‘तुम्हारे जौ पर 80% Import Tax लगा देंगे’, चीन की धमकी के बाद भी Australia ने कोई लोड नहीं लिया

गुंडई करने दो, इसे WTO में ले जाकर ठोका जाएगा

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पूरे विश्व में कोरोना फैलाने के बाद भी चीन के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे देशों में सबसे आगे ऑस्ट्रेलिया को चीन धमकी पर धमकी दिये जा रहा है लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने भी कदम पीछे नहीं खींचे हैं। पहले आर्थिक बहिष्कार की धमकी देने के बाद अब चीन ने ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी है कि वह ऑस्ट्रेलियाई बारली यानि जौ पर 80 प्रतिशत इम्पोर्ट टैक्स लगा देगा। लेकिन इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया टस से मस नहीं हुआ और ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने संकेत दिया है कि वह इस विवाद को WTO यानि विश्व व्यापार संगठन में ले जा सकता है।

पीएम स्कॉट मॉरिसन का कहना है कि अगर चीन कोरोना जैसे बड़े मामले पर जांच को लेकर ऑस्ट्रेलियाई जौ के आयात पर टैरिफ लगाता हैं तो वे बेहद निराश होंगे। वहीं ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया अपने जौ उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऑस्ट्रेलिया को WTO भी जाना पड़ा तो वे पीछे नहीं हटेंगे।

दरअसल, चीन ने एक पुरानी जांच का बहाने लेकर ऑस्ट्रेलियाई जौ के आयात पर 80 फीसदी इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने की धमकी दी है। परंतु यह सभी को पता है जब से ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कोरोना की उत्पति को लेकर चीन के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग की थी और चीन यह नहीं चाहता है।

उसके बाद से लगातार चीन ने ऑस्ट्रेलिया को अलग अलग धमकी देकर डराने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया ने एक कदम भी पीछे नहीं हटा है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी थी कि यदि उसने चीन विरोधी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखा तो फिर चीन उसका आर्थिक बहिष्कार भी कर सकता है।

चीनी राजदूत ने कहा था, चीनी जनता ऑस्ट्रेलिया के व्यवहार से काफी रूष्ट है। जनता का मूड चीन में बद से बदतर होता जा रहा है। ऐसे देश हम क्यों जाएं, जो हमारा मित्र ही ना बन सके?”

परन्तु ऑस्ट्रेलिया इन धमकियों के ठीक उलट चीन को चुनौती देते हुए मानो कहा, निकल चीन पहली फुरसत में निकल। चीन को ललकारते हुए स्कॉट मॉरिसन ने हाल ही में कहा था “उनकी सरकार निश्चित रूप से वह सभी कार्रवाई करेगी जो उचित होगी। अब पूरी दुनिया सच जानना चाहती है और इस महामारी का स्वतंत्र मूल्यांकन करना चाहती है, जिससे हम सबक सीख सकें और फिर भविष्य में इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं।”

उस दौरान ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम ने कहा था कि चीन चाहे कुछ कर ले, ऑस्ट्रेलिया अपने बयान से टस से मस नहीं होगा।

ऑस्ट्रेलिया में चीन विरोधी भावना इतनी बढ़ गयी है सभी मंत्री और जनता चीन के वुहान से निकले वायरस की उत्पति के लिए स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री Marise Payne ने चीन के खिलाफ एक स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें COVID-19 की “उत्पत्ति” और वुहान में प्रकोप से निपटने के तरीकों की जांच हो सके।

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, UK और न्यूजीलैंड, इन 5 देशों ने मिलकर एक साथ चीन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है,  इन 5 देशों का एक डोज़ियर सामने आया है, जिसमें इन 5 देशों ने चीन पर कई बड़े आरोप लगाए हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इस डोज़ियर में वुहान वायरस और वुहान में चीन की एक लैब के बीच सीधा संबंध होने की संभावना पर काफी ज़ोर दिया गया है।

चीन के विरोध में इस प्रकार की लहर उसके किसी एक हरकत की वजह से नहीं आई है। बीजिंग ने कोरोना वायरस के शुरू होने से पहले Australia के बाज़ारों से मास्क गायब करवा दिया था। यह रिपोर्ट आई थी कि चीनी सरकार समर्थित एक दिग्गज कंपनी ने गुपचुप तरीके से ऑस्ट्रेलिया में मास्क, हैंड सैनिटाइटर, वाइप्स और आवश्यक चिकित्सा के सामान थोक भाव में खरीदा और उन्हें चीन भेज दिया था। ये सब घटनाएँ अपने आप में बहुत गंभीर और बड़ी हैं और ये सब पिछले एक महीने के दौरान ही घटी हैं।

इसका मतलब स्पष्ट है कि अब चीन चाहकर भी अपनी गुंडागर्दी कबल पर दुनिया को नहीं झुका सकता, और उसके दिन अब लद चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध में तेजी से मनमुटाव बढ़ा है। दोनों देशों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हो चकी है। अब देखना यह है कि Australia की ये नाराजगी चीन को कितनी भारी पड़ती है।

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