कोरोना को लेकर चीन शुरू से ही झूठ बोलता आया है। कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़ों से लेकर कोरोनावायरस की उत्पत्ति संबन्धित जानकारी तक, चीन ने शुरू से ही दुनिया को झूठ परोसने का काम किया है। हालांकि, अब लगता है कि चीन के इन झूठे दावों को मानने वाला कोई नहीं बचा है, और पूरा विश्व अब चीन को कटघरे में खड़ा करने मेँ लगा है। चीन को मज़ा चखाने के लिए अब Five Eyes देशों के समूह ने कमर कस ली है। इन पाँच देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं। ये सभी देश आपस में बेहद विस्तृत और गहरी खूफिया सूचना साझा करते हैं। इन सब देशों का एकसाथ चीन पर वार करना और वुहान वायरस को लेकर वुहान स्थित लैब के बारे में जांच करने की बात कहना दर्शाता है कि इन देशों के पास वाकई चीन से संबन्धित कोई आवश्यक खूफिया सूचना हो सकती है और ये देश मिलकर इसके लिए चीन को सबक सीखा सकते हैं।
Five Eyes देशों के दो देश अमेरिका और UK में कोरोनावायरस ने सबसे ज़्यादा तबाही मचाई है। अमेरिका में तो कोरोना से लगभग 8 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि लगभग 50 हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यही कारण है कि लगातार अमेरिका वुहान लैब theory पर बार-बार प्रकाश डाल रहा है और ऑस्ट्रेलिया और UK से भी उसे भरपूर समर्थन मिल रहा है।
अमेरिका तो शुरू से ही चीन पर कोरोनावायरस को लेकर बड़े आरोप लगाता रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान स्थित एक प्रयोगशाला से बाहर निकला है। इस प्रयोगशाला में चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी। अब ट्रंप चाहते हैं कि इस प्रयोगशाला की बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए। हालांकि, अमेरिका अपने स्तर पर इस लैब की जांच कर रहा है। हाल ही में अमेरिका ने चीन से अपने अधिकारियों को वुहान लैब का परीक्षण करने की छूट देने को भी कहा था, जिसे चीन ने अस्वीकार कर दिया। ट्रम्प यह पहले ही कह चुके हैं कि अगर यह सामने आता है कि चीन ने सबकुछ जानबूझकर किया तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो वहाँ के विदेश मंत्री पहले ही US का समर्थन करते हुए चीन पर आंकड़े छिपाने और पारदर्शिता ना बरतने के आरोप लगा चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मैरिज़ पेन ने हाल ही में चीन द्वारा कोरोनावायरस को लेकर संभावित ढील बरतने की जांच करने का समर्थन करने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन भी अपने विदेश मंत्री को समर्थन दे चुके हैं।
उधर, UK में भी अच्छा-खासा चीन विरोध देखने को मिल रहा है और लगातार Wuhan Lab theory के पक्ष में बात कही जा रही है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने हाल ही में कहा था कि चीन ने शुरुआती दौर में जिस तरह कोरोनावायरस से निपटने की कोशिश की, उसकी गहरी समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था “ब्रिटेन सरकार को चीन से जरूर कड़े सवाल पूछने चाहिए कि आखिर कैसे यह महामारी सामने आई”।
Five Eyes के तीन सदस्य देशों का एक साथ होकर चीन की जांच करने की बात बोलना दिखाता है कि इन देशों के पास चीन के खिलाफ कोई खूफिया सुराग भी हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था तो काफी हद तक चीन पर ही निर्भर है, और अभी ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन है। वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच करीब 195 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ। ऑस्ट्रेलिया के कुल एक्स्पोर्ट्स का 30 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा चीऩ को ही एक्सपोर्ट होता है, यानि जितना एक्सपोर्ट ऑस्ट्रेलिया कुल मिलाकर भारत, अमेरिका, जापान और साउथ कोरिया को करता है, उतना सामान तो ऑस्ट्रेलिया केवल चीऩ को एक्सपोर्ट करता है। वर्ष 2017-18 में चीऩ को ऑस्ट्रेलिया ने 123 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का एक्सपोर्ट किया। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया का खुलकर चीन के खिलाफ बोलना दिखाता है कि ये सब देश मिलकर भविष्य में चीन के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लेने की तैयारी में हैं, और चीन आज जो खुशियाँ मना रहा है, वह काफी दिनों तक नहीं टिकने वाली।