देश में कोरोना का कहर है और देशवासी इस कहर से निपटने के लिए जी जान लगा कर जुटे हुए है। लगातार दूसरी बात बहुमत से सरकार बनाने वाली पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। तबलिगियों द्वारा कोरोना का आतंक फैलाने से पहले कुछ अन्य देशों की तुलना में कोरोना के मामलों का दर भारत में सबसे न्यूनतम था।
लेकिन इस बीच भी राजनीति की रोटी सेंकने वाले अपना काम जारी रखे हुए हैं। लगातार 2 कार्यकाल तक सत्ता न मिलने से कांग्रेस पार्टी तो तिलमिला चुकी है, साथ ही कांग्रेस इकोसिस्टम के पत्रकार और स्वयं को सभी विषयों का ज्ञानी समझने वाले बुद्धिजीवी पार्टी से अधिक तिलमिलाए हुए है। अब कोरोना महामारी के समय मोदी सरकार को गिराने का नया बहाना ढूंढ लिया है। ये सभी अब ये कह रहे हैं कि कोरोना आज़ादी के बाद सबसे भयंकर इमरजेंसी है इसीलिए मोदी सरकार को सभी पार्टियों को मिला कर एक केबिनेट बनाना चाहिए। इससे देश को चलाने में मदद मिलेगी।
रघुराम राजन से लेकर रामचंद्रा गुहा अलग अलग तरीके से यही कहना चाहते हैं। एक तरफ रघुराम राजन अर्थव्यवस्था का बहाना दे रहे हैं तो राम चन्द्र गुहा इतिहास और अपने जाने पहचाने अंदाज में जवाहर लाल नेहरू की दुहाई दे रहे हैं।
रघुराम राजन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने लिखा-
“आर्थिक तौर पर आज की तारीख में भारत आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़ी आपातकाल का सामना कर रहा है। इससे पहले साल 2008-09 के दौरान मांग में भारी गिरावट की वजह से गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। लेकिन, तब के हालात अलग थे।‘’
उन्होंने कहा कि भारत इस संकट को सही प्राथमिकताओं और प्रतिबद्धता के साथ मात दे सकता है। लंबा चौड़ा ज्ञान देने के बाद उन्होंने अपना असली एजेंडा लिखते हुए सुझाव दिया कि सरकार को अन्य क्षेत्रों से एक्स्पर्ट्स को बुलाना चाहिए। उन्होंने आगे लिखा कि सरकार चाहे तो अन्य विपक्षी पार्टियों के एक्सपर्ट को बुला सकती है जिन्हें Global Financial Crisis के समय का अनुभव है। अगर सरकार सभी कुछ इसी PMO के साथ चलती है तो यह बहुत कम होगा और बहुत देर से होगा।
रघुराम राजन की बात सुनकर कोई भी व्यक्ति जो थोड़ा बहुत राजनीति जानता है वह तुरंत समझ जाएगा कि ये किस पार्टी के लोगों की बात कर रहे हैं और कब Global Financial Crisis आया था। रघुराम राजन का कांग्रेस के साथ साँठ-गांठ तो सभी को पता था लेकिन वह इस कदर कांग्रेस पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए लेख लिखेंगे इसका अंदाजा नहीं था।
इनके कहने का स्पष्ट यही मतलब है कि PMO में कांग्रेस पार्टी को स्थान मिले। हर बात में डेमोक्रेसी की दुहाई देने वाले यही बुद्धिजीवी अब इस तरह की बात कर रहे हैं जो न तो लोकतांत्रिक है और न ही केंद्र में कोई कमजोर सरकार जिसे इस तरह के सुझावो की आवश्यकता।
इसी तरह के एक और कथित महान वैज्ञानिक हैं राम चन्द्र गुहा, जो कहने को तो अपने आप को इतिहासकार कहते हैं लेकिन आज तक कांग्रेस के बाहर इन्होंने कुछ देखा ही नहीं, गांधी परिवार इनके लिए पूज्यनीय है और ये उन्हीं की पूजा करते रहते हैं।
इन्होंने ने भी हिंदुस्तान टाइम्स में एक लेख लिख दिया और मौजूदा स्थिति की तुलना स्वतंत्रता के समय के भारत से कर दी है। उनके लेख का शीर्षक ही कुछ ऐसा था, “Shed partisanship, reach out to the best minds” यानि पार्टी छोड़कर सबसे बेस्ट लोगों तक सरकार पहुंचे।
https://twitter.com/Ram_Guha/status/1246653485761744899?s=20
उन्होंने अपने लेख में नेहरू की बड़ाई करते हुए यह बताया है कि किस तरह नेहरू ने कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियों के नेताओं को भी अपने केबिनेट में स्थान दिया था। उन्होंने लिखा-
“1947 में, नेहरू अपने उग्र आलोचकों के पास पहुँचे और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने नौकरशाहों के साथ काम किया जिन्होंने ब्रिटिश राज को स्वतंत्रता संग्राम को दबाने में मदद की थी। मोदी-शाह को भी इसी तरह का उदाहरण देना चाहिए।”
अब कोई गुहा सर को कैसे समझाये ये नया भारत है, ये 2020 है, न कि 1947. आज कोरोना है न कि ब्रिटिश साम्राज्य वापस लौट रही है। आज 100 से अधिक पार्टियां है न कि गिनी चुनी 7-8 पार्टियां। आज की सरकार को जनता ने चुना है वह भी 303 सीट देकर। आज के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जनता ने दोबारा शासन करने का मौका दिया है। यह 1947 नहीं है और आज गांधी जी भी नहीं हैं जो सरदार पटेल के चुने जाने के बावजूद जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे।
कांग्रेस के ये बुद्धिजीवी देश की जनता को आज भी बेवकूफ समझते हैं और अपनी आइडिया से आग लगाकर मोदी सरकार को गिराना चाहते हैं यही नहीं कोरोना का बहाना देकर एक मिली-जुली सरकार में कांग्रेस को भी बैठाना चाहते हैं जिससे इनका बंद पड़ा कारोबार फिर से चालू हो जाए।
परंतु आज की जनता इतनी भी बेवकूफ नहीं है, इनके लाख झूठ के बावजूद मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई है और कोरोना के समय में भी फ्रंटफुट पर काम कर रही है। सरकार कई क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद इनके कहे बिना ले रही है। ये चाहते हैं कि इनकी पार्टी को मौका मिले लेकिन इनके रोने-गाने से कुछ नहीं होने वाला। भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और जनता कांग्रेस को नकार चुकी है, इस बात को इन्हें अब पचा लेनी चाहिए.