नेपाल चीन की पकड़ में था, चीन ने उसे कोरोना दिया, भारत ने HCQ दिया, अब नेपाल भारत का दोस्त बनने वाला है

HCQ ने चीन की मेहनत पर पानी फेर दिया

नेपाल

PC: दा इंडियन वायर

जब बात दवाओं की हो और भारत का नाम न आए ऐसा कैसे हो सकता है। अभी पूरी दुनिया की नज़र भारत पर है और कारण है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन नाम की दवा। जैसे ही कोरोना ने अपना कहर बरपाना शुरू किया, वैसे ही भारत ने सबसे पहले कुछ दवाओं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है। उनमें से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (HCQ )भी था लेकिन अब भारत ने अमेरिका और कई देशों के आग्रह के बाद इस पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। इसके साथ ही भारत ने ड्रग डिप्लोमेसी शुरू कर दी है। जो देश पहले चीन की ओर मूड़ गए थे उन्हें इस ड्रग डिप्लोमेसी से वापस लाने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसमें से सबसे पहला नाम है नेपाल का।

बता दें कि भारत दुनियाभर के 30 कोरोना प्रभावित देशों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन भेज रहा है, जिसमें पड़ोसी देशों के साथ अरब के देश शामिल हैं। भारत ने अमेरिका, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया को HCQ दवा भेजने का फैसला किया है। इसके साथ ही भारत ने अपने सदाबहार दोस्त इजरायल को भी HCQ की खेप भेजी है।

इसके अलावा भारत ने कहा है कि वह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) और अन्य दवाओं की आपूर्ति करेगा, क्योंकि वे पूरी तरह से फार्मास्यूटिकल्स के लिए भारत पर ही निर्भर हैं। भारत द्वारा पेरासिटामॉल और HCQ दवाओं पर प्रतिबंध में ढील के एक दिन बाद बुधवार को सार्क देशों के अधिकारियों के बीच बैठक में इस पर चर्चा की गई। इन दोनों दवाओं को भारत ने लाइसेंस प्राप्त श्रेणी में रखा है।

एक अधिकारी ने बताया कि, “हम इन देशों को विशेष रूप से नेपाल और भूटान को मदद करेंगे क्योंकि वे कई उत्पादों के लिए पूरी तरह से हमारे ऊपर निर्भर हैं।” बता दें कि नेपाल उन 30 देशों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत को हाइड्रोक्सीक्लोरक्लिन के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के लिए कहा था।

भारत को इस तरह से कई देशों से बिगड़े रिश्ते वापस से पटरी पर वापस लाने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में नेपाल चीन के अधिक निकट हो गया था जिसके कारण भारत को भविष्य में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता। जिस तरह से चीन ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव में निवेश कर इन देशों को अपने इशारे पर नचाता था उसी तरह का इरादा नेपाल के साथ भी था। नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) ने चीन के सहयोग में 11 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का ड्राफ्ट रिलीज किया था। इसमें से ज्यादातर सड़कें और बिजली से जुड़ीं ही परियोजनाएं थीं। इसकी सबसे अहम योजना काठमांडू को चीनी सीमा से जुड़ने वाली रेलरोड का निर्माण है।

नेपाल भी अब चीन को पड़ोसी देश के विकल्प के तौर पर देखने लगा है। नेपाल से साथ भारत के रिश्ते वर्ष 2015 के मवेशियों के मुद्दे को लेकर चले विवाद के कारण बिगड़े थे जिससे दोनों देशों के बीच दूरियां पैदा हो गई थी। वर्ष 2015 में अनाधिकारिक तौर पर हुए ब्लॉकेड से नेपाल में चीन के साथ संबंध मजबूत करने की पुरजोर मांग उठी और जनता भी चीन की ओर देखने लगी। इसी का फायदा चीन ने उठाया और कई ताबड़तोड़ हस्ताक्षर कर नेपाल को अपने पाले में करने लगा। वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद निर्माण कार्यों, सीमेंट फैक्ट्री में विदेशी निवेश व अन्य निजी क्षेत्रों में भी चीन ने कदम आगे बढ़ाए थे। नेपाल-चीन के रिश्तों पर किताब लिखने वाले लेखक अमीश मुल्मी ने हाल ही में लिखा था, चीन, भारत की हर गुस्ताखी और हमारी हर समस्या का रामबाण इलाज बन गया।

परंतु कोरोना ने एक बार फिर से भारत को मौका दिया है क्योंकि कई देशों के साथ नेपाल भी चीन से नाराज है और कारण है चीन के खराब मेडिकल सामान। कोरोना से बचाव के लिए नेपाल ने भी कुछ उपकरण चीन से खरीदे थे, लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी क्वालिटी बेहद खराब थी। इतना ही नहीं चीन ने इन सामानों के एवज में नेपाल से काफी पैसे भी लिए थे। इसके बाद नेपाल सरकार ने चीन द्वारा भेजी गई रैपिड टेस्ट किट के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। करीब 6 लाख यूएस डॉलर मूल्य की टेस्ट किट किसी काम की नहीं होने के बाद नेपाल सरकार ने इसके प्रयोग पर ही रोक लगा दी और सप्लाई करने वाली कंपनी के साथ आगे के सभी खरीद समझौतों को रद्द कर उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया है।

अब भारत ने ऐसे समय पर नेपाल जैसे देश की मदद कर उसे चीन के चंगुल से छुड़ाने के लिए ड्रग डिप्लोमेसी की शुरुआत की है। श्रीलंका और मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद से दोनों ही देश अब चीन नहीं बल्कि भारत की ओर देख रहे हैं। इसी प्रकार से जब जनता में वापस से भारत के प्रति विश्वास जागेगा तभी परिवर्तन आएगा। नकली मेडिकल उपकरण के कारण चीन विरोधी लहरों के बीच ही भारत को वापस जनता के दिल में अपनी जगह बनाने का एक शानदार अवसर मिला है जिसे भारत ने भुनाया भी। वह दिन दूर नहीं जब नेपाल भी श्रीलंका और मालदीव पहले की तरह ही भारत के साथ होंगे।

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