वुहान वायरस की महामारी ने एक बात तो स्पष्ट सिद्ध कर दी है कि अब चाहे कुछ हो जाए, चीन अब चाहकर भी अपना पुराना ओहदा वापस नहीं पा सकता। वैश्विक कंपनियां चीन से पलायन कर रही हैं, विश्व भर में कई देशों ने चीन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाया हुआ है, और तो और अब चीनी नागरिकों को विश्व भर में नौकरियों से निकाला भी जा रहा है।
उदाहरण के लिए इंडोनेशिया में चीन के नागरिकों के विरुद्ध मोर्चा निकाला गया है। सुलावेसी प्रांत में 500 चीनी प्रवासी कर्मचारियों के वापस आने पर रोक लगाई गई है, जिससे साफ पता चलता है कि चीनी नागरिकों के विरुद्ध कैसे स्थानीय जनता, प्रशासन और कंपनियां गुस्साई हुई हैं.
इस प्रांत के राज्यपाल अली मजी इस निर्णय का समर्थन करते हुये दिखाई दिए, और उन्होंने आगे कहा, समाज ऐसे विदेशी कामगारों को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा। परन्तु यह भावना केवल इंडोनेशिया तक ही सीमित नहीं है।
इटली में भी चीनियों के लिए ताला लगा
वुहान वायरस के कारण इटली में जो हाहाकार मचा था, उसका खामियाजा अब वहां रह रहे चीनी कामगार भुगत रहे हैं। जब वुहान वायरस ने इटली में तांडव मचाया, तो उत्तरी इटली में कई कम्पनियों पर ताला लग गया, जिसके कारण चीनी बेरोजगार हो गए। इसके अलावा इतालवी नागरिकों का विरोध और उनके हाथों दिन रात अपमानित होने के कारण इन्हें चीन वापिस जाना पड़ा।
चीन की कम्यूनिस्ट शासन के निरंकुश स्वभाव के कारण आज उसके व्यापार और नागरिकों को उसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इन सब का प्रारंभ हुआ जापान के एक अहम निर्णय, जहां उसने चीन से वापस आने वाले अपने कम्पनियों के लिए 2.2 बिलियन डॉलर का पैकेज रखा, और उन विदेशी कम्पनियों को भी आमंत्रित किया, जो चीन से बाहर निकलना चाहते थे.
कोरियाई कंपनियां चीन छोड़कर भारत आ रही हैं
परन्तु जापान ही इकलौता देश नहीं था। कोरियाई कंपनियां जैसे ह्युंडई स्टील, lotte, किया जैसे कम्पनी भी चीन से बाहर निकलने के लिए आतुर होते दिखाई दिए.
अब ऐसे में भला भारत कैसे पीछे रहता? सरकार ने युद्धस्तर कर कार्रवाई करते हुए ना केवल अपने FPI नियमों में सकती की, बल्कि कई राज्यों में श्रम सुधारों के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया।
एप्पल भी चाइना छोड़कर भारत आ रही है
जैसा कि TFIPOST ने कवर किया था, इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एप्पल के उच्च अफसरों और भारत के सरकारी उच्चाधिकारियों के बीच हुई वार्तालाप के बाद ये सुनिश्चित हो चुका है कि एप्पल अपने उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत भाग भारत में शिफ्ट करेगा। इससे ना सिर्फ भारत में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि एप्पल का अनुमान है कि वो इस डील से पांच वर्ष में 40 अरब डॉलर का कारोबार करेगा, जिसका अधिकांश फायदा भारत को भी मिलेगा।
बता दें कि एप्पल के आई फोन का अधिकतर उत्पादन चीन में होता है। परन्तु वुहान वायरस के बाद बाकी बड़ी-बड़ी कम्पनियों के तहत एप्पल ने भी चीन से नाता तोड़ने का निर्णय लिया है, और वे भारत की ओर रुख कर रहे हैं। भारत सरकार के अफसरों के अनुसार यदि सब कुछ सही रहा, तो 2025 से पहले मोबाइल फोन एक्सपोर्ट से कुल 100 अरब डॉलर का लाभ मिलेगा। वहीं इसी निर्णय के कारण अब चीन में करीब 4.4 मिलियन कामगार बेरोजगार हो सकते हैं, क्योंकि इसी रिपोर्ट के अनुसार आई फोन इसे एक अस्थाई निर्णय के तौर पर नहीं ले रहा है।
कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, वो खुद ही कभी-कभी उसमें गिर जाते हैं। यही बात अब चीन पर भी लागू होती है। वुहान वायरस दुनिया भर में फैलाकर अब चीन बहुत जल्द ही अपने है लोगों को बेरोजगार करने जा रहा है। यदि चीन अब भी नहीं चेता, तो उसके प्रशासन की हठधर्मिता उसके विध्वंस का मार्ग भी प्रशस्त करेगी और उसके जनता को भी कहीं का नहीं छोड़ेगी।