रस्सी जल जाए पर अकड़ ना जाए जैसे कथन को मौलाना साद जैसे कट्टरपंथी चरितार्थ करते हैं। निज़ामुद्दीन के मरकज भवन के बाशिंदों को भड़काने में शामिल यह व्यक्ति फिलहाल संक्रमण के डर से स्वघोषित quarantine में है। लेकिन अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने, तो यह व्यक्ति अभी भी तब्लीगी जमात के सदस्यों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भड़का रहा है।
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, “मौलाना साद क्वारंटीन की मियाद का इस्तेमाल जमातियों के बीच खुद के लिए समर्थन पाने के लिए कर रहे हैं, क्योंकि कई राज्यों की पुलिस ने उनके अनुयायियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। खुफिया सूत्र, जोकि इस मुद्दे पर पुलिस के साथ कोऑर्डिनेट कर रहे हैं, उनसे मिली जानकारी के अनुसार मौलाना साद शायद दिल्ली में या राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में एक अज्ञात समर्थक के घर पर हैं। पुलिस उसके जाकिर नगर स्थित निवास की कड़ी निगरानी कर रही है” ।
यदि ऐसी बात है, तो फिर भारत में स्थित तब्लीगी जमात के इस मुखिया को पकड़ा क्यों नहीं जाता? इसके पीछे पुलिस की अपनी मजबूरी है, जो कुछ इस प्रकार है, “पुलिस अधिकारी यह भी स्वीकार करते हैं कि अगर मौलाना साद को अब गिरफ्तार किया जाता है तो जमातियों की ओर से हिंसा फैलाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “जैसा कि यह लोग अपने व्यवहार में तेजी से आक्रामक हो रहे हैं। वे मेडिकल स्टाफ और पुलिस के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। इस समय मौलाना साद को गिरफ्तार करना उचित नहीं होगा क्योंकि वर्तमान स्थिति में, हिंसा का मौका देना और भी खतरनाक है।”
बता दें कि तब्लीगी जमात के कारण भारत के वुहान वायरस से निपटने की तैयारी को काफी हानि पहुंची है। जो वुहान वायरस के मामले मार्च खत्म होते होते 1500 भी नहीं थे, वह अचानक से आज सुबह 4000 पार पहुंच गए। इसमें भी आधे से ज़्यादा मामले केवल और केवल तब्लीगी जमात के सदस्यों से संबंधित हैं, जिसका असर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और दिल्ली में सर्वाधिक देखा गया है।
तब्लीगी जमात ने किस हद तक उत्पात मचाया है, इसका अंदाजा आप इस उदाहरण से लगा सकते हैं। मलेशिया का पेंतालिंग मस्जिद दुनिया के कई देशों में कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार बना था। 27 फरवरी से लेकर 1 मार्च के बीच यहां एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम हुआ था जिसमें लगभग 16 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें 1500 विदेशी नागरिक थे और उन सबका दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से संबंध था। अब इस मस्जिद से जाने वाले लोगों को संक्रमित पाया गया है और इसे वायरस फैलाने का सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा है।
भारत में तो इस जमात ने आतंक मचा ही रखा है और देश के कोरोना पॉज़िटिव मामलों में से 30 प्रतिशत इसी तबलीगी जमात के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में शामिल हुए लोगों द्वारा फैलाया गया है। इन उदाहरणों से स्पष्ट हो गया है कि दुनिया भर में धार्मिक गतिविधियां ही कोरोना को फैलाने का सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रही हैं। ऐसे में यदि मौलाना साद जैसे कट्टरपंथियों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो इसके परिणाम काफी घातक हो सकते हैं।