दुनिया में जैसे-जैसे चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है, वैसे ही चीनी कंपनी हुवावे को भी सरकारों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। हाल ही के फैसले में UK की बोरिस जॉनसन सरकार ने अपने देश से हुवावे को बाहर रखने के लिए एक अंतरारराष्ट्रीय संगठन बनाने का प्रस्ताव सामने रखा है, जिसमें जी7 देशों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, भारत और साउथ कोरिया भी हिस्सा होंगे। UK सरकार दुनिया के सभी बड़े लोकतांत्रिक देशों का एक संगठन बनाना चाहती है, ताकि 5जी के क्षेत्र में ये सभी देश आपस में मिलकर विकास कर सकें और हुवावे को अपने बाज़ारों से दूर रख सकें। UK की ओर से इस प्रस्तावित संगठन को Democracies 10 यानि D-10 का नाम दिया गया है। पिछले कुछ सालों में जिस प्रकार जियो ने टेलिकॉम के क्षेत्र में धूम मचाई है और 5जी के क्षेत्र में तकनीकी महारत हासिल करने की दिशा में कदम उठाए हैं, उसकी वजह से 5जी तकनीक के क्षेत्र में भारत का रुतबा काफी बढ़ गया है।
इससे स्पष्ट हो गया है कि हुवावे के खिलाफ अब यूके ही नेतृत्व संभालना चाहता है। UK की सरकार ने सबसे पहले हुवावे को अपने यहाँ ऑपरेट करने की मंजूरी दी थी। उसके बाद कोरोना और ट्रम्प के दबाव के कारण अब यूके को अपना रुख बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। अब यूके चाहता है कि दुनिया की सभी बड़ी democracies 5जी क्षेत्र में साथ मिलकर काम करें, और उसके लिए ही यूके ने अपने 10 देशों के संगठन में भारत को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। 5जी तकनीक के मामले में अब भारत भी दुनिया का एक बड़ा खिलाड़ी बन चुका है, और उसका सारा श्रेय जियो को ही जाता है।
जियो ने पिछले कुछ समय में अपने ही दम पर इस तकनीक को विकसित करने में कड़ी मेहनत की है। जियो सक्रिय रूप से कार्बनिक और अकार्बनिक अप्रोच के मिश्रण के माध्यम से 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकी कैपेसिटी का निर्माण कर रही है। यह कदम न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी पहला है, क्योंकि अधिकांश ऑपरेटर नेटवर्क उपकरणों के लिए टेक्नोलॉजी वेंडर पर निर्भर हैं। जियो के अधिकारियों के मुताबिक “जियो ने 5जी तकनीक संबंधित सब कुछ एंड-टू-एंड डेवलप किया है। बाकी वेंडर की तुलना में जियो अधिक स्केलेबल और पूरी तरह से स्वचालित हैं क्योंकि जियो के पास अपना स्वयं का क्लाउड-नैटिव प्लेटफॉर्म है”।
ब्रिटेन सरकार ने शुरू में हुवावे को अपने देश में ऑपरेट करने की छूट इसलिए दी थी क्योंकि उस वक्त दुनिया में उतनी सस्ती दरों पर लोकतान्त्रिक देशों से संबंध रखने वाली कोई कंपनी अपनी 5जी सेवाएँ उपलब्ध नहीं करा रही थी। हालांकि, अब भारत की जियो जैसी कंपनी ने इस क्षेत्र में काफी तरक्की हासिल की है और देशों के पास अब विकल्प उपलब्ध हैं।
जिस प्रकार सभी देश हुवावे और टेक क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, उससे एक बात तो यह है कि हुवावे का भविष्य अब संकट में आने वाला है। हाल ही में अमेरिका ने हुवावे पर कुछ नए प्रतिबंध लगाए थे जिसके बाद हुवावे अमेरिका से प्रोसेसर चिप और सेमी-कंडक्टर का एक्सपोर्ट नहीं कर पाएगा। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों के बाद से ही हुवावे सकते में है। हुवावे ने एक बयान जारी कर कहा था कि अमेरिका के इस फैसले से ना सिर्फ दुनियाभर के tech बाज़ार में खलबली मच जाएगी बल्कि इससे हुवावे पर अस्तित्व का खतरा मंडराना शुरू हो जाएगा। अब जब यूके ने 10 देशों को साथ लेकर चीन के खिलाफ महागठबंधन बनाने का फैसला लिया है, तो यह हुवावे के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम करेगा।