इस वर्ष के बजट में भारत की वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के उस प्रतिबद्धता को दोहराया था जिसमें यह कहा गया था कि सरकार अगले 5 वर्षों में 2000 स्ट्रैटेजिक हाईवे बना लेगी। अब इसी प्रतिबद्धता का नमूना देखने को मिला जब भारत ने उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर लिपूलेख-धारचूला मार्ग का उदघाटन किया। इससे अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा अब काफी आसान हो गयी है। भारत ने पिछले 2 वर्षों में भारत-चीन की सीमा से सटे इलाकों में एक के बाद एक कई रोड और पुल का निर्माण किया है जिससे भारत को अपने सेना की त्वरित मूवमेंट करने में मदद मिलेगी।
14 साल के अथक प्रयास के बाद गर्बाधार-लिपूलेख तक बने इस हाइवे को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये देश को समर्पित किया। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मनोज मुकुंद भी मौजूद थे।
Delhi: Defence Minister Rajnath Singh inaugurates the Link Road to Kailash Mansarovar via video conferencing. Chief of Defence Staff (CDS) General Bipin Rawat and Chief of Army Staff General Manoj Mukund Naravane also present. pic.twitter.com/f29bKwYgqw
— ANI (@ANI) May 8, 2020
उद्घाटन के बाद राजनाथ सिंह ने कहा, “कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी मुश्किल अब आसान हो गई है। अब वो तीन सप्ताह की यात्रा एक ही हफ्ते में पूरी कर सकेंगे। इसके साथ ही स्थानीय लोगों और तीर्थ यात्रियों का दशकों पुराना सपना भी साकार हो गया है।” यह रोड घाटियाबगड़ से शुरू होता है और लिपूलेख में खत्म होता है।
बता दें कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक छोटा मार्ग बनाने के अलावा, यह भारत को 17,060 फीट की ऊँचाई पर चीन के खिलाफ एक रणनीतिक लाभ भी देगा। इसके साथ, भारत LAC के काफी करीब आ चुका है और अब अधिक सुविधाजनक तरीके से उस क्षेत्र को एक्सेस कर सकता है। ये सड़क बनने से हमारी सेना और अर्द्धसैनिक बलों के जवान साजो-सामान के साथ चीन बॉर्डर तक 3 दिन की बजाए तीन से चार घंटे में पहुंच जाएंगे।
यही नहीं पिछले महीने, सीमा सड़क संगठन (BRO) ने COVID-19 के प्रकोप के खिलाफ सभी सावधानी बरतते हुए, सुबनसिरी नदी पर Daporijo पुल बनाया था।इस पुल की लंबाई 430 फीट है और इसकी क्षमता को देखते हुए सैन्य सामग्री तो एलएसी पर भेजी जा सकती है। साथ ही, नदी के दूसरी ओर राशन, निर्माण सामग्री और दवाइयां आसानी से पहुंच सकेंगी।
Chief Minister of Arunachal Pradesh Shri @PemaKhanduBJP inaugurated 430ft Daporijo bridge on Subansiri River constructed by @BROindia & CE Arunank after the old bridge developed cracks#Covid19 #SwasthaBharat #sayyes2precautions #MoDAgainstCorona #StayHomeIndia #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/ZxZvpMsWbk
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) April 20, 2020
भारत-चीन बॉर्डर पर शुरू से ही सबसे बड़ा मामला देश के अन्य हिस्सों से कनेक्टिविटी का रहा है। कठिन भौगोलिक परिस्थिति और मौसम में किसी भी प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना यहां सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन अब इन चुनौतियों पर पार पाने की कोशिशें असर दिखा रही हैं।
सीमा सड़क संगठन (BRO) जो भारत की सीमाओं पर सड़क नेटवर्क का रखरखाव और विकास करता है, उसने वर्ष 2019 में, लगभग 60,000 किमी सड़कों का निर्माण और विकास किया है, जिसमें डोकलाम के पास एक महत्वपूर्ण 19.72 किलोमीटर सड़क भी शामिल है जो 2017 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुए , 73-दिवसीय स्टैंड-ऑफ के बाद बनाई गयी थी। इस सड़क की वजह से अब भारत की सेना 40 मिनट में ही डोकलाम पहुंच सकती है। पहले यह सफर 7 घंटे का होता था।
भारत-चीन सीमा सड़क (ICBR) के रूप में जानी जाने वाली नई 11 सड़कों को भी BRO द्वारा जल्द ही पूरा करने की योजना है, जो लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ स्थित हैं। बीआरओ ने मार्च 2021 तक ऐसी नौ और सड़कों को पूरा करने की योजना बनाई है। इसने 73 ICBR में से 61 को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की ओर आसान संपर्क सुनिश्चित करने वाली रणनीतिक सड़कों के निर्माण में पिछले साल मोदी सरकार के फैसले से चीन-भारत सीमा पर 44 रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ’सड़कों का निर्माण शुरू किया था।
1962 की पराजय के बाद पांच दशकों से अधिक समय तक, चीन के साथ विवादित सीमा पर सड़कों का निर्माण न करके, कांग्रेस की सरकारों भारत को रणनीतिक रूप से कमजोर कर दिया था।
मोदी सरकार उन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण कर रही है जो अतीत में चीन और भारत के बीच विवाद के कारण रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में पुलों के बनाए जाने से पता चलता है कि भारत चीन के धमकाने और दावों से डरने वाला नहीं है बल्कि, डराने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम) यानि सभी तीन क्षेत्रों में सड़क और बुनियादी ढाँचे को आगे बढ़ा रहे हैं।