इन दिनों इस्लामोफोबिया गैंग फिर से वापस आ चुके हैं. इस बार उन्होंने पुराना मुर्दा उखाड़ा है. दरअसल, साल 2015 में भाजपा के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने एक ट्वीट किया था. जिसे लेकर लिबरलों ने माथा पीटना शुरु कर दिया है. ये ट्वीट तेजस्वी सूर्या ने की थी लेकिन ये शब्द लेखक व इस्लामिक विद्वान तारिक फतह के थे. जिसे उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बोला था. लिबरलों ने तेजस्वी सूर्या के ट्वीट को लेकर बवाल मचाना शुरु कर दिया है लेकिन उन्होंने बात की तह तक जाने की कोशिश नहीं किया. आइये हम आपको बताते हैं कि असल माजरा क्या था….
ये ट्वीट अरबी महिलाओं के खतना पर था
22 मार्च, 2015 को, प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता तारेक फतह ने चर्चित न्यूज पोर्टल स्वराज्य को एक साक्षात्कार दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मध्य पूर्व में महिला अधिकारों को कैसे रौंदा जाता है। इस साक्षात्कार के दौरान, तारेक फतह ने कहा था,
”अरब की 95% महिलाओं ने पिछले कई सौ सालों में कभी ऑर्गेज्म (कामोत्तेजना की चरम अवस्था) नहीं पाया है। हर मां ने प्यार की बजाय सेक्स से बच्चे पैदा किए हैं।”
तेजस्वी सूर्या ने अपने ट्वीट में तारिक फतह के इसी बयान को ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने तारिक फतह को टैग भी किया है जिससे पता चल सके कि ये बयान उन्हीं का है. लेकिन लेफ्ट धड़ा ने तेजस्वी सूर्या को बदनाम करने के लिए ट्विटर पर #Dismiss_Tejasvi_Surya ट्रेंड कराकर प्रोपेगेंडा फैलाना शुरु कर दिया.
इतना ही नहीं लिबरलों ने प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए ट्वीट के समय को भी फोटोशॉप से बदल दिया और यह दिखाने की कोशिश की गई कि तेजस्वी ने यह ट्वीट हाल ही में किया था. इसके साथ ही लिबरलों ने यह भी सिद्ध करने का प्रयास किया कि ये बयान तेजस्वी सूर्या के हैं. तारिक फतह का इससे कोई लेना देना नहीं है.
वास्तव में जनता द्वारा चुने हुए एक सांसद की छवि धुमिल करने का यह एक हास्यास्पद प्रयास था. इस पूरे प्रकरण में ट्विटर ट्रोल्स की मानें तो तेजस्वी ने सूर्या ने महिलाओं का अपमान किया है.
यहां भारत के मुसलमानों में भी एकाएक अरबी प्रेम जाग गया और वे अपनी पूरी ताकत लगाकर ये बताना चाहते हैं कि अरबी महिलाओं को तेजस्वी सूर्या बदनाम कर रहे हैं. उनके सेक्स लाइफ और जननांगों के प्रति भद्दा ट्वीट कर रहे हैं.
लेकिन ट्विटर के बुद्धिजीवियों, लेफ्ट लिबरलों और कांग्रेसियों ने यह बात छुपा ली कि अरब में महिलाओं का खतना करके कैसे उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. खतना की प्रक्रिया सिर्फ अरब में ही नहीं होता बल्कि भारत के बोहरा मुस्लिमों में भी प्रचलित है.
15 से 49 साल की बच्चियों, महिलाओं का खतना इन अरब देशों में हुआ था. जिसका आंकड़ा DW ने दिया था. ये आंकड़े सिर्फ 2004-2005 के बीच की हैं. आप देखिए इन देशों में किस कदर महिलाओं का खतना किया जाता है.
बता दें कि खतना के बाद महिलाओं को सेक्स के दौरान भयंकर पीड़ा से गुजरना पड़ता है. चरम सुख आर्गेज्म नाम की चीज क्या होती है उन्हें तो वास्तव में कुछ पता ही नहीं होता और अरब में महिलाओं को इतनी आजादी भी नहीं दी जाती कि वे खुलकर इसके खिलाफ बोल सकें.
https://twitter.com/alnassar_kw/status/1251938253646835716?s=20
अरबी महिलाओं की इन्हीं परेशानियों को लेकर तारिक फतह ने बेबाकी से अपनी राय स्वराज्य मैग्जिन के इंटरव्यू में रखी थी. हालांकि तारिक फतेह एक मुस्लिम स्कॉलर हैं उन्हें टार्गेट करने से लिबरलों को कोई भाव नहीं मिलने वाला और उल्टे मजाक के पात्र बन जाएंगे इसी वजह से इन्होंने युवा तेजस्वी को टार्गेट करने का फैसला लिया.
इसमें लिबरल जमात के लोग ही नहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि संजय झा जैसे नेता भी लिबरलों के अंधदौड़ में शामिल हो गए हैं. इन्हें भी जानाकारी कुछ नहीं है और भर-भर के प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं.
The BJP gives tickets to Praggya Singh Thakur and #TejasviSurya etc because it helps popularise their hardline bigoted political profile.
But the chickens usually come home to roost. Today, India stands embarrassed, humiliated.
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) April 20, 2020
लिबरलों और कांग्रेसियों के ट्वीट के बाद अरबी ट्विटर हैंडल्स भी मैदान में उतर गए हैं जो तेजस्वी सूर्या के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. क्या यह भारत की संप्रभुता और आंतरिक मामलों में हमला करना नहीं हुआ?
https://twitter.com/MJALSHRIKA/status/1251917694569451520?s=20
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर 5 साल बाद ही क्यों लिबरलों ने तेजस्वी सूर्या का ट्वीट निकाला. आखिर इन्होंने पहले क्यो नहीं ऐसा प्रोपेगेंडा फैलाया. जिस समय तेजस्वी ने यह ट्वीट किया था उस समय भी किसी को ध्यान नहीं आया.
दरअसल, इन दिनों तबलीगी जमात के लोगों ने देशभर में कोरोना के मामलों में भयंकर बढ़ोतरी की है. जिससे देश में समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ आक्रोश है. अब इसी आक्रोश को मिटाने के लिए लिबरलों ने पुराना ट्वीट खोद निकाला ताकि देश की आम जनता का ध्यान कोरोना जिहादियों से हटकर कथित मुस्लिम विरोधी तेजस्वी पर आ जाए. हालांकि अपने ही चाल में लिबरलों की लंका लग गई है. ट्विटर पर इन्हें फैक्ट्स से जवाब मिल रहे हैं.