कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, कि ज़माना इधर से उधर हो जाए, पर बकवास करना नहीं छोड़ेंगे। इस चक्कर में चाहे स्वयं की जान खतरे में क्यों न चली जाए, परन्तु अपना कुत्सिक एजेंडा फैलाना नहीं छोड़ते। ऐसा ही एक नमूना देखने को मिला है, जिसका नाम है समीर खान, जनाब ने टिक टॉक पर अपनी विवादित वीडियो से सुर्खियां बटोरने का भरपूर प्रयास किया, परन्तु वो उसी वुहान वायरस का शिकार हो गया, जिसका हमेशा मज़ाक उड़ाते नहीं थकता था।
समीर किंग के नाम से टिक टॉक हैंडल चलाने वाला ये शख्स मास्क पहनने के सुझाव पर दावा करता फिरता था कि कपड़े के टुकड़े पर क्या भरोसा करना जब अल्लाह का हाथ सिर पर हो। यह वीडियो काफी वायरल भी हुई थी। परन्तु जल्द ही पर चला कि जनाब स्वयं वुहान वायरस से ग्रसित पाए गए हैं।
एक वीडियो पोस्ट करते हुए जनाब कहते हैं, “सब लोग मेरे लिए दुआ करो। अब से मैं और वीडियो नहीं बना पाऊंगा, क्योंकि डॉक्टर ने बताया है कि मुझे कोरोना वायरस हुआ है“।
इस वीडियो में जनाब ना सिर्फ मास्क पहने हुए हैं, बल्कि लोगों को हिदायत से रहे हैं कि इस बीमारी को गंभीरता से लें.
Samir Khan, seen mocking coronavirus masks in this viral TikTok video has now been tested positive for coronavirus. In the video he is seen saying that he does not trust a piece of cloth, rather he trusts the lord almighty – Allah.
May good sense prevail!! pic.twitter.com/G50sW2wCZV— Priti Gandhi (Modi ka Parivar) (@MrsGandhi) April 11, 2020
सच कहें तो समीर खान के उदाहरण से साफ हो गया है कि कैसे कुछ कट्टरपंथी अपने मजहब के चक्कर में अपनी जान के साथ साथ अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा से भी समझौता करते हैं। भारत जैसे देश में मास्क की कितनी आवश्यकता है, इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन बड़े देशों में वुहान वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम रहा है, वहां पर बाहर मास्क पहनना कितना आवश्यक है। ,
भारत अभी भी इटली या अमेरिका वाले स्तर पर नहीं पहुंचा है, और इसलिए ये आवश्यक है कि हम लोग हर प्रकार से सतर्क रहें और सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें। पर समीर जैसे लोग ऐसे निर्देशों का मज़ाक इसलिए उड़ाते हैं क्योंकि ये उनके मजहब के अनुकूल नहीं बैठता।
जब स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देश के कई हिस्सों में भीड़ के जमावड़े पर रोक लगाई जाने लगी। कई धार्मिक संस्थाओं ने स्वयं ही बड़े-बड़े जलसे और समारोह स्थगित करने लगे। परंतु कट्टरपंथियों को इससे क्या? उन्हें लगा कि ये सारी व्यवस्था उनके मजहब को समाप्त करने के लिए की जा रही है। शायद यही कारण है कि शाहीन बाग में लाख मनाने के बाद भी अराजकतावादी अड़े रहे, और जब जनता कर्फ़्यू के एक दिन बाद इन्हें खदेड़ा गया, तो उस इलाके में पुलिस के खिलाफ भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई।
परंतु इतने से भी उनका मन नहीं भरा। टिक टोक एप्प पर समुदाय विशेष के लोग तो ऐसे वीडियो बनाने लगे, मानो हर मर्ज का इलाज उनके धर्म में ही है। यह वीडियो उसी समय वायरल होने लगी, जब ये साफ हो चुका था कि देश राष्ट्रव्यापी lockdown की ओर बढ़ रहा है। कुछ महोदय तो यहां तक दावा करने लगे कि वुहान वायरस अल्लाह की एनआरसी है! वहीं कुछ ने कहा कि कोरोना तो कुरान की देन है. ये हमारा कुछ नहीं बिगाड़ेगा क्योंकि इसे तो हमारे अल्लाह ने भेजा है.
पिछले कुछं दिनों में जो सामने आया है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि इन कट्टरपंथियों ने कैसे वुहान वायरस को एक शस्त्र की तरह प्रयोग में लाकर भारत के विरुद्ध इस्तेमाल कर रहे हैं। जैसे ही दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र के मरकज़ भवन से पकड़े गए लोगों को quarantine सेंटर भेजा गया, तो इन लोगों द्वारा सड़कों पर, सुरक्षाकर्मियों पर और यहां तक कि quarantine सेंटर में स्थित स्वास्थ्य कर्मचारियों पर थूके जाने की खबरें सामने आने लगी।
ऐसे में यही श्रेयस्कर है कि अपनी जान जोखिम में ना डालकर घर में रहें। समीर जैसों के लिए हम इतना ही कह सकते हैं – मौलवी साहब की बकवास पर ना जाएं, थोड़ी अक्ल लगाएं, यदि अल्लाह ने दिया है तो।