लगता है अमेरिका चीन को आसानी से छोड़ने वालों में से नहीं है। अब ताइवान और उसके प्रशासन को खुलेआम समर्थन देकर अमेरिका ने चीन से सीधी मुठभेड़ का खाका तैयार कर लिया है।
इसका प्रारंभ हुआ एक ट्वीट से। यूएस मिशन टू यूएन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “यूएन की स्थापना विश्व के सभी देशों के लिए एक सुनिश्चित मंच प्रदान करने हेतु की गई थी। परन्तु ताइवान को ना शामिल कर इस संस्था ने अपने ही आदर्शों की धज्जियां उड़ाई हैं। ताइवान के निवासियों को उनकी इच्छाओं के अनुसार एक वैश्विक मंच मिलना उनका अधिकार है” –
.@UN was founded to serve as a venue for all voices, a forum that welcomes a diversity of views & perspectives, & promotes human freedom. Barring #Taiwan from setting foot on UN grounds is an affront not just to the proud Taiwanese people, but to UN principles. #TweetForTaiwan
— U.S. Mission to the UN (@USUN) May 1, 2020
बस फिर क्या था, चीन ज़रा सी बात पर बिदक गया और उसने तुरन्त अमेरिका को धमकाना शुरू कर दिया –
China slams U.S. Mission to the UN for wrongful comment on Taiwan https://t.co/wdNDuiSsAs via @cgtnofficial
— Sam Sam (@YS_0997) May 2, 2020
परन्तु अमेरिका ने कौन सी कच्ची गोलियां खेली थी। उसने ताइवान को खुलेआम समर्थन देते हुए ट्वीट किया, “जब विश्व भर के देश COVID 19 और वैश्विक स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं, तो ऐसे में ताइवान को भी शामिल करना चाहिए। आखिर क्या कारण है कि जिस चीन को 2017 तक ताइवान के WHO में बतौर ऑब्जर्वर होने से कोई परेशानी नहीं थी, उसके सुर अचानक से बदल गए?”-
The U.S. believes firmly that #Taiwan belongs at the table when the world discusses #COVID19 and other threats to global health. Before 2017, Beijing didn't object to Taiwan joining the World Health Assembly as an Observer. What's changed? #TweetforTaiwan
— Ambassador Michele Sison (@State_IO) May 1, 2020
इन ट्वीट्स से स्पष्ट पता चलता है कि अमेरिका अब खुलेआम चीन से दो दो हाथ करने के लिए तैयार है, और इस अभियान में वह अकेला नहीं हैं, ऑस्ट्रेलिया ने भी हाल ही में चीन को आंखें दिखाते हुए WHO में ताइवान की वापसी की मांग की है.
चीन को शायद इससे मुंहतोड़ जवाब पहले कभी नहीं मिला होगा। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने चीन को वुहान वायरस के माध्यम से वैश्विक प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने हेतु आड़े हाथों लिया हो।
इससे पहले ये दोनों देश मिलकर एक हफ्ते पूर्व दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं। इस युद्धाभ्यास में तीन अमेरिकी और एक ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाज ने हिस्सा लिया था। अमेरिका ने चीन को धमकी जारी करते हुए कहा था कि दक्षिण चीन सागर में उसकी तानाशाही नहीं चलेगी। बीते बुधवार को अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोंपियों ने कहा था
“अमेरिका दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडागर्दी की निंदा करता है। हम चीन द्वारा ताइवान पर दबाव बनाने और वियतनाम की वेसेल्स को निशाना बनाने की भी निंदा करते हैं”।
इतना ही नहीं, कुछ दिन पहले अमेरिकी सांसद टेड क्रूज़ ट्विटर अकाउंट के माध्यम से यह बताया था कि वे कैसे चीनी अफसरों और राजनयिकों को वुहान वायरस से संबंधित जानकारी छुपाने के अपराध में एंडिंग चाइनीज मेडिकल सेंसरशिप एंड कवर अप एक्ट 2020 के अन्तर्गत ऐसे चीनी अफसरों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान रखें।
टेड क्रूज़ चीन पर आक्रामक होते हुए बोले, “जब चीन के वुहान में ये महामारी फैल रही थी, तो चीन ने हर उस व्यक्ति की आवाज़ दबाई जो इस महामारी की भयावहता को दुनिया के सामने उजागर करना चाहते थे। चीन ने अपने निजी एजेंडा को जनकल्याण के ऊपर प्राथमिकता दी, जिसके कारण आज विश्व भर में त्राहिमाम मचा हुआ है।
यदि चीन ने ज़िम्मेदारी से काम किया होता, तो आज वुहान वायरस इतनी बड़ी महामारी नहीं बनता, और लाखों लोगों के जीवन और उनकी रोज़ी रोटी को बचाया जा सकता था। जैसा पिछले कुछ हफ्तों में देख सकते हैं, चीन सरकार का तानाशाही रवैया ना केवल चीन के लिए, अपितु अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए और भी बड़ा खतरा है। जब सदन में दोबारा बैठक होगी, तो इस विधेयक के जरिए मैं ऐसे चीनी अफसरों को आड़े हाथों लेना चाहता हूं”।
जब से वुहान वायरस ने अमेरिका में अपने पांव पसारे हैं, तभी से अमेरिका चीन को कठघरे में लाने के लिए दिन रात एक किए जा रहा है। अब ताइवान को खुलेआम समर्थन देकर अमेरिका ने मानो राजकुमार का वह अमर डायलॉग सार्थक कर दिया, “हम तुम्हे मारेंगे और ज़रूर मारेंगे, लेकिन वह बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हमारा होगा, बस जगह तुम्हारी होगी।”