वुहान वायरस भारत में दिन प्रतिदिन चिंता का विषय बनता जा रहा है। देश भर में कुल 4500 से ज़्यादा लोग इससे संक्रमित बताए जा रहे हैं, जिसमें अब तक 120 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसमें सबसे ज़्यादा बुरी हालत महाराष्ट्र राज्य की है, जहां इस महामारी ने सीएम उद्धव ठाकरे की लापरवाहियों की वजह से एक विकराल रूप धारण कर लिया है।
महाराष्ट्र में अब तक 750 से ज़्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें से 500 से ज़्यादा मामले केवल और केवल मुंबई से निकले हैं। परन्तु अभी हाल ही में एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने सिद्ध कर दिया है कि वहां की सरकार इस बीमारी से निपटने के लिए वास्तव में कितनी तैयार थी।
उद्धव ठाकरे की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों में कई लोगों को quarantine करने का आदेश दिया गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि जहां मुख्यमंत्री रहते हैं, उस क्षेत्र में Lockdown के आदेश के बावजूद एक चाय की दुकान खुली थी, जिसके संचालक को इस महामारी से संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है.
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यदि आपको लगता था कि केवल अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी जैसे नेता भारत की वुहान वायरस के विरुद्ध कार्रवाई में बाधा डाल रहे थे, तो मुबारक हो, आप गलत थे। उद्धव ठाकरे तो लापरवाही और नासमझी में इनसे सौ कदम आगे निकल आए हैं।
महाराष्ट्र में जनसंख्या की density या घनत्व बहुत ज़्यादा है, और ऐसे में इस महामारी के फैलने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। ये महामारी मुंबई के लिए कितनी घातक बन चुकी है, उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मुम्बई में बीएमसी ने 146 क्षेत्र नो गो ज़ोन में परिवर्तित कर दिए हैं। इसके साथ ही मुंबई में धारावी जैसी घनी स्लम बस्तियों में भी कोरोना ने दस्तक दे दिया है. यहां तबलीगी कनेक्शन का एक कोरोना मरीज दम तोड़ दिया है. वहीं कई को क्वारंटाइन किया गया है.
परन्तु उद्धव ठाकरे को ना तो इस बात की चिंता है कि महाराष्ट्र का क्या होगा, और ना ही इस बात की कि उनके सुरक्षाकर्मी ठीक रहेंगे कि नहीं। उन्हें केवल और केवल अपने इमेज की चिंता है, जहां चाहे कुछ हो जाए, सेक्युलरिज़्म नहीं मिटना चाहिए। इसीलिए जब बीएमसी के संक्रमित मरीजों के शवों को जलाने के निर्देश को एनसीपी ने ठुकरा दिया, तो उद्धव ने विरोध भी नहीं किया।
उद्धव ठाकरे अपनी इमेज के पीछे कितना पागल हैं, इसका अंदाजा आप इस उदाहरण से लगा सकते हैं। हाल ही में महोदय ने एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने तबलीगी जमात को निशाना बनाने वाली जनता को बदनाम करने का भी प्रयास किया। इसके तुरंत बाद ही बॉलीवुड के कुछ स्वघोषित सामाजिक ठेकेदारों ने उद्धव की तारीफ करनी शुरू कर दी। स्वरा भास्कर से लेकर जावेद अख्तर, यहाँ तक कि कैटरीना कैफ और सोनम कपूर भी उद्धव के इस बचकाने बयान की तारीफ करने लगे और इसके बारे में इन्स्टाग्राम पर स्टोरी डालने लगे।
मजे की बात देखिये, यहां केवल उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तारीफ हो रही है। महाराष्ट्र सरकार के बारे में एक बार भी बात न नहीं की गयी है। क्या केवल ठाकरे परिवार ही काम कर रहा है? जिस तरह से सोनम कपूर ने ठाकरे परिवार की तारीफ करते हुए शिवसेना को अपने इन्स्टाग्राम स्टोरी में टैग किया है, और बाद में अपना ट्वीट डिलीट किया है, उससे स्पष्ट है कि यह एक सुनियोजित पीआर एक्सर्साइज़ से ज़्यादा कुछ नहीं है।
जिस तरह से उद्धव ने इस महामारी के दौरान भी अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया है, उसे देख तो पिनराई विजयन और अरविंद केजरीवाल भी देव मानूस लगेंगे। एक ज़माने में एक कहावत अंग्रेज़ी में बड़ी मशहूर थी, नीरो झुनझुना बजाता रहा और रोम जलता रहा। अगर इसे यहां के परिस्थितियों में देखे तो ये कहावत अब होगी – उद्धव झुनझुना बजाता रहा और मुंबई वुहान वायरस की आग में जलती रही।