“आज हमने अपने देश की सिर्फ सीमाएं ही नहीं खोली हैं, बल्कि भारत के सिखों के लिए अपना दिल भी खोल दिया है, और करतारपुर कॉरीडोर इसका परिमाण है”, ये बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिख धर्म के पवित्र स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को भारत के लोगों के लिए खोलते हुए आज से 6 महीने पहले कही थी।
6 महीने पहले पाकिस्तान ने इस गुरुद्वारे को बड़ी धूम-धाम से भारतीयों के लिए खोला था और तब पाकिस्तान ने यहां आठ नए गुंबद भी स्थापित करवाए थे। हालांकि, पाकिस्तान और उसकी अपने अल्पसंख्यकों के प्रति ज़िम्मेदारी का ये प्रतीक एक मामूली सी आंधी-तूफान भी नहीं सह पाया।
दरअसल, कल जब पाकिस्तान में आंधी-तूफान आया तो करतारपुर गुरुद्वारे के 4 गुंबद प्लास्टिक की गेंद की तरह हवा में बह गए और गुरुद्वारे के परिसर में जा गिरे। इससे स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान ने ये गुरुद्वारा मीडिया हेडलाइन्स में छाने के लिए आनन-फानन में बनवाया था।
This is how #KartarpurSahib looks like months after its inauguration…
Few domes of #Kartarpur Sahib Gurudwara in #Pakistan fell after a dust storm hit the area.
Poor quality of construction; poor maintenance and upkeep by Pakistan. pic.twitter.com/Yfsv3koUQj— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) April 18, 2020
भारत में सिख समुदाय ने इस घटना पर अपनी चिंता जताई है। सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं कि आखिर ये गुंबद किस घटिया मेटेरियल से बनाए गए थे कि ये आंधी में ही बह गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन्हें बनाने में सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया था, बल्कि सिर्फ फाइबर से ही इन गुंबदों को खड़ा कर दिया गया था, वो भी घटिया क्वालिटी के फाइबर!
बता दें कि आज से 6 महीने पहले गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती पर सिख समुदाय को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री खान ने कहा था कि करतारपुर कॉरिडोर का ऐतिहासिक उद्घाटन क्षेत्रीय शांति के लिए पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। खान ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा था–
‘हम मानते हैं कि क्षेत्र की समृद्धि और हमारी आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की राह शांति में है। उनकी सरकार से सद्भावना का अभूतपूर्व संकेत गुरु नानक देव और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के प्रति उनके गहरे सम्मान का प्रतिबिंब है”।
जब पाकिस्तान ने इस गुरुद्वारे का उदघाटन किया था तो पूरी दुनिया में इसका ढिंढोरा पीटने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लंदन से लेकर लाहौर तक, मीडिया से लेकर सोशल मीडिया ने पाकिस्तान ने अपने PR कैम्पेन पर करोड़ों का खर्च किया था, लेकिन इस गुरुद्वारे को पाकिस्तान ढंग से अच्छी सामाग्री इस्तेमाल कर नहीं बना पाया। आज उसी का नतीजा है कि इस गुरुद्वारे का यह हाल हो गया है।
समय-समय पर पाकिस्तान पर इस कॉरीडोर के जरिये खालिस्तान आतंकवाद को प्रोत्साहित करने के आरोप भी लगते रहते हैं। बता दें कि कॉरिडोर के शुरुआत से पहले पाकिस्तान द्वारा जारी किए गए आधिकारिक वीडियो में तीन खालिस्तानी अलगाववादी नेताओं को दिखाया गया था जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले भी था। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तब इसे पाकिस्तान का छिपा हुआ एजेंडा बताया था।
पाकिस्तान ने इस गुरुद्वारे की आड़ में अपना भारत- विरोधी एजेंडा चलाने की तो भरपूर कोशिश की, लेकिन वह इस गुरुद्वारे का रख-रखाव भी ढंग से नहीं कर पाया। यह पाकिस्तान के उन दावों की पोल खोलता है जिनमें वह अपने देश में अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशील होने की बात करता है।
पाकिस्तान और उसके अल्पसंख्यकों के बीच के संबंध की मजबूती भी इन्हीं गुंबदों की मजबूती के समान है। पाकिस्तानी सरकार ने अब जल्द से जल्द इस गुरुद्वारे की मरम्मत कराने के निर्देश तो दे दिये हैं, लेकिन इस बात की उम्मीद बेहद कम ही है वह अपने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने के लिए भी कुछ कदम उठाएगा या नहीं।