वुहान वायरस अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है, जिससे पार पाने के लिए दुनिया एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है। दुनिया में यदि 10 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं, तो 2 लाख से ज़्यादा लोग इस बीमारी से ठीक भी हुए हैं। भारत में अब तक 2800 से ज़्यादा लोग Covid-19 बीमारी से संक्रमित हुए है, और वुहान वायरस से मरने वाले मरीजों की संख्या को देखते हुए कई धार्मिक संगठन शवों को दफनाने की बजाए जलाने की सलाह दे रहे हैं।इसी बीच मुंबई में एक ईसाई पादरी का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में चल रहा है।
पादरी कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस के अनुसार COVID 19 से मृत्यु को प्राप्त होने वाले ईसाई मरीजों के शवों को दफनाना नहीं, जलाना चाहिए। कार्डिनल के अनुसार,“ईसाई धर्म के लोगों से और चर्च के पादरियों से मेरी अपील है कि कोरोना से मरे लोगों की डेड बॉडी को जलाएँ, न कि दफनाएँ”। कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने इसके अलावा लोगों को घर से बाहर न निकलने, बार-बार हाथ साफ करने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कई चीजों के बारे में भी जागरूक किया।
यह निस्संदेह एक सराहनीय प्रयास है, परन्तु शायद ही इसका हमें कोई फायदा देखने को मिले। इसलिए नहीं क्योंकि यह एक ईसाई धर्मगुरु ने कहा है, बल्कि इसलिए क्योंकि ये जिस राज्य से आते हैं, वहाँ के प्रशासक सेक्यूलरिज़्म के नाम पर ऐसे ही सुझावों को कूड़ेदान में फेंक देते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले ही बीएमसी ने दिशानिर्देश जारी किए थे कि जो भी व्यक्ति वुहान वायरस के कारण मृत पाये जाते हैं, उनका दाह संस्कार किया जाएगा।
परंतु ये बात छद्म सेक्यूलरिज़्म के नशे में डूबी उद्धव सरकार को रास नहीं आई, और उन्होने इस दिशा निर्देश को हटाकर ही दम लिया। एनसीपी के नेता और राज्य में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट किया, “बीएमसी का पुराना सर्कुलर हटा लिया गया है। अब मृत मरीजों का उनकी आस्था के अनुसार अंतिम संस्कार होगा।”। –
Now appeasements on these issues also. When you elect leader like Nawab Malik you are bound to face situation like this. pic.twitter.com/CpgezZMDoN
— Rajeev Panday (Modi ka Parivar) (@RKpanday1977) March 30, 2020
इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि एक महामारी के समय भी महाराष्ट्र सरकार को अपने एजेंडे की पड़ी है। यदि उद्धव सरकार वास्तव में धर्मनिरपेक्ष है, तो एक बार उन्हे ईसाई पादरी ओसवाल्ड ग्रेसियस के सुझाव पर ध्यान अवश्य देना चाहिए। परंतु कार्डिनल यह सुझाव देने में अकेले नहीं हैं। कुछ हफ्ते पहले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने कहा था, “यदि एक मुसलमान इस महामारी के कारण मारा जाता है, तो उसके शव को विद्युत दाहगृह में जला दें, ताकि इस वायरस का असर खत्म हो जाये”।
स्वयं WHO तक को वुहान वायरस से मृत पाये गए व्यक्तियों को दफन ना करने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी करने पड़े हैं। AIIMS के दिशानिर्देश के अनुसार वुहान वायरस से मृत मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए या तो इलेक्ट्रिक या फिर सीएनजी संचालित दाहगृह का प्रयोग होना चाहिए। यदि मृत शरीर को दफनाना है, तो परिवारजनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मृत शरीर एक मोटे, एयरटाइट ताबूत में दफनाया जाये। यदि उद्धव ठाकरे ईसाई पादरी के सुझाव को भी विचार योग्य नहीं मानते, तो इसका मतलब स्पष्ट है कि उद्धव सरकार को इस महामारी के समय में भी अपनी राजनीति की पड़ी है, और उन्हें जनता की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है।