वुहान वायरस से संसार जूझ रहा है, और पूरे विश्व की आम दिनचर्या ठप पड़ चुकी है। भारत में भी राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है, और अभी तक 12000 से ज़्यादा संक्रमित मामले सामने आए हैं, जिसमें से 400 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं। परन्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इस समय भी अपनी हेकड़ी दिखाना अति आवश्यक लगता है। इन्हीं में से एक हैं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, जिन्हें ऐसे परिस्थितियों में अपने लड़के के विवाह के बारे में अधिक चिंता है.
लॉक डाउन के समय भी एचडी कुमारस्वामी अपने पुत्र निखिल के विवाह की तैयारियों में लगे हुए हैं। विवाह यूं तो रामनगर क्षेत्र के पास एक बड़े से मैदान में होनी थी, परन्तु लॉक डाउन के चलते उन्होंने समारोह स्थल को फॉर्महाउस के पास शिफ्ट कर दिया है। परन्तु लॉक डाउन के बावजूद कुमारस्वामी के पुत्र की शादी की तैयारियां अभी भी जारी है। ये निखिल कुमारस्वामी वहीं हैं जिन्हें राजनीति में उतारने के चक्कर में कुमारस्वामी और कांग्रेस दोनों का ही कर्नाटक से लगभग सूपड़ा साफ़ होगा था।
बता दें कि कर्नाटक देश का दूसरा राज्य था, जहां पर वुहान वायरस से संक्रमित लोग पाए गए थे। यह देश का पहला ऐसा राज्य भी था, जहां वुहान वायरस के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु भी हुई थी। परन्तु कर्नाटक ने अन्य राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर तरीके से स्थिति संभाली है। तब्लीगी जमात की कुदृष्टि कर्नाटक पर पड़ने के बावजूद यहां 350 से भी कम मामले है.
परन्तु ऐसे संकट की स्थिति में जब पूरे देश में सामाजिक समारोहों पर रोक लगी है, तो ऐसे में एचडी कुमारस्वामी का निर्णय ना केवल तर्कहीन है, अपितु हास्यास्पद भी। अपने बचाव में कुमारस्वामी बोलते हैं कि वे सरकार के सभी निर्देशों के अनुसार ये काम कर रहे है, और साथ में ये भी कह रहे है कि विवाह स्थल ग्रीन जोन में पड़ता है, इसलिए कोई समस्या नहीं होगी।
अब आते हैं तथ्यों पर। जिन नियमों के आधार पर कुमारस्वामी बेतुकी दलीलें दे रहे थे, उन्हें 22 मार्च को लागू किया गया। परन्तु उस समय देशभर में राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन लागू नहीं था, और ना ही सामाजिक कार्यों पर अनिश्चितकालीन रोक लगी थी।
रही बात जोनिंग की, तो अब तक इसमें केवल अधिक मामलों वाले हॉटस्पॉट चुने गए हैं। शहरों को अभी विभिन्न ज़ोन में चिन्हित नहीं किया गया है। ऐसे में एचडी कुमारस्वामी आखिर राज्य को क्या संदेश देना चाहते हैं?
पर ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है। मुख्यमंत्री के तौर पर एचडी कुमारस्वामी अपने शासन के लिए काम और अपने ऊटपटांग हरकतों के लिए अधिक जाने जाते थे। एचडी कुमारस्वामी भी कुछ ऐसे ही थे जब वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। भाजपा बस सत्ता में न आए, इसलिए जोड़-तोड़ कर काँग्रेस और एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस ने कर्नाटक में सरकार बनाई। पर भाई सरकार को बने दो महीने भी नहीं हुए कि एचडी कुमारस्वामी ‘दिल के अरमान आंसुओं में बह गए’ मोड में उतर आए।
जुलाई 2018 में ही एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे उन्हें सता रही है और उन्हें काम नहीं करने दे रही है, जिस कारण उन्हें जहर का घूंट पीकर सरकार चलानी पड़ रही है। इसकी पुष्टि वरिष्ठ कांग्रेस नेता केबी कोलीवाड़ ने भी की थी। फिर कुछ ही महीनों बाद जनाब इस बात का रोना रोने लगे कि भाजपा उनके विधायकों पर गिद्ध की भांति नज़र गड़ाए हुई है और उन्हें भाजपा में शामिल करने के लिए सैन्य विमानों का सहारा ले रही है।
जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर एचडी कुमारस्वामी ने अपनी हेकड़ी प्रदर्शित की है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि उन्हें बस अपने स्वार्थ सिद्धि से मतलब है। भला है कि वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं है, अन्यथा अभी कर्नाटक कुल मामले की संख्या में महाराष्ट्र से प्रतिस्पर्धा कर रहा होता।