एक तरह दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ WHO चीन के तोते की तरह चीन के ही गीत गाये जा रहा है। WHO के प्रमुख Tedros Adhanom Ghebreyesus की पिछले एक महीने में खूब आलोचना हुई है। जिस तरह से उन्होंने स्पष्ट तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का बचाव किया है उससे विश्व के कई नेता खिन्न है और WHO पर कर्रवाई की बात कर रहे हैं। लेकिन डॉ टेडरोस कोरोना में WHO की गलती स्वीकारने के बजाए अभी भी चीन का ही बचाव करते दिखाई दे रहे हैं।
कल जब WHO प्रमुख Ghebreyesus से डोनाल्ड ट्रम्प के आरोपों और फंडिंग रोकने से जुड़े सवाल किए गए तो उन्होंने सीधा सीधा जवाब दे दिया कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने आगे कहा “ऐसा करने से मतभेद बढ़ते हैं। इस समय हमें एक दूसरे में कमी निकालने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर आप और ज्यादा मौतें देखना चाहते हैं, तो ही ऐसा करिए। कोरोना से हर मिनट लोग मर रहे हैं। अगर हम जल्दी एकजुट नहीं हुए तो स्थिति और खराब हो सकती है। कोरोना के बारे में अब भी बहुत कुछ हमें पता नहीं है। यह एक नया वायरस है। हमें पता नहीं कि आगे जाकर यह कैसे व्यवहार करेगा। इसलिए हमारा एकजुट होना पहले से कहीं अधिक जरूरी है।”
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन का साथ देने, कोरोना वायरस की बात छुपाने का आरोप लगाया है। यही नहीं उन्होंने लगातार अमेरिका द्वारा WHO को दी जाने वाली फंडिंग रोकने की धमकी दे रहे हैं और उन्होंने संकेत दिए हैं कि इस दिशा में कदम बढ़ाए जा चुके हैं।
यह समझने वाली बात थी कि इस प्रेस कोन्फ्रेंस के दौरान डॉ Ghebreyesus ने एक बार भी हुई चूक नहीं मानी। बता दें कि WHO ने ही यह कहा था कि यह वायरस human-to-Human नहीं फैलता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि WHO की एक गलती के कारण आज पूरे यूरोप में तबाही आई हुई है। ताइवान द्वारा इस वायरस के बारे में दिसंबर में बताने के बावजूद WHO ने ताइवान को नजरंदाज कर दिया था। अगर टेडरोस को लोगों की जान बचाने की इतनी ही फिक्र होती तो ताइवान द्वारा रिपोर्ट करने के तुरंत बाद ही इसे इमरजेंसी घोषित कर दिया जाता और लाखों लोगों की जान बच जाती।
टेडरोस को तो बस चीन का बचाव करना था और वे वही करते रहे। जिस तरीके से WHO ने ताइवान को नजरंदाज किया है वह भी इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा। ताइवान ने जिस तरीके से अपने देश में कोरोना के प्रसार को रोका है वह सराहनीय है जिसे विश्व के कई देशों ने समर्थन दिया है। जब कोरोना पूरी दुनिया में फैल गयाऔर महामारी का स्वरूप ले लिया तब ताइवान ने भी WHO के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और चीन के साथ साँठ-गांठ की बात कहना आरंभ किया। इसी का नतीजा है कि चीन और WHO दोनों इस बार एक्सपोज हो चुके हैं। जब ताइवान ने WHO के साथ बीजिंग के सम्बन्धों पर प्रहार करना शुरू किया है तब से डॉ टेडरोस और चीन दोनों तिलमिलाए हुए हैं। डॉ टेडरोस तो ताइवान को सराहने के बजाए हमला करते हुए विक्टिम कार्ड और अल्पसंख्यक कार्ड खेलना शुरू कर चुके है।
प्रेस कोन्फ्रेंस में WHO के प्रमुख ने “नस्लवादी हमलों” के लिए ताइवान पर हमला किया और ताइवान के विदेश मंत्रालय (MOFA) पर मिलीभगत होने का आरोप लगाया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, एक रिपोर्टर ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोस से पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जैसे वैश्विक नेता की आलोचना से उनके नैतिक अधिकार के साथ महामारी के दौरान काम करना अधिक कठिन था। इस पर टेडरोस ने दावा किया कि पिछले तीन महीनों से उनपर नस्लवादी हमलों और मौत की धमकियों मिल रहे हैं। और यह नस्लवादी हमले ताइवान से हो रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कुछ ने उन्हें “नीग्रो” कहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि MOFA ने मुझे अपमानित करने और अपमानित करने के बीच भी मेरी आलोचना शुरू कर दी, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की।”
यहाँ यह देखने वाली बात है कि Tedros ने ताइवान पर आरोप तो लगा दिया लेकिन उन्होंने ताइवान की WHO में सदस्यता पर कुछ नहीं बोला और न ही यह बताया कि ताइवान द्वारा डाटा दिये जाने के बावजूद WHO ने उसे विश्व के अन्य देशों से साझा क्यों नहीं किया। अब जब उनकी गलती सभी के सामने आ गई है तो वे उल्टा विक्टिम कार्ड खेलने लगे हैं।
हालांकि, बाद में ताइवान ने भी टेडरोस के इस बयान का खंडन किया और इसे आधारहीन बताया। WHO किस तरीके से ताइवान को नजरंदाज करता है उसका नजारा हमे रेडियो टेलीविजन हॉन्ग-कॉन्ग RTHK के एक कार्यक्रम में भी देखने को मिला था। जब एक पत्रकार ने वीडियो कॉल पर WHO से ताइवान की स्थिति के बारे में पूछा तो पहले तो डब्लूएचओ के महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने वीडियो कॉल ही काट दिया। लेकिन जब पत्रकार ने दोबारा उनसे सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि इस बारे में चीन से बात हो चुकी है।
Looks like the WHO has a poor connection with more than just reality. https://t.co/2zG8xi63SG
— Taiwan Presidential Office Spokesperson (@TaiwanPresSPOX) March 29, 2020
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने पहले तो पत्रकार के उस सवाल को अनसुना कर दिया जिसमें यह पूछा गया था कि क्या संयुक्त राष्ट्र WHO में ताइवान की सदस्यता पर पुनर्विचार करेगा। मालूम हो कि 1945 से ताइवान को चीन सरकार द्वारा शासित किया जा रहा है। बीजिंग हमेशा जोर देकर कहता है कि यह द्वीप उसके क्षेत्र का हिस्सा है और अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय निकायों पर अपनी ‘वन चाइना’ नीति का पालन करने के लिए दबाव डालता है।
Taiwan had warned of the dangers of COVID-19 aka Chinese Virus as early as in December, YES December 2019 but the thoroughly compromised WHO ignored the input. Both China and WHO need to be penalised. See copy of letter by Taiwanese Rep. to the Economist 👇 pic.twitter.com/XuyG5J7vn4
— Nitin A. Gokhale (@nitingokhale) March 28, 2020
बता दें कि ताइवान ने COVID-19 उर्फ चीनी वायरस के खतरों के बारे में दिसंबर, 2019 की शुरुआत में चेतावनी दी थी, लेकिन WHO ने नजरअंदाज कर दिया था। यही नहीं कोरोनावायरस जनवरी के महीने में बुरी तरह फैल चुका था, जिस पर चीन की दुनियाभर में आलोचना हो रही थी लेकिन WHO ने इस पर चीन की काफी तारीफ की थी। इसके साथ ही चीन के बाहर भी कुछ कोरोना के मरीज आ चुके थे तब भी WHO ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह रोग ह्यूमन टू ह्यूमन नहीं फैलता।
ताइवान इससे पहले भी WHO पर अनदेखी करने का आरोप लगा चुका है। ताइवान का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह रवैया ताइवान के नागरिकों के जीवन को जोखिम में डालता है। ताइवान का आरोप है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसा चीन के दबाव में आकर कर रहा है, क्योंकि उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाहर होने का दबाव है।
जिस तरह से चीन और WHO की साँठ-गांठ सामने आ रही है उससे अन्य देशों को भी सावधान हो जाना चाहिए और इन दोनों पर ही विश्व के करोड़ों लोगों की जान से खेलने का आरोप लगाकर इन्हें प्रतिबंधित कर देना चाहिए।