ऑस्ट्रेलिया के द डेली टेलीग्राफ ने लेख छापकर चीन की लगाई लंका, अब चीन छाती पीट रहा है

पहले डराने की कोशिश किया,अब खुद रो रहा है

चीन, द डेली टेलीग्राफ, ऑस्ट्रेलिया, अखबार, मीडिया

कहते हैं, कभी भी उस लड़ाई को शुरू ना करें, जिसे आप जीत ना सके। पूरी दुनिया को वुहान वायरस की चपेट में लाने के बाद चीन अपनी छवि सुधारने हेतु एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। इसके लिए वे साम-दाम-दण्ड-भेद की राह पर चल रहा है, पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो चीन की गीदड़ भभकी में ना आकर उसके वास्तविक स्वरूप को जनता के समक्ष पेश कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है ऑस्ट्रेलिया की न्यूज़ पोर्टल द डेली टेलीग्राफ, जिसने एक चीनी राजनयिक की धमकियों पर उसे छठी का दूध याद दिला दिया।

अपने इस लेख में चीनी कॉन्सुलेट को हर बिंदु पर प्रत्युत्तर देते हुए इस पोर्टल ने चीन की कलई खोल दी है, और चीनी सरकार को कम्यूनिस्ट तानाशाही का भी दर्जा दिया है। लेख का शीर्षक है-

Via Local Commie Underlings, Beijing Officially Disapproves’, अर्थात अपने स्थानीय चाटुकारों के जरिए बीजिंग हमारे विश्लेषण से खफा है

https://twitter.com/WilsonLeungWS/status/1247236410983067648?s=19

दरअसल, चीनी राजनयिक ने डेली टेलीग्राफ जो उनके लेख के लिए पत्र लिखा, जिसमें उसने न्यूज़ पोर्टल के कवरेज को द्वेषपूर्ण कवरेज बताया। जवाब में द डेली टेलीग्राफ ने लिखा, किसी राज्य प्रायोजित अख़बार को यह खबर दी जाती, तो आने वाले दिनों में पत्रकार जेल में उठते और कईयों के अहम अंग भी निकाल दिए जाते”।

जब चीनी राजनयिक ने द डेली टेलीग्राफ द्वारा वुहान वायरस को चीनी नाम दिए जाने पर आपत्ति जताई, और WHO के पीछे छुपने का प्रयास किया, तो जवाब में लिखा गया-

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी WHO ने जिम्बाब्वे के क्रूर शासक रॉबर्ट मुगाबे को अपना दूत बनाया था और ये कहा था कि वुहान वायरस की लड़ाई में इसका दोष किसी एक पर मढ़ना इस महामारी से भी ज़्यादा खतरनाक है। इसलिए कृपया उनकी बेवकूफियों का बचाव ना करें

बता दें कि अपने ही आदर्शों की धज्जियां उड़ाते हुए WHO ने इस बार इस बीमारी का नाम इसके उद्गम स्थल के नाम पर नहीं रखा। जब चीनी राजनयिक ने अपने पत्र में वुहान के बलिदान के बारे में बात की, तो द डेली टेलीग्राफ ने डॉ ली वैनलियांग की याद दिलाई, जिसने विश्व को वुहान वायरस से अवगत कराने का प्रयास किया था, परन्तु चीनी प्रशासन ने उसे मौत की नींद सुला दिया।

द डेली टेलीग्राफ ने WHO को भी चीन की खुशामद करने के लिए आड़े हाथों लिया और बताया की कैसे हो का वर्तमान प्रशासन सच्चाई से परिचित कराने के बजाए चीन की की हुजूरी करने में लगा हुआ था।

सच कहें तो द डेली टेलीग्राफ ने चीनी प्रशासन की धज्जियां उड़ा दी हैं।  जिस प्रकार से चीन वुहान वायरस के कारण अपनी छवि को सुधारने हेतु दुनिया भर में मीडिया को खरीदने का प्रयास कर रहा है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि वह वास्तव में इस महामारी से निपटने के लिए कितना प्रतिबद्ध है। द डेली टेलीग्राफ से सीख लेकर दुनिया के अनेक मीडिया पोर्टल्स को भी चीन को जवाबदेह बनाना चाहिए।

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