कोरोना की महामारी के समय मेन स्ट्रीम मीडिया में अधिकतर खबरे केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा करोना वायरस के खिलाफ उठाए गए कदमों को ही कवर कर रहा है। जहां देखो वहीं इन दोनों स्तर की सरकार लाइमलाइट में रही हैं। परंतु 130 करोड़ की जनसंख्या में 68 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के बीच ग्राम पंचायत स्तर की सरकार को अक्सर ही भुला दिया जाता है।
स्वतन्त्रता के बाद भारत से दो स्तरीय संघ व्यवस्था को अपनाया गया था लेकिन समय– समय पर भारत में पंचायतों के लिए कई प्रावधान किए गए और 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के साथ इसको अंतिम रूप प्राप्त हुआ था। इसका प्रमुख उद्देश्य ग्राम पंचायत की जमीनी स्तर पर भूमिका को एक मान देना था।
जहां अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश उच्चतम स्तर सुविधाओं के बावजूद कोरोना से पस्त हैं वहीं, कोरोना को हराने में भारत के कई ग्राम पंचायत और सरपंच महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी ने भी उनकी इस भूमिका को सराह रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को पंचायती राज दिवस के मौके पर सभी ग्राम पंचायतों के प्रमुखों को संबोधित किया और नए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल और ऐप की शुरुआत की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बताया कि कोरोना संकट के बीच गांव वालों ने दुनिया को बड़ा संदेश दिया। गांव वालों ने सोशल डिस्टेंसिंग नहीं बल्कि ‘दो गज दूरी’ का संदेश दिया, जिसने कमाल कर दिया।
Interacting with Sarpanchs across the country through Video-Conferencing on Panchayati Raj Divas. https://t.co/irKVx4lKN6
— Narendra Modi (@narendramodi) April 24, 2020
आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है- ‘दो गज दूरी’ का, या कहें ‘दो गज देह की दूरी’ का। इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है।
ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है: PM
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2020
ई ग्राम स्वराज्य पोर्टल और ऐप से ग्राम पंचायतों का लेखाजोखा होगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस पोर्टल और ऐप से पंचायत के विकास कार्यों के लिए फंड की जानकारी रहेगी। इसमें विकास कामों की पूरी जानकारी गांवों के लोगों को पता होगी। इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी और काम तेजी से होगा। पीएम मोदी ने कहा कि ई ग्राम स्वराज्य से बड़ी शक्ति मिलने जा रही है। पीएम मोदी ने कहा कि स्वामित्व योजना में ड्रोन के माध्यम से पूरे गांव की संपत्ति का लेखा-जोखा दिया जाएगा और स्वामित्व का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इससे स्वामित्व को लेकर गांवों में जो झगड़े होते हैं वह खत्म हो जाएंगे और स्वामित्व होने से संपत्ति के आधार पर बैंक से लोन लिया जा सकेगा।
ग्रामीण भारत के लोगों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक दिलाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए आज सरकार ने स्वामित्व योजना का शुभारंभ किया। pic.twitter.com/ySE3mRD8kw
— Narendra Modi (@narendramodi) April 24, 2020
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पीएम मोदी ने कहा, ‘कोरोना संकट ने सिखाया है, आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो, आत्मनिर्भर बनो’। पंचायतें मजबूत होगी तो आखिरी शख्स तक मदद पहुंचेगी। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना की बीमारी ने बहुत कुछ बदल दिया है। पहले हम आमने-सामने रूबरू होते थे लेकिन आज लाखों पंचों और पंचायतों से वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना संकट में पंचायतों की प्रासंगिकता बढ़ गई है। कोरोना ने नई-नई मुसीबतें पैदा की हैं, लेकिन इस महामारी ने हमें नई शिक्षा और संदेश दिया है पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं सभी नागरिकों से कहना चाहता हूं कि कोरोना संकट ने सबसे बड़ा संदेश दिया है कि हमें अब आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा। जिला, पंचायतों को आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा। इससे हमें बाहर की ओर नहीं देखना पड़ेगा।
Today’s discussion with Panchayat Sarpanchs was very insightful. They shared their strategies of fighting COVID-19. I salute all Sarpanchs for their hardwork and efforts in these extraordinary times. https://t.co/vXHQYPL7h6
— Narendra Modi (@narendramodi) April 24, 2020
