नॉर्थ कोरिया की राजनीति में आजकल बड़ी उथल-पुथल चल रही है। नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम-जोंग-उन के निधन की खबरों के बीच ऐसे मीडिया रिपोर्ट्स सामने आ रही थीं कि किम-जोंग-उन की छोटी बहन किम यो जोंग सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले सकती हैं। हालांकि, अब इस कहानी में नया मोड आ गया है। दरअसल, अब ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि किम-जोंग-उन के चाचा और नॉर्थ कोरिया के संस्थापक किम-इल-सुंग के आखिरी जीवित बचे बेटे किम-प्योंग-इल को सत्ता सौंपी जा सकती है। वे कई दशकों तक अलग-अलग देशों में नॉर्थ कोरिया के राजनयिक के तौर पर काम कर चुके हैं और वे पिछले साल ही वापस लौटकर आए थे। दूसरी तरफ इस साल की शुरुआत से ही किम यो जोंग भी राजनीति में काफी एक्टिव दिखाई दे रही थीं, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो ही अगली शासक बनेंगी। इस स्थिति में अब सत्ता के लिए नॉर्थ कोरिया में चाचा किम-प्योंग-इल और भतीजी किम-यो-जोंग में भयंकर टकराव देखने को मिल सकता है।
किम-प्योंग-इल अभी 65 वर्ष के हैं और अनुभवी हैं, इसीलिए उनको अगला नेता बनाए जाने की बात की जाने लगी हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया में एक 32 वर्षीय महिला को नेता बनाए जाने से कुछ कट्टरपंथियों को परेशानी हो सकती है। ऐसे में किम-प्योंग-इल का नाम ही अब सुझाया जा रहा है। इसका सबसे अहम दो कारण हैं-एक तो वे रॉयल फ़ैमिली से हैं और दूसरा कि वे एक पुरुष हैं, पुरुष को सत्ता सौंपने में नॉर्थ कोरिया के कट्टरपंथियों को कोई परेशानी नहीं होगी।
माना जाता है कि कभी किम-प्योंग-इल को सत्ता संभालने के लायक ही नहीं समझा गया। वर्ष 2011 में जब किम-जोंग-उन शासक बने थे तो उन्होंने अपने उन सभी करिबियों को मरवा दिया था, जिनसे किम को खतरा महसूस हो रहा था। तब किम ने अपने एक चाचा और अपने भाई की हत्या करवा दी थी, लेकिन किम ने भी कभी किम-प्योंग-इल को अपने लिए खतरा नहीं समझा। पिछले साल किम ने उसपर नज़र रखने के लिए वापस नॉर्थ कोरिया बुला लिया था। अब अगर किम-जोंग-उन की मौत हो चुकी है, तो उनको ही नॉर्थ कोरिया का अगला तानाशाह बनाया जा सकता है।
हालांकि, उनकी राह इतनी भी आसानी नहीं रहने वाली। इस साल की शुरुआत से ही राजनीति में सुपर एक्टिव रहने वाली किम की छोटी बहन किम-यो-जोंग भी सत्ता पर नज़रें टिकाए हुए है। इस साल मार्च में उन्होंने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के ऑफिस पर सीधा हमला बोला था। जब दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के सैन्य परीक्षणों की आलोचना की थी तो किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति को मूर्ख कहा था। यह उनका पहला राजनीतिक बयान था। उनकी राजनीति में सक्रियता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि वे नॉर्थ कोरिया के प्रोपगैंडा से जुड़े मामलों की अध्यक्षता करती हैं और वे कई मौकों पर सार्वजनिक जगहों पर अपने भाई के साथ देखी जा चुकी हैं। जब हनोई में पहली बार राष्ट्रपति ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच मुलाक़ात हुई थी तो इसके पीछे किम यो जोंग का ही दिमाग था। इसके अलावा वर्ष 2018 में प्योंगचांग विंटर ओलंपिक्स में वे अपने भाई का दूत बनकर दक्षिण कोरिया में गयी थी।
उत्तर कोरिया की सत्ता के लिए अब एक तरफ चाचा है और दूसरी तरफ भतीजी है। नॉर्थ कोरिया में सत्ता एक व्यापार की तरह देखा जाता है और वहाँ हर कोई सबसे बड़ा व्यापारी बनना चाहता है, जिसकी वजह से रॉयल फ़ैमिली में सब लोग अपनों के ही दुश्मन बन जाते हैं। अब चूंकि, किम यो जोंग और किम-प्योंग-इल के बीच दुश्मनी बढ़ चुकी है, ऐसे में यह दुश्मनी जल्द ही इस देश में नए खूनी खेल का कारण भी बन सकती है।