दुनिया का इकलौता सुपर पावर कहे जाने वाला अमेरिका आज कोरोना के सामने नतमस्तक होता दिखाई दे रहा है। देश में कोरोना से ग्रसित लोगों की संख्या 2 लाख पार कर चुकी है और 5 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है । इसी बीच अमेरिका की खूफिया जांच एजेंसी ने यह दावा किया है कि चीन से आने वाले मौत के आंकड़े असली नहीं है, विश्वसनीय नहीं है और असल में वुहान में आधिकारिक आंकड़ों से कई गुना ज़्यादा मौत हुई होगी।
इसी के साथ-साथ CIA ने यह भी दावा किया है कि असली आंकड़ों का खुद जिनपिंग सरकार को नहीं पता है और वुहान के क्षेत्रीय अधिकारी कम्युनिस्ट पार्टी के डर से असली आंकड़े सामने नहीं आने दे रहे हैं। ट्रम्प पहले ही इन आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुके हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद लगाई जा सकती है कि इस कोरोना-काल के खत्म होने के बाद अमेरिका चीन को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
पिछले दिनों ही ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका में कोरोना से बड़ी तबाही आने के संकेत दिये थे। प्रशासन के मुताबिक कोरोना से अमेरिका में लगभग 2 से ढाई लाख लोगों की मौत होने की संभावना है। इसके अलावा ट्रम्प पहले कह चुके हैं कि आने वाले दो सप्ताह सबसे ज़्यादा पीड़ादायक होंगे और इस दौरान मौत का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाएगा।
इस बात में किसी को कोई शक नहीं है कि ट्रम्प ने पहले कोरोना संकट को कम आंका था, लेकिन अब ऐसा लगता है कि ट्रम्प इस बात की ज़िम्मेदारी चीन से आने वाले अविश्वसनीय आंकड़ों पर डालना चाहते हैं। ट्रम्प प्रशासन अब यह दिखाना चाहता है कि चीन ने इस बीमारी के बारे में समय रहते दुनिया को सही जानकारी नहीं दी, और इसी कारण अमेरिका भी इस बीमारी की चपेट में आ गया।
अभी अमेरिका की सबसे बड़ी प्राथमिकता कोरोना संकट से सामना करना है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन के रुख से यह साफ है कि जैसे ही यह संकट खत्म होगा, अमेरिका हाथ धोकर चीन के पीछे पड़ने वाला है। अमेरिकी सांसद पहले ही चीन और WHO के अनैतिक गठबंधन की जांच करने की मांग उठा चुके हैं।
फ्लॉरिडा से रिपब्लिक पार्टी की ओर से सीनेटर रिक स्कॉट ने कांग्रेस द्वारा WHO और चीन के गुप्त सम्बन्धों की जांच करने की मांग उठाने का फैसला लिया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि WHO अमेरिकी पैसे लेकर चीन के प्रोपेगैंडे को दुनियाभर में फैलाने का काम कर रहा है, ऐसे में इस संस्था की जांच की जानी चाहिए। इससे साफ है कि कोरोना काल के खत्म होने के बाद चीन और WHO के अच्छे दिन खत्म होने वाले हैं।
सिर्फ सरकारी स्तर पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका में नागरिक भी चीन के खिलाफ भारी मुकदमे कर चुके हैं। बता दें कि अमेरिका के एक डिस्ट्रिक्ट में एक लॉ फ़र्म ने इस वायरस को फैलाने के लिए चीन के खिलाफ 20 ट्रिलियन US डॉलर का मुकदमा दर्ज़ किया है। White house के अधिकारियों के मुताबिक ये मुकदमा चीन के खिलाफ सभी अमेरिकावासियों को एकजुट कर देगा। यह मुकदमा करने वाली फ़र्म बर्मन लॉ ग्रुप के मुताबिक कोरोना का मामला किसी राजनीतिक पार्टी का मामला नहीं है बल्कि, यह अमेरिका का मामला है और इसके खिलाफ लड़ाई में सबको एकजुट हो जाना चाहिए।
इसी के साथ ही इस लॉ फ़र्म ने कोरोना को छुपाने के लिए भी चीन के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है। इसके अलावा मुकदमे में चीन पर यह आरोप भी लगाया गया है कि चीन ने इसे बायोलॉजिकल युद्ध लड़ने के लिए विकसित किया होगा और इसका जन्म वुहान में स्थित चीन की लैब्स में हुआ होगा।
जिस तरह अमेरिका कि खूफिया एजेंसी सही आंकड़ों का पता लगाने के लिए चीन के पीछे पड़ी हुई हैं और जिस तरह ट्रम्प संकेत दे रहे हैं, उस स्थिति में यह कहा जा सकता है कि एक बार यह कोरोना-काल जैसे ही खत्म होगा, अमेरिका इसकी भरपाई करने के लिए चीन के खिलाफ किसी भी हद तक जाकर कार्रवाई कर सकता है।
अमेरिका की संसद भी चीन के खिलाफ कई जांच बैठाने की तैयारी कर रही है। चीन-अमेरिका के रिश्ते ट्रेड वॉर के चलते पहले ही पटरी से उतर चुके थे, अब कोरोना काल के बाद इन रिश्तों में और ज़्यादा तनाव बढ़ना तय है।