कि अब चीन को ट्विटर पर नकली बोट्स की सहायता से चीन की झूठी तारीफ करवानी पड़ रही है। यह खबर सामने आई है कि यूरोप के कुछ देशों में चीन ट्विटर पर नकली बोट्स बनाकर अपने पक्ष में हेशटैग ट्रेंड करवा रहा है। उदाहरण के तौर पर 11 मार्च से लेकर 23 मार्च तक इटली में #forzaCinaeItalia बहुत ट्रेंड किया था । इस हैशटैग का अर्थ है “चीन और इटली, ऐसे ही साथ-साथ बढ़ते रहो”। अब सामने आया है कि इस हैशटैग के साथ किए गए लगभग आधे ट्वीट्स नकली बोट्स ने किए थे। इससे स्पष्ट होता है कि चीन के खिलाफ इन देशों में किस हद तक गुस्सा पैदा हो गया है। इटली वही देश है जहां कोरोना से पहले चीन अपने OBOR प्रोजेक्ट की मदद से प्रभाव जमाने की पूरी कोशिश कर रहा था।
कोरोना वायरस दुनिया को चीन की ही देन है और चीन की वजह से ही आज दुनिया की अर्थव्यवस्था एकदम स्थिर हो गयी है। वैश्विक मंदी आ चुकी है और दुनिया के कई देश दिवालिया होने की कगार पर आ चुके हैं। लोग अपनों को खो रहे हैं और सरकारें बेबस नज़र आ रही हैं। इस सब का एक ही कारण है और वह है चीन। और इसीलिए जो देश पहले चीन के साथ हुआ करते थे, वे आज उसके खिलाफ हो चुके हैं और कारण है कोरोना।