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बता दें कि जिस तरह से कोरोना के समय में ग्राम पंचायत काम कर रही है और इस लड़ाई में अपना योगदान दे रही है वह केंद्र और राज्य सरकारों के बराबर है। केंद्र की मोदी सरकार शुरू से ही ग्रामीण इलाकों को सीधे सरकार से जोड़ने के लिए पंचायत को पढ़वा देती आई है। इस बार कोरोना से समय में वही विश्वास काम कर रहा है। कोरोना से इस लड़ाई मे ग्राम पंचायतों के एक्टिव रोल ने इस लड़ाई की दिशा ही बदल दी है। लेकीन अभी और काम बाकी है। जिस तरह से मार्च महीने के अंत में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बार्डर पर प्रवासी मजदूरों के अचानक से वापस जाने से समस्या खड़ी हुई थी उससे ग्राम पंचायतों की भूमिका और बढ़ गयी थी क्योंकि अधिकतर मजदूर ग्रामीण इलाकों के ही थे। इसलिए पंचायत क्षेत्रों को अलग-थलग रखना आवश्यक हो गया जिससे ग्रामीण भारत में कोरोना वायरस के नए क्लस्टर नहीं उभरें। वहीं जब से तब्लीगी जमात के उपद्रव के कारण पूरे भारत के कोरोना मामलों में भारी उछाल आया है उससे निपटने के लिए भी ग्राम पंचायतों की भूमिका महत्वपूर्ण थी। इसलिए, ग्राम पंचायतों को अपने क्षेत्रों के निवासियों की पहचान करने के लिए कहा गया जो शायद दिल्ली में निज़ामुद्दीन मरकज़ में शामिल तब्लीगी जमात के सदस्यों के संपर्क में आए हो।
सरकार ने इस प्रकार से संपर्क करने के लिए गाँव प्रशासन पर भरोसा किया जो सफल भी हुए हैं। ग्राम पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्र कि जनता से संपर्क के लिए सबसे बेहतर केंद्र हैं क्योंकि वे सभी घरों की समस्या से परिचित होते हैं। कोरोना से लड़ने के लिए इन प्रतिनिधियों को बड़े स्तर पर मदद लेने का निर्णय लिया गया था। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज (NIRDPR) ने भी ग्राम पंचायतों के प्रवासियों को शहरों से गांवों में लौटने में मदद करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए थे।
पूरे भारत में ग्राम पंचायतें कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका निभा रही हैं। झारखंड में वे दीवारों पर चित्रों के माध्यम से जागरूकता फैला रहे हैं और प्रवासियों को लुभाने के लिए आइसोलेशन वार्ड स्थापित कर रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में, ग्राम पंचायतों को मुसहरों और वनटांगिया जैसे महादलित समुदायों तक पहुंचने के लिए सेवा में लगाया गया था।
राजस्थान का भीलवाड़ा मॉडल पूरे देश मे चर्चा का विषय बना जो इटली बनने की कगार पर था। परंतु ये वहां की सरपंच और पंचायत के कारण ही कोरोना को हराने में सफल हो सका।
श्री @narendramodi जी के साथ चिकित्सक और पुलिस के जवान कोरोना संक्रमण से देश बचाने में लगे हैं तो मैं क्यू पीछे रहुँ ?
श्री राम के सेतु निर्माण में गिलहरी की मदद जैसी एक मदद की कोशिश की हैं।
मेरी ग्राम पंचायत देवरिया , भीलवाड़ा में #COVID19 से बचने हेतु सेनेटाइनेशन करते हुए। pic.twitter.com/JgNJPLxRhb
— Sarpanch Kismat Gurjar (मोदी का परिवार) (@SarpanchOnline) March 25, 2020
वहीं पश्चिम बंगाल में भी, ग्राम पंचायतों ने योगदान दिया है, और आज ग्रामीणों को आवश्यक आपूर्ति के वितरण में एक भूमिका निभाने के अलावा, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) बनाने और वितरित करने में शामिल हैं।
साथ ही कर्नाटक में, येदियुरप्पा सरकार ने ग्राम-स्तरीय टास्क फोर्स की स्थापना की जिसमें ग्राम पंचायत और स्थानीय सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद का गांव है, जहां की महिला ग्राम प्रधान वर्षा सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर कोरोना से गांव को मुक्त रखने के लिए ग्राम पंचायत में तीन बार दवा का छिड़काव करवाया है, और गांव को सैनीटाइज करवाया है। इस ग्राम पंचायत में 500 लोगों को मास्क वितरण किया गया, जबकि हर घर में साबुन और सैनीटाइजेशन मुहैया करवाया गया है। जिन गरीब और घुमन्तू परिवारों का राशन कार्ड नहीं था, उन्हें भी राशन की व्यवस्था की गई है। अति गरीब परिवारों को राशन मुहैया करवाने के साथ-साथ सब्जी और अऩ्य जरूरी आवश्यकताओं की पूरी व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही उज्जवला योजना, श्रम विभाग के लाभार्थियों, पीएम किसान सम्मान निधि और जनधन योजना के पात्र महिला लाभार्थियों की सहायता की गई है।
यदि भारत कोरोना के बढ़ते मामलों में कुछ कमी ला सका है तो इसका श्रेय काफी हद तक पंचायतों को जाता है जिन्होंने वुहान वायरस के खिलाफ लड़ाई को देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं आज ट्रम्प और बोरिस जॉनसन जैसे दुनिया बड़े नेता कोरोना की महामारी में फेल हो रहे हैं तो वहीं हमारे देश के कैब सरपंच इसमें अव्वल आये हैं।
देश के इसी पंचायती राज व्यवस्था के कारण ही आज COVID-19 को अन्य देशों के मुक़ाबले कम रखने वाले दुनिया के कुछ ही देशों में से एक है। ये प्रधानमंत्री मोदी ही हैं जो इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं और ग्राम पंचायतों की सराहना कर उनकी भूमिका और उनके महत्व को याद दिलाते रहते हैं।