दुनियाभर में बढ़ते चीन विरोध के दौरान अब फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि पश्चिमी देशों को जल्द से जल्द लोकतान्त्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट इस्तेमाल के लिए वैश्विक पैमानों का गठन करना चाहिए ताकि इंटरनेट पर बढ़ते चीन के प्रभाव को रोका जा सके। जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि चीन के प्रभाव वाले देश लगातार चीन के नक्शेकदम पर चलते हुए कड़ी और लोकतन्त्र-विरोधी इंटरनेट नीति का पालन करते जा रहे हैं, जो बेहद खतरनाक है। बता दें कि इससे पहले जुकरबर्ग खुलकर चीनी कंपनी टिकटॉक का विरोध भी कर चुके हैं और इसे आलोकतांत्रिक बता चुके हैं।
जुकरबर्ग का यह चीन विरोध काफी पुराना नहीं है। वर्ष 2007 में चीन द्वारा बैन किए जाने के बाद अपनी कंपनी फेसबुक को चीन में स्वीकृति प्रदान करवाने के लिए वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार को लुभाने की कई नाकाम कोशिश कर चुके हैं। जिनपिंग को लुभाने के लिए ना सिर्फ उन्होंने चीन की mandarin भाषा सीखी, बल्कि उन्होंने mandarin में Tsinghua University में एक भाषण भी दिया था। उन्होंने फेसबुक पर चीन की काल्पनिक कहानियों को प्रोमोट भी किया था, लेकिन ये सब जिनपिंग को लुभाने में नाकाम साबित रहा। अब जुकरबर्ग ने भी चीन से उम्मीद छोड़ दी है और उन्होंने खुलकर चीन का विरोध करने का फैसला कर लिया है।
वे पिछले वर्ष से ही चीनी कंपनी टिकटॉक का विरोध भी कर रहे हैं। टिकटॉक पर वे यूजर्स की आवाज़ दबाने और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का गुणगान करने के आरोप लगा चुके हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए ज़ुकरबर्ग ने कहा था “दुनियाभर में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए whatsapp और facebook का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कभी आपने सुना है कि हाँग-काँग में चीन-विरोधी प्रदर्शनकारियों को टिकटॉक इस्तेमाल करने की इजाज़त दी गयी हो। कभी नहीं! टिकटॉक पर चीन में तो छोड़िए, यहाँ अमेरिका में चीन विरोधी कंटेट को मंजूरी नहीं दी जाती है”।
मार्क जुकरबर्ग की कंपनी फेसबुक अब चीन को छोड़कर भारत पर फोकस कर रही है और इसी कड़ी में फेसबुक ने हाल ही में भारत की टेलिकॉम कंपनी जियो में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। भारत में whatsapp पेमेंट सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश में भी है। फेसबुक के CEO द्वारा चीन और टिकटॉक का विरोध करना व्यावसायिक मजबूरीयों के नज़रिये से भी देखा जा सकता है। दरअसल, हाल ही के सालों में अमेरिका और भारत जैसे देशों में टिकटॉक का यूजर बेस बहुत तेजी से बढ़ा है और इस चीनी कंपनी ने फेसबुक को कड़ी टक्कर दी है। पिछले वर्ष दुनियाभर में करीब 70 करोड़ लोगों ने टिकटॉक को download किया था, जबकि फेसबुक को 70 करोड़ से कम लोगों ने download किया था, जो दिखाता है कि टिकटॉक ने फेसबुक को पटखनी दे दी है। टिकटॉक को मुक़ाबला देने के लिए फेसबुक ने वर्ष 2018 में lasso एप को मार्केट में उतारा था, लेकिन यह बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ और तीन महीनो के अंदर सिर्फ साढ़े 4 लाख लोगों ने ही इसे install किया था। अब जुकरबर्ग ने टिकटॉक को उसकी जगह दिखाने के लिए पश्चिमी देशों में चीन और उसकी कंपनियों का विरोध प्रचार करना शुरू कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले भविष्य में जुकरबर्ग और अन्य पश्चिमी उद्योगपति चीन और चीनी कंपनियों के प्रति कैसा रुख दिखाते हैं।