जिस तरह WHO और उसके प्रमुख डॉ टेडरोस ने कोरोना को लेकर चीन का बचाव किया है और चीन के प्रोपोगेंडे में साथ दिया है उससे दुनिया के लगभग सभी देश नाराज हैं। अमेरिका तो कुछ ज्यादा ही नाराज लग रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सरकार डॉ टेडरोस से उनके चीन के प्रोपोगेंडे में साथ देने के लिए जवाब मांगा है। The US Congress Committee On Oversight and Reform ने WHO के प्रमुख को एक चिट्ठी लिखकर ये जवाब मांगा।
इस लेटर में WHO पर स्पष्ट आरोप लगाते हुए लिखा गया था, “WHO का संयुक्त राष्ट्र के भीतर एक अराजनैतिक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में संचालित होने के बावजूद, हाल की मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि WHO ने बीजिंग को उसके बचाव में होने वाले प्रोपोगेंडे में मदद की, इस महामारी को कमतर दिखाया और संभवतः एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का आदेश देने में देरी की।”
इस पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में WHO की कार्रवाइयों पर और उसके कुछ अधिकारियों के पिछले कुछ महीनों के दौरान कोरोनोवायरस महामारी के दौरान दिया गया बयान स्पष्ट करता है कि WHO अब दुनिया की सेवा नहीं बल्कि चीन की सेवा कर रहा है।
इस पत्र के जरिये डॉ टेडरोस की आलोचना करते हुए सीधे तौर पर आरोपी बनाया गया। पत्र में लिखा था, “पूरे संकट के दौरान, WHO ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार पर किसी प्रकार का दोष लगाने से किनारा कर लिया है। आप, WHO के नेता के रूप में थे जब इस महामारी संकट के दौरान चीनी सरकार की “पारदर्शिता” की प्रशंसा भी करने लगे थे। जबकि वास्तव में, चीनी सरकार ने अपने वास्तविक संक्रमण और मृत्यु के आंकड़ों को कम करके दुनिया से झूठ बोला है।”
https://twitter.com/Iyervval/status/1249592901836795906?s=20
इतना ही नहीं इस पत्र में WHO के एक झूठ को एक्सपोज किया गया है। पत्र में लिखा है, “14 जनवरी, 2020 को WHO ने ट्वीट किया कि” चीनी अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में कोरोनावायरस के मानव-से-मानव ट्रांसमिशन का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है। इन प्रारंभिक जांचों में चीन द्वारा एक डॉक्टर को जेल में डालना शामिल है, जिसने COVID-19 के बारे में जानकारी चीनी सरकार द्वारा संचालित मीडिया से पहले साझा किया।”
इस पत्र में ताइवान को भी स्थान मिला है और US Congress ने कहा है कि WHO ने ताइवान द्वारा दिसंबर 2019 में दी गयी चेतावनी को नजरंदाज किया क्योंकि ताइवान को WHO ने सदस्यता नहीं दी है।
साथ में इस पत्र के जरीय यह भी कहा गया है अमेरिकी खुफिया विभाग ने भी यह पता लगाया था कि चीन ने कोरोना वायरस की भयावहता को छिपाया है।
US Congress ने ज़ोर देते हुए कहा है कि जब तक WHO ने 30 जनवरी को आपातकाल घोषित किया तब तक इस खतरनाक वायरस से 19 अलग अलग देशों में 10,000 लोग संक्रमित हो चुके थे और 1000 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी।
US Congress ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि, “यह भी पता चला है कि WHO ने चीन के दबाव में आकर इस महामारी को आपातकाल घोषित करने में देरी की।” साथ ही US Congress ने डॉ टेडरोस द्वारा बनाये भी लिखा है कि किस तरह से वे चीन की तारीफ़ों का पुल बांध रहे थे।
WHO द्वारा चीन से यात्रा पर प्रतिबंध लगाने में की गयी देरी पर भी आरोप लगाते हुए US Congress ने लिखा कि COVID-19 को आपातकाल घोषित कर देने के बावजूद WHO ने दूसरे देशों को चीन की यात्रा पर प्रतिबंध न लगाने का सुझाव दिया।
अमेरिकी कांग्रेस का आरोप है कि WHO ने कई रिपोर्टस के बावजूद COVID -19 के प्रसार से निपटने के लिए चीन के प्रयासों की नियमित रूप से प्रशंसा की, जिसमें चीन एक बड़े पैमाने पर प्रोपोगेंडा अभियान में शामिल था।
अमेरिकी कांग्रेस कमेटी ने डॉ टेडरोस को निर्देश दिया कि वह अमेरिका और दुनिया को बताए कि WHO और चीनी सरकार में क्या संबंध हैं।
यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि सिर्फ WHO ने ही चीन की बड़ाई नहीं कि बल्कि चीन भी समय समय पर WHO की बड़ाई करते आया है जिससे WHO के घटते साख को बचाया जा सके।
हालांकि, अमेरिका WHO से नाराज हो चुका है। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी WHO को चीन का मददगार बताया था और WHO से फंडिंग रोकने की बात कही थी। अब यह देखना होगा कि इस पत्र के बाद अमेरिका WHO, डॉ टेडरोस और चीन के खिलाफ क्या कदम उठाता है।