दुनियाभर की मीडिया के जरिये विश्व में कम्युनिस्ट पार्टी का एजेंडा फैलाने वाले चीन को अब भारत की मीडिया से चिढ़ मचने लगी है और यदि भारतीय मीडिया में कोई भी ताइवान को लेकर रिपोर्टिंग करता है, तो भारत में मौजूद चीनी दूतावास उसकी निंदा करने में ज़रा भी समय नहीं गंवाता। ऐसा ही हमें कल देखने को मिला जब चीन के राजदूत ने भारत के अखबार Times of India की आलोचना की और अखबार को तथाकथित “वन चाइना पॉलिसी” का सम्मान करने को कहा, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि Times of India ने ताइवान के विदेश मंत्री का इंटरव्यू लेने का दुस्साहस किया था।
इससे पहले जब भारत के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ TV चैनल WION ने ताइवान की WHO में सदस्यता को लेकर खबर चलाई थी तो भी चीनी दूतावास ने एक प्रेस ब्रीफ़ जारी कर WION की आलोचना की थी। चीन भारत की मीडिया की निष्पक्ष और सच्ची रिपोर्टिंग से इतना चिढ़ चुका है कि वह अब बार-बार भारत की प्रेस की आज़ादी पर प्रहार करने से भी बाज़ नहीं आ रहा है।
#Breaking Chinese embassy in India has criticised Indian Media (Times of India) for interviewing Taiwan's foreign minister. @IndoPac_Info pic.twitter.com/U0bXfgolZ0
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) April 27, 2020
दरअसल, हाल ही में Times of India ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसफ जोशिए का इंटरव्यू प्रकाशित किया था जिसमें उनसे कोरोना वायरस के प्रति ताइवान के रुख और ताइवान की WHO में सदस्यता संबन्धित कई प्रश्न पूछे गए थे। जोसेफ़ ने इस इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि कैसे चीन WHO में ताइवान की भागीदारी का विरोध करता रहा है। जोसेफ़ के मुताबिक-
“वर्ष 2009 से लेकर 2019 तक हमनें 187 बार टेक्निकल मीटिंग्स में हिस्सा लेने के लिए आवदेन किया था, और हमें 70 प्रतिशत बार मना कर दिया गया, क्योंकि चीन ऐसा चाहता था”।
Here is the article by @TOIIndiaNews pic.twitter.com/7NTtJ3gmGK
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) April 27, 2020
बस चीन इसी से चिढ़ गया और उसने कल भारत की मीडिया को ही निशाने पर ले लिया। चीनी दूतावास ने कल एक बयान जारी कर कहा-
“ताइवान की डेमोक्रेटिक पार्टी कोरोना की आड़ में ताइवान को चीन से अलग करना चाहती है। हम चाहते हैं कि भारत की मीडिया ऐसे गंभीर मामलों पर सही से रिपोर्टिंग करें और वन चाइना पॉलिसी का पालन करे, और ताइवान की आज़ादी के समर्थक लोगों को कोई मंच न प्रदान करें”।
शायद चीनी राजदूत इस बात को भूल गए हैं कि भारत चीन और अरबी देशों की तरह कोई सत्तावादी राज्य नहीं है। यहां प्रेस को अपनी बात रखने की पूरी आज़ादी है और यह हक किसी के पास नहीं है कि वह भारतीय प्रेस को अपने मुताबिक चलने को कह सके, भारत की सरकार के पास भी नहीं!, ऐसे में चीन किस खेत की मूली है?
इससे पहले WION की रिपोर्टिंग पर भी भारत में मौजूद चीनी राजदूत द्वारा एक बयान जारी किया गया- “हम WION की कवरेज पर भारी असहमति और कड़ी आपत्ति दर्ज करते हैं, यह चीन की वन चाइना नीति के खिलाफ है”।
ऐसा बयान चीनी राजदूत ने इसलिए दिया था क्योंकि WION ने ताइवान को लेकर WHO और चीन के विश्वासघाती रुख को सामने रखा था। WHO में चीन की पकड़ काफी मजबूत है और ऐसे में वह कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बार-बार ताइवान के प्रयासों को कम दबाने की कोशिश कर रहा है।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, यही कारण है कि चीन के प्रभाव वाला WHO भी उसे अहमियत नहीं देता है। इस पर पहले जब WION ने रिपोर्टिंग की थी , तो चीन भड़क उठा था। अब Times of India के मामले में भी चीन ने यही रुख अपनाया है। भारत सरकार को जल्द से जल्द चीन को आसान भाषा में यह समझाने की ज़रूरत है कि उसका यह रवैया भारत में नहीं चलने वाला। चीनी दूतावास का यह रुख भारतीय लोकतन्त्र पर हमले के रूप में देखा जाना चाहिए और भारत सरकार को इसे रोकने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।