गिलगिट बाल्टिस्तान निश्चित ही दक्षिण एशिया के सबसे अस्थिर क्षेत्रों में से एक हैं। एक बार फिर यह क्षेत्र सुर्खियों में है, पर इस बार अलग कारणों से। यहां के निवासी अब भारत से खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति हेतु सहायता की गुहार कर रहे हैं।
बता दें कि पाकिस्तान में लगभग 6000 लोग वुहान वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, परन्तु पाकिस्तान ने यहां भी अपना निकृष्ट स्वभाव दिखाने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं दिया है। पाक ने अपने कब्जे वाली कश्मीरी क्षेत्र और गिलगिट बाल्टिस्तान को वुहान वायरस से संक्रमित लोगों का डंपिंग ग्राउंड बना दिया है।
ऐसे में गिलगिट बाल्टिस्तान ने पाकिस्तान की बेरुखी से तंग आकर भारत से मदद मांगी है। गिलगिट बाल्टिस्तान प्रांत के मुख्यमंत्री हफीज़ुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इमरान खान को इस क्षेत्र की कोई फिक्र नहीं है। ना तो कोई वित्तीय सहायता मिल रही है और ना ही कोई स्वास्थ्य सहायता मिलने की उम्मीद है।
दरअसल, इस क्षेत्र को पहले इमरान खान की सरकार ने वुहान वायरस से संक्रमित लोगों के लिए एक डंपिंग ग्राउंड बना दिया, और फिर कीमतों पर भी कोई लगाम नहीं लगाई। इस क्षेत्र में 20 किलो आटा की बोरी जो 700 पाकिस्तानी रुपए में मिलती थी, अब वह 1200 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से बिक रही है।
वहीं, पंजाब प्रांत में ऐसी कोई समस्या नहीं है, और वहां के लोगों को ना सिर्फ सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही है, अपितु कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिल रहा है। गिलगिट बाल्टिस्तान में स्थित पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष अमजद हुसैन ने इस क्षेत्र को मिलने वाले 250 करोड़ रुपए की मदद वापिस लेने के लिए अभी इमरान खान को आड़े हाथों लिया था।
प्रारंभ से ही वुहान वायरस से लड़ाई में पाकिस्तान दस कदम पीछे रहा है। एक तो उन्होंने चीन और ईरान के साथ अपने बार्डर सील करने में समय लगा दिया था, जिसके कारण सिंध और पंजाब प्रांत के मामलों में अप्रत्याशित उछाल आया, और उनके मामले POK और गिलगिट बाल्टिस्तान स्थानांतरित कर दिए गए।
इसके अलावा पाकिस्तान का सारा ध्यान इस बीमारी से लड़ने पर कम, और अपनी कंगाली अर्थव्यवस्था को बचाने पर ज़्यादा था। इमरान खान कई देशों और वैश्विक संस्थाओं से कर्ज माफी और अतिरिक्त कर्ज की भीख मांगने लगे।
यही नहीं, पाकिस्तान ने सब कुछ अल्लाह भरोसे छोड़ दिया है। जिस देश का राष्ट्रपति वुहान से अपने देश के विद्यार्थियों को निकालने के मामले में ये कहे कि सब कुछ अल्लाह के हाथ में है, उससे और क्या आशा की जा सकती है। लड़ने से पहले ही हथियार डालना कोई पाकिस्तान से सीखे।
परन्तु बात यही पर नहीं रुकती। कराची में लोग Rehrri Ghoth पर राशन पाने के लिए कतार में खड़े हो गए। परंतु जब हिंदुओं ने राशन लेने का प्रयास किया, तो उन्हें यह कहकर भगा दिया कि राशन केवल मुसलमानों के लिए है। इसके अलावा Liyari, Sachal Ghoth और कराची के अन्य हिस्सों, यहाँ तक कि पूरे सिंध में इस प्रकार का भेदभाव देखा गया। राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ॰ अमजद आयूब मिर्ज़ा ने बताया कि यह समस्या पूरे सिंध में व्याप्त है, और भारत को बिना विलंब हस्तक्षेप करना चाहिए।
शायद इसलिए अब आईएमएफ भी पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर रहा है, क्योंकि बंदर के हाथ में तलवार देकर अपनी जान जोखिम में क्यों डालना? सच कहें तो पाकिस्तान के लिए आज भी दो ही चीज़ मायने रखती है – कट्टरपंथ और कश्मीर। इसके अलावा कोई भी चीज़ Pakistan की प्राथमिकता में कहीं नहीं ठहरते। यह भारत के लिए भी एक सुनहरा अवसर है, जहां वे इसे एक अहम मुद्दा बनाकर पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर एक बार फिर घुटने टेकने पर विवश कर सकता है।