कोरोना जैसे मुश्किल समय में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। जब पूरा विश्व महामारी से जूझते हुए चीन के प्रोपोगेंडा का सामना कर रहा तब ऐसे समय में भारत को 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड की अध्यक्षता मिली है। भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानि WHO के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। डॉ हर्षवर्धन WHO में अपना कार्यभार 22 मई को संभाल सकते हैं। वह जापान के डॉक्टर हिरोकी नकाटनी की जगह बोर्ड के अध्यक्ष बनेंगे।
अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंगलवार को 194 देशों की विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा भारत को कार्यकारी बोर्ड में नियुक्त करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया गया। WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया समूह ने पिछले साल सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि भारत को तीन साल के कार्यकाल के लिए कार्यकारी बोर्ड के लिए चुना जाएगा।
बता दें कि क्षेत्रीय समूहों के बीच अध्यक्ष का पद एक वर्ष के लिए रोटेशन के आधार पर दिया जाता है। पिछले साल तय किया गया था कि शुक्रवार (22 मई) से शुरू होने वाले पहले वर्ष के लिए भारत कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष होगा। भारत के अलावा बोर्ड के सदस्यों के रूप में बोट्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर, ओमान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस और ब्रिटेन को जगह मिली है। कार्यकारी बोर्ड का मुख्य काम स्वास्थ्य असेंबली के फैसलों व पॉलिसी तैयार करने के लिए उचित सलाह देने का होता है।
अगर वैश्विक हालात को देखा जाए तो यह भारत के लिए WHO के एग्जीक्यूटिव बोर्ड का नेतृत्व करने का सबसे बेहतरीन समय है। एक तरफ जहां दुनिया चीन के खिलाफ जांच के लिए एक हो चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ, WHO में भी सुधारों की आवश्यकता है। कुछ ही दिनों पहले दो दिवसीय 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) की बैठक में 120 से अधिक देशों ने चीन के खिलाफ जांच के लिए प्रस्तावित ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर किया था। ड्राफ्ट में ‘कोरोनो वायरस संकट में निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक’ जांच की भी मांग की गई है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कार्रवाइयों और कोविड-19 महामारी से संबंधित उनकी समय सीमा की जांच की भी मांग की गई। प्रस्ताव में वारयस के सोर्स और वह इंसानों में कैसे फैला, इसका पता लगाने की भी मांग WHO महासचिव से की गई थी।
भारत के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहते हुए इन जाँचों पर नजर बनाए रखना आसान होगा और चीन की पोल खोलने में भी मदद मिलेगी।
वहीं दूसरी तरफ कोरोना काल में अमेरिका लगातार WHO को चीन से मिलीभगत करने आरोप लगता आया है। अब भारत के बोर्ड में रहने से भारत चीन के प्रति झुकाव रखने वाले WHO प्रमुख पर कड़ी नजर रख सकेगा। इसके अलावा डॉ हर्षवर्धन एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अध्यक्ष रूप में एक साल तक बने रहेंगे, इससे उनके पास WHO के अगले महानिदेशक को शॉर्टलिस्ट करने का भी अधिकार रहेगा। बता दें कि टेड्रोस एडनॉम का पांच साल का कार्यकाल मई 2021 में समाप्त होगा।
यानि देखा जाए तो भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण पद मिला है जिसका उपयोग भारत अपनी छवि को और मजबूत करने लिए करेगा। यही नहीं भारत को चीन के खिलाफ होने वाले स्वतंत्र जांच के प्रस्ताव को लागू करने का भी अधिकार होगा जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि कोरोना चीन से ही पूरी दुनिया में फैला है।