जैसे जैसे भारत में वुहान वायरस के मामले में बढ़ोत्तरी हो रही है, वैसे ही वामपंथी पोर्टल्स फेक न्यूज़ में भी बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। परन्तु इस बार वे यूं ही बचकर निकल नहीं पाएंगे, क्योंकि इस बार उनके सामने खड़ा है प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो का फैक्ट चेक हैंडल, जो आए दिन इनके द्वारा फैलाए जा रहे फेक न्यूज़ के धज्जियां उड़ाते हुए दिख रहा है।
हाल ही में प्रकाशित जन सत्ता की रिपोर्ट के अनुसार कन्नड़ न्यूज़ चैनल पब्लिक टीवी ने यह खबर प्रसारित की कि मोदी सरकार जल्दी ही दूर दराज के क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर से पैसे गिराकर गरीबों की मदद करेगी। पीटीआई के अनुसार इस खबर को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से शिकायत की गई, जिसपर तुरंत कार्रवाई करते हुए मंत्रालय ने पब्लिक टीवी को कारण बताओ नोटिस भेजा है और साथ ही निर्देश भी दिया है कि दस दिन के भीतर रिप्लाई करना है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक एम नागेन्द्र स्वामी ने बताया-
“जब पूरा देश COVID 19 से लड़ रहा है, तो इस संकट काल में लोगों को जागरूक करने के बजाए आपका चैनल फर्जी जानकारी फैला रहा है, पैनिक क्रिएट कर रहा है”।
इसके अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया हाल ही में फेक न्यूज़ फैलाता हुआ पकड़ा गया, जिसके कारण उसकी खूब फजीहत हुई। हाल ही में भारत ने अमेरिका सहित कई देशों को HCQ यानी हाईड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन की आपूर्ति देने पर सहमति जताई है। इसपर टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह टिप्पणी करते हुए एक लेख छापा, “मुंबई के डॉक्टरों के पास HCQ की सप्लाई तो है नहीं और भारत चल दिया दुनिया भर को आपूर्ति देने।”
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “शहर में इस दवा की कोई कमी नहीं है। हमारे पास अस्पताल में 90000 टैबलेट्स और शहर के बीएमसी स्टोर में 10 लाख से ज़्यादा टैबलेट है। कृपया अफवाहों पर ध्यान ना दें।”
इसके अलावा प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने भी इंडिया टाइम्स के रिपोर्ट की धज्जियां उड़ाते हुए उसे फेक करार दिया, और फलस्वरूप इंडिया टाइम्स को अपना विवादित लेख हटाना ही पड़ा।
#PIBFactCheck
Claim : A prominent newsportal has claimed #HCQ or #Hydroxychloroquine stocks in Mumbai have run out
Fact: MoHFW has allocated 34 lakh tablets of HCQ to Maharashtra upto 9 April. So supply is much more than present requirement. It has also made its own procurement. pic.twitter.com/FnibB7JebK— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 10, 2020
इसके बाद तो मानो पीआईबी ने फेक न्यूज़ रूपी असुर का संहार करने के लिए कमर कस ली। जो कोई भी भारत की वुहान वायरस से निपटने की लड़ाई में बाधा बनने का प्रयास करता, उसकी धुलाई करने में पीआईबी तनिक भी समय नहीं गंवाता है।
उदाहरण के लिए वामपंथी पोर्टल स्क्रोल ने अफवाह फैलाई कि लॉक डाउन के कारण जहानाबाद में एक बाल गृह में बच्चों को मेंढक खाना पड़ रहा है, जो कि सरासर झूठ निकला, जिसके पीछे पीआईबी ने स्क्रॉल को आड़े हाथों लिया –
Claim: Scroll -a prominent media portal has claimed children in Jehanabad, Bihar are eating frogs as they have no food at home. The video has since gone viral.#PIBFactCheck: The claim is false as inquired by Jehanabad DM, there is sufficient food in the homes of the children pic.twitter.com/GwXlSCVwHD
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 20, 2020
इसी भांति अफवाह फैली की रेलवे 13 लाख कर्मचारियों की वेतन में कटौती करने जा रहा है, जिसके लिए रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट से एक कथित स्क्रीनशॉट भी डाला गया। परन्तु जांच पड़ताल में पीआईबी ने इसे भी फेक पाया और तुरंत ही उन्होंने ट्वीट किया, “दावा : लॉकडाउन के कारण, रेल मंत्रालय के द्वारा 13 लाख से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने की योजना बनाई जा रही है|
तथ्य : यह दावा झूठ है| रेल मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई भी योजना नहीं बनाई जा रही|” –
दावा : लॉकडाउन के कारण, रेल मंत्रालय के द्वारा 13 लाख से ज्यादा अधिकारियो और कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने की योजना बनाई जा रही है|
तथ्य : यह दावा झूठ है| रेल मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई भी योजना नहीं बनाई जा रही| pic.twitter.com/o9v2b6YzVA
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 20, 2020
परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकी। वुहान वायरस के नाम पर मुसलमानों में अफवाह फैलाई गई कि क्वारांटीन के नाम पर उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा गया, तो फिर पीआईबी ने मोर्चा संभालते हुए ट्वीट किया, “दावा : सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को #Covid_19 के बहाने जबरन क्वारनटीन में ले जाया जा रहा है जो वास्तव में डिटेंशन केंद्र हैं.
वास्तविकता : ये दावा झूठा है |
ऐसी खबरों का उद्देश्य समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है।” –
दावा : सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को #Covid_19 के बहाने जबरन क्वारनटीन में ले जाया जा रहा है जो वास्तव में डिटेंशन केंद्र हैं|
वास्तविकता : ये दावा झूठा है |
ऐसी खबरों का उद्देश्य समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है। pic.twitter.com/V0zttgyh0N— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 18, 2020
सच कहें तो पीआईबी ने वह किया जो बहुत पहले ही सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए था। जिस चपलता से वे एक के बाद कई वामपंथी पोर्टल्स के झूठे दावों को निष्क्रिय सिद्ध कर रहे हैं, उससे साफ है कि वे अब इनकी झूठ की दुकान को और नहीं चलने देंगे।