एक कहावत तो बहुत सुनी होगी आपने, पर उपदेश कुशल बहुतेरे। इसका अर्थ स्पष्ट है, कुछ लोग दूसरों को खूब उपदेश देते हैं, पर स्वयं पर उस उपदेश को कभी लागू नहीं होते। कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस पार्टी का है, जहां पार्टी ये आरोप लगाती दिखी कि सरकार ई कॉमर्स पोर्टल्स पर गैर-आवश्यक सामानों की आपूर्ति कर रही है, जबकि उनके प्रशासित राज्यों में इस नियम का सर्वाधिक उल्लंघन हुआ।
बता दें कि 14 अप्रैल को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया था। इस दौरान आवश्यक सामान की पूर्ति हेतु ई कॉमर्स को थोड़ी ढील दी गई थी। पर अब सरकार ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपने मंच के जरिये गैर-आवश्यक वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगा दी है। इससे पहले ई-कॉमर्स कंपनियों को मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर और सिलेसिलाए परिधानों आदि की बिक्री की अनुमति दी गई थी। दरअसल, छोटे व्यापारियों को आशंका थी कि कहीं उनके हितों को नुकसान ना हो, इसलिए उन्होंने अपील की कि ई कॉमर्स पर आवश्यक वस्तुओं के अलावा कुछ भी नहीं बिके। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने ये दिशा निर्देश उन ई कॉमर्स कंपनियों के लिए जारी किया जो लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सामान बेच सकें।
Grateful to Hon'ble PM @NarendraModi ji for the clarification that e-commerce companies can only supply essential goods during the lockdown. This will create a level playing field for small retailers. pic.twitter.com/YmQcwoLTsN
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) April 19, 2020
परन्तु कांग्रेस को उससे क्या? उन्हें तो अपने एजेंडे से मतलब। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने गैर-आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रारंभ कर दी है। अजय माकन के अनुसार केंद्र सरकार ई कॉमर्स कम्पनियों को प्राथमिकता दे रही है।
हालांकि वह कहते हैं ना, चोर की दाढ़ी में तिनका। वैसे ही कांग्रेस महाराष्ट्र और राजस्थान में अपने ही प्रशासित सरकारों द्वारा इस आरोप को सत्य सिद्ध करते दिखाई दी है। विश्वास नहीं होता तो इन ऑर्डर्स को ही देख लीजिए।
इन दिशा निर्देशों के अनुसार महाराष्ट्र और राजस्थान में सरकारों ने ई कॉमर्स कम्पनियों को गैर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भी पूरी छूट दी है। इससे ज़्यादा हास्यास्पद क्या होगा कि जो पार्टी नैतिकता की दुहाई देते हुए छोटे व्यापारियों के अधिकारों की बात करे, वह स्वयं अपने शासित राज्यों में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकड़े जाये। इसे देखकर तो एक ही बात याद आती है –
गृह मंत्रालय ने जब पहले है निर्देश जारी कर दिए, तो ऐसे में उसका आदेश सर्वोपरि माना जाता है, परन्तु राजस्थान और महाराष्ट्र की सरकारों को इससे कोई मतलब ही नहीं हैं। कांग्रेस को दूसरों को ज्ञान बांचने से पहले अपने गिरेबान में भी झांककर देख लेना चाहिए। अब यहां के कुल मामलों के बारे में जितना कम बोले उतना ही अच्छा।
पूरे राजस्थान में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के लेने के देने पड़ गए हों, वहां पर जब भीलवाड़ा का स्थानीय मॉडल चमकने लगा, तो इसपर क्रेडिट लूटने में कांग्रेस हाईकमान सर्वप्रथम आ खड़ा हुआ। केंद्र सरकार युद्धस्तर पर इस महामारी से जूझ रही है, पर कांग्रेस को अभी भी तुच्छ राजनीति में ही मजा आ रहा है।
कांग्रेस की हिपोक्रेसी इस महामारी में भी उभर कर सामने आई है। जिसका सर्वोच्च नेता अपने सांसद क्षेत्र के बारे में झूठी खबर फैलाए, उससे परिपक्वता की कैसे आशा रख सकते हैं।