बेल्जियम में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण और मृत्युदर है, कारण- बेवकूफी भरा माइग्रेशन

बेल्जियम

विश्व के लगभग सभी देश कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। अमेरिका से लेकर जापान तक सभी इसी महामारी से जूझ रहे हैं लेकिन, अगर किसी क्षेत्र में सबसे अधिक जान माल का नुकसान हुआ है तो वह यूरोप है। पूरे यूरोप में 1 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पूरे यूरोप में इटली-स्पेन जैसे देश में तो हाहाकार मचा हुआ है और कोरोना से काफी लोगों की मौत हो चुकी है। इन देशों में ज्यादातर लोग संक्रमण की चपेट में हैं लेकिन मृत्युदर बेल्जियम में सबसे ज्यादा है। बेल्जियम जहां की आबादी करीब 11 लाख है। इस देश में कोरोना की वजह से होने वाली मौतौं का आंकड़ा चीन को भी पार कर गया है। अगर अमेरिका से तुलना करें तो बेल्जियम में कोरोना की वजह से मृत्यु दर का आंकड़ा अमेरिका के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। बेल्जियम के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां पर हर एक लाख की आबादी पर 57 लोगों की मौत हो रही है। और ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है। बेल्जियम में अभी तक कोरोना के 49,032 मामले सामने आए हैं तथा 7,703 मौतें हो चुकी हैं।

इस यूरोपिय देश में कोरोना संक्रमण के फैलने के कई कारण हैं। यह देश विकसित देशों में से एक है तथा यहाँ रहने वाली आबादी की औसतन उम्र भी अधिक है। इस देश में 32 प्रतिशत आबादी 55 वर्ष से ऊपर की है जिसके कारण कोरोना के संक्रमण फैलने की आशंका भी अधिक हो जाती है।

साथ ही जो आंकड़े सामने आए हैं उसमें से यह स्पष्ट पता चलता है कि जीतने लोगों की मौत हुई है उनमें आधे से अधिक बुजुर्ग थे। 26 अप्रैल तक बेल्जियम में 5,453 लोगों की मौत हुई थी जिसमें से 2,772 लोग ऐसे थे, जो बुजुर्ग हैं और अपनी रिटायरमेंट के बाद वृद्धाश्रम में रह रहे थे। यही नहीं बेल्जियम में लॉकडाउन भी मार्च के मध्य से लगाया गया था यानि तब तक कोरोना पूरे यूरोप में अपने चरम पर था। इस वजह से कोरोना इस देश में फैल गया और यह वृद्धाश्रम तक पहुंच गया। बेल्जियम में, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि COVID-19 की 42% मौतें वृद्धाश्रमों में हुई है। यह आंकड़े चिन्ताजनक है लेकिन चौकाने वाले नहीं।

कोरोना फैलाने में वहाँ रहने वाले अन्य देशों से आए प्रवासी भी हो सकते हैं। बता दें कि जब कोरोनावायरस महामारी के कारण लॉकडाउन लगाया गया था तो अधिकारियों ने देश का आधा माइग्रेंट डिटेन्शन सेंटर खाली कर दिया, ताकि वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सके, जिससे सैकड़ों लोग सड़क पर आ गए।

सरकार ने ब्रुसेल्स में रिसेप्शन सेंटर को भी बंद कर दिया, जो शरणार्थियों को पंजीकृत करता है। इस कारण से ये माइग्रेंट इधर उधर घूमने लगे। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर इनमें से किसी एक को भी कोरोना हुआ होगा तो ये कई लोगों को संक्रमित कर चुका होगा। इन माइग्रेंट के स्वास्थ्य को लेकर सरकार द्वारा कोई कदम न उठाने पर वहाँ काम कर रही कई Belgian migrant aid associations ने सवाल भी उठाए थे।

शुरुआत में दी गयी ढील के कारण ही आज इस विकसित देश में कोरोना ने तांडव मचाया हुआ है और मृत्यु दर पूरे विश्व में सबसे अधिक हो चुकी है। इन देशों को अब आत्ममंथन करना चाहिए जिससे वे भविष्य में इस तरह की महामारी से बच सकें।

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