हाल ही में अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानि USCIRF ने एक बार फिर भारत विरोधी रुख अपनाते हुए भारत में हो रही कथित मुस्लिमों पर हिंसा और CAA कानून पर अपनी चिंता जताई और साथ ही भारत को “खास चिंता वाले देशों” की सूची में डाल दिया।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह निर्णय कितना पक्षपात पूर्ण था। परन्तु जिस तरह से देश इरफान खान की असामयिक मृत्यु पर शोकाकुल हुआ, उससे सिद्ध हुआ है कि कैसे USCIRF के आरोप एकदम निराधार और कोरी बकवास है।
हाल ही में कोलोन इंफेक्शन के कारण इरफान खान का मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में असामयिक निधन हुआ था। यह खबर क्या सार्वजनिक हुई, लगभग पूरा देश शोक के सागर में डूब गया। देश और दुनिया भर से इरफान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्वीट्स पोस्ट किए जा रहे थे, जिनमें से एक कुछ प्रकार से था।
A star joins other stars in the sky. Thank you for everything, Irrfan Khan
“Death is as sure for that which is born, as birth is for that which is dead. Therefore grieve not for what is inevitable.”
― Bhagavad Gita pic.twitter.com/WKaOlgf4bi— Paulo Coelho (@paulocoelho) April 30, 2020
इस ट्वीट में विश्व प्रसिद्ध लेखक पाउलो कोएल्हो ने इरफान खान को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु भगवद गीता के श्लोकों का सहारा लिया, जिसे बड़ी खूबसूरती से एक ट्वीट में उकेरते हुए एक यूज़र ने कहा-
“यही तो भारत की खूबसूरती है। एक मुसलमान व्यक्ति की मृत्यु पर एक विदेशी इसाई लेखक हिन्दू श्लोकों का उच्चारण कर रह है”।
https://twitter.com/KhosoSaalim/status/1255707148660727808
जब इरफान की मृत्यु हुई, तो भारतीयों ने मजहब के चश्मे से ना देखते हुए उन्हें एक ऐसे अभिनेता के तौर पर देखा, जिसने अपने अभिनय से लोगों के जीवन में एक अहम बदलाव लाने में सहायता की। शायद इसीलिए कई राष्ट्रवादी इस बात को दोहराते हैं, हमें अब्दुल कलम और इरफान से नहीं, कसाब जैसे लोगों से चिढ़ होती है”
Can you just see the trend on Twitter India. Entire country is mourning for the death of Irrfan khan. He was from the Minority that you guys were mentioning about.India only hates bad people irrespective of religion.
— Ankith Sarda (Modiji Ka Parivar) (@ankith_sarda) April 29, 2020
USCIRF यदि ज़रा भी अक्लमंद होती, तो एक बार वे अवश्य देखती की किस प्रकार से क्षेत्र, जाति और मजहब की सीमाएं पार करते हुए पूरा देश एक सच्चे मुसलमान की असामयिक मृत्यु पर फूट-फूट कर रोया था।
जिस उद्योग में बिना किसी पहचान और ऊंची पहुंच के अपनी पहचान बना पाना लगभग असम्भव था, उस बॉलीवुड में इरफान एक चमकते सितारे के रूप में उभर कर सामने आए। क्या बूढ़े, क्या युवा, हर कोई उनकी अदाकारी का दीवाना था। शायद यही कारण है देश और दुनिया भर में कई लोग उनके निधन से काफी ज़्यादा व्यथित हैं।
पूरा वामपंथी ब्रिगेड और सेक्युलर मीडिया ये धारणा फैलाना चाहती है कि भारतीय मुसलमानों को खतरा है, और उन्हें अंतरराष्ट्रीय सहायता की बहुत जरूरत है। परन्तु इरफान खान की मृत्यु पर भारतवासियों की प्रतिक्रिया ने मानो उनके सारे किए कराए पर पानी फेर दिया था।
USCIRF के इन तीन सदस्यों का इस तरह इस रिपोर्ट के खिलाफ बोलना इसकी विश्वसनीयता की पोल खोलकर रख देता है। USCIRF समय-समय पर भारत विरोधी बयान जारी करता रहता है। भारत को इस लिस्ट में उस समय शामिल करना, जब इरफान खान की मृत्यु पर देश सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल स्थापित करने में लगा हुआ था, यह सिद्ध करता है कि अब उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं बची है और वह एजेंडे के तहत ही बार-बार भारत को बदनाम करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है।