वुहान से आए कोरोना महामारी ने मानव प्रजाति को काम करने की नई पद्धतियों को अपनाने पर मजबूर कर दिया है। ऑनलाइन क्लाससेस, ऑनलाइन मीटिंग से लेकर हेल्थ ट्रैकिंग मोबाइल एप्लिकेशन प्रयोग करने तक, कोरोना के बाद की दुनिया में ये सब आम बातें हो जाएगीं। जिस तरह से इस महामारी ने तबाही मचाई है उससे सरकार व जनता दोनों को कुछ महत्वपूर्ण चीजों को सीखने की जरूरत है। इनमे से एक है देश के एक शहर में अत्यधिक केन्द्रीकरण।
CRPF और BSF के मुख्यालय कोरोना की वजह से सील
अभी कुछ ही दिनों में, दो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के मुख्यालय– CRPF और BSF को कोरोनोवायरस के प्रकोप की चपेट में आ चुके हैं। अन्य सभी CAPF की तरह, BSF और CRPF का दिल्ली में ही अपना मुख्यालय है। ऐसे समय में जब राष्ट्रीय राजधानी कोरोना से ग्रसित