चीन के वुहान से निकला COVID-19 वायरस आज पूरे विश्व में मौत का तांडव मचा रहा है। सभी देशों को मिलाकर अभी तक इस संक्रमण से 10 लाख पॉज़िटिव केस आ चुके हैं और 53 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह वायरस दिन दूनी रात चौगुनी के दर से बढ़ ही रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वायरस का टीका बनाने में करीब एक वर्ष तो लगेगा ही। तब तक न जाने कितने लाख लोग इस वायरस की वजह से काल के गाल में समा जाएंगे। इसमें किसी को संदेश नहीं है कि इस वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान में हुई थी। जिस तरह से पूरे विश्व भर से मौत की खबरे आ रही हैं उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब चीनी नेता माओ से आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं। शी जिनपिंग पहले कई ऐसे कारनामे कर चुके हैं और माओ से आगे निकलने के लिए शी जिनपिंग को उनके बराबर लोगों को मारना बाकी था। अब जिस तरह से चीन ने कोरोना को फैलाया है उससे तो यही कहा जाएगा कि शी जिनपिंग के कारण कोरोना आया और इतने लाख लोग इसकी चपेट में आ कर मौंत के मुंह में समा गए।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, Mao Zedong के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में विश्व के सामने खड़े हैं। कोरोना ने उन्हें अब माओ से भी आगे ला कर खड़ा कर दिया है।
आधुनिक चीन की नींव रखने वाले Mao Zedong के हाथ अपने ही लोगों के खून से रंगे थे। लेकिन शी चिनपिंग ने तो कोरोना के माध्यम से पूरी दुनिया के लोगों के साथ मौत का तांडव खेला है। चीन को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए माओ ने एक नया आर्थिक मॉडल अपनाया और विकास का नारा दिया। माओ की सनक ने 4.5 करोड़ लोगों की जान ली इसके बाद फिर से 10 साल बाद माओ ने सांस्कृतिक क्रांति का नारा दिया और फिर 3 करोड़ लोगों की जान ली। दरअसल, जब माओ चीन की सत्ता संभाल रहे थे तब उन्होंने एक अभियान शुरू किया था, जिसे ‘फोर पेस्ट कैंपेन’ के नाम से जाना जाता है। इस फोर पेस्ट कैम्पेन में चार जीवों (मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया) को मारने का आदेश दिया था। इस कारण से चीन में पर्यावरण का इकोलॉजिकल चक्र बिगड़ गया और चीन में एक भयानक अकाल पड़ा और देखते ही देखते करोड़ों लोग भूखमरी से मारे गए। चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 मिलियन यानी 1.50 करोड़ लोगों की मौत भूखमरी से हुई थी। हालांकि कुछ अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, 45 मिलियन यानी 4.50 करोड़ लोग भूखमरी की वजह से मारे गए थे। यह चीन के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी। सत्ता में रहने के लिए माओ ने कई उपाय भी करवाया था और संविधान में भी माओ के विचार ही सम्मिलित किए गए थे। अब जिस तरह से कोरोना पूरे विश्व में फैल रहा है उससे तो ऐसा लग रहा है कि चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग माओ से एक कदम आगे बढ़ चुके हैं। माओ ने तो सिर्फ अपने लोगों को निशाना बनाया था लेकिन शी जिनपिंग के समय में चीन ने तो पूरे विश्व को कोरोना से ग्रस्त कर दिया है। अभी मौतें हो ही रही है और जब तक इसका vaccine नहीं बन जाता तब तक शायद ये मौतें नहीं रुकने वाली हैं और वह संख्या माओ के संख्या को भी पार कर सकती है।
बता दें कि 9 सितंबर 1976 में माओ जेडोंग की 82 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। शी जिनपिंग उस समय सिर्फ 23 वर्ष के थे। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि माओ जेडोंग के बाद शी जिनपिंग उनसे भी ऊपर हो जाएंगे। माओ तो संविधान से भी ऊपर थे लेकिन अपने कार्यकाल में शी ने भी यह उपलब्धि हासिल किया। जब शी ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए राष्ट्रपति के अधिकतम 10 साल के शासन की परंपरा को तोड़ते हुए चीन के संविधान में बदलाव किया था तभी जिनपिंग माओ के बराबर आ चुके थे। यही नहीं शी के विचारों को उनके नाम समेत देश के संविधान में शामिल किया गया जो कि माओ और डेंग के बाद पहली बार हो रहा था। आज चीन में शी जिनपिंग की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता।
कम्युनिस्ट पार्टी के क्रांतिकारी और एक बार के उप-प्रधानमंत्री शी झोंग्क्सन के बेटे, शी जिनपिंग ने दशकों तक पार्टी और सरकार का रुख अपनाते हुए काम किया, लेकिन 2012 में पार्टी के प्रमुख बनने के बाद से उनके हाथ में सत्ता आई और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2012 तक सभी को लगता था कि शी जिनपिंग एक सामान्य नेता हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने और चीन की सेना के चैयरमैन भी।
माओ त्से तुंग चीनी गणतंत्र के संस्थापक थे। अभी उसी राह पर शी जिनपिंग चल रहे हैं। शायद ये उनसे बहुत आगे निकल चुके हैं।