कल मुंबई के बांद्रा से एक डरा देने वाली तस्वीर सामने आई, जिसमें हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर बांद्रा स्टेशन के सामने इकट्ठा हुए। ये घटना क्या सामने आई, मानो मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए अदद मटेरियल विपक्ष को मिल गया हो। आदित्य ठाकरे ने तो केंद्र सरकार पर इस काण्ड का ठीकरा फोड़ने का भी प्रयास किया। पर जांच पड़ताल में जो बातें सामने आईं, उससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि यह आग महाराष्ट्र के वर्तमान सरकार की ही लगाई हुई थी और इसपर हो हल्ला मचा उन्होंने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।
जांच पड़ताल में यह सामने आया कि CAA विरोधी अभियान का हिस्सा बनने वाले एक व्यक्ति विनय दूबे ने ये सारा खेल रचा था। पुलिस ने अनुसार विजय ‘चलो घर की ओर’ कैंपेन चला रहा था। उसने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट में भी इस बात का जिक्र किया था। हालांकि बाद में पोस्ट को हटा दिया गया।
फिलहाल पुलिस ने विनय दुबे के खिलाफ धारा-188 और महामारी अधिनियम (Epidemic Act) के तहत केस दर्ज किया है. वहीं इस मामले में पुलिस ने लगभग 1000 लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
इतना ही नहीं, जनाब के जांच पड़ताल पर एनसीपी पार्टी के साथ घनिष्ठ संबंध भी सामने आए हैं। इंडिया टीवी पर प्रसारित होने वाले शो आज की बात में प्रख्यात पत्रकार रजत शर्मा ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए विनय दूबे की पोल खोल दी। उन्होंने ये भी दावा किया कि वह कथित मजदूर ना बिहार के थे और ना ही यूपी के, अपितु बंगाल से सम्बन्ध रखते थे.
परन्तु विनय दूबे को ऐसा करने की जरूरत क्या पड़ी? ऐसा क्या हुआ कि इस व्यक्ति ने उस जगह पर विशाल भीड़ बुलाई, जहां से अब तक 300 से भी अधिक संक्रमित पाए गए हैं?
इससे पहले कि हम इस बात की तह तक जाएं, बता दें कि एक झूठी खबर के आधार पर मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई। कथित तौर पर ये लोग अपने आप को बिहार और उत्तर प्रदेश से संबंधित बता रहे ये लोग घर जाने की जिद कर रहे थे। राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन को बढ़ाने के निर्णय के तुरंत बाद यह घटना हुई थी। पर जांच पड़ताल में जो बातें सामने आईं, वह कुछ और ही सच्चाई उजागर करती है।
यहां प्रशासन तो इस प्रकार से बेबस नजर आती है, जैसे कि भीड़ आसमान से बरसा हो और इकट्ठा होने की खबर इन्हें पता ही नहीं चली। यह बताना बेहद जरुरी है कि ये घटना मातोश्री से महज दो किलोमीटर की दूरी पर घटी थी। मातोश्री उद्धव का पुश्तैनी आवास है. यहीं नहीं बांद्रा धारावी से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है जहां कोरोना के कई मामले सामने आ चुके हैं.
बांद्रा में भीड़ इकट्ठा होने की जड़ एक अफवाह बताई जा रही है। अफवाह ये फैलाया गया कि बांद्रा स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन मिल रही है, जिससे प्रवासी लोग अपने घर जा सकते हैं। इसके अलावा एक अफवाह ये भी उड़ाई गई कि यहां लोगों को राशन बांटा जा रहा है, जिसकी वजह से लोग इकट्ठा हो गए।
एनसीपी से घनिष्ठ संबंध रखने वाले विनय दूबे इस अफवाह को फैलाने वाले कुछ प्रमुख लोगों में शामिल थे। इस व्यक्ति ने यहां तक धमकी दी कि यदि उसकी मांगें नहीं मानी गई और ट्रेन सेवाओं को बहाल नहीं किया गया, तो वह मुंबई से बिहार तक एक विशाल पदयात्रा कराएगा।
मालूम हो कि उस भीड़ में ज्यादातर लोग प्रवासी मजदूर ही थे जो अपनी रोजी-रोटी के लिए मुंबई में रह रहे हैं। फिलहाल इन प्रवासियों को कंटेंमेंट जोन में रखा गया है। वहीं सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि इस भीड़ में शामिल लोगों ने अपने साथ कोई सामान नहीं लिया था। यानि वो खाली हाथ आए थे।
यहां उद्धव ठाकरे सरकार पर कुछ सवाल उठते हैं। अगर उन्होंने प्रवासियों के रहने-खाने का प्रबंध किया था तो वे राशन की अफवाह पर क्यों भीड़ लगा रहे थे? दूसरी बात बांद्रा में भीड़ इकट्ठा हो जाती है और प्रशासन को खबर तक नहीं लगती है।
वहीं कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी का दावा है कि बांद्रा पश्चिम और पूर्व में रहने वाले प्रवासियों को ऐसी कोई मदद नहीं दी जाती है। सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने और उनके पिता ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता से 45,000 प्रवासियों को भोजन और राशन देने में मदद की है क्योंकि उन्हें राज्य सरकार से कोई राशन नहीं मिला है।
#Exclusive #Breaking | @INCIndia MLA @zeeshan_iyc exposes Maha Vikas Aghadi Govt.
Govt has not provided any food to the migrant workers, we had to provide it on our own: Zeeshan Siddique.
Details by TIMES NOW's Aruneel & Kajal. pic.twitter.com/mPVgc6XvLj
— TIMES NOW (@TimesNow) April 14, 2020
सच कहें तो इस बार उद्धव ठाकरे की सरकार ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। जिस तरह से एनसीपी के एक सख्श ने महाराष्ट्र के लाखों लोगों की जान खतरे में डाली है उससे सिद्ध होता है कि वास्तव में महाराष्ट्र के लोगों के लिए महा विकास अघाड़ी कोई हितैषी गठबंधन नहीं है. और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए भी केवल सत्ता मायने रखती है, मानवता और नैतिकता से दूर-दूर तक मियां का कोई नाता नहीं है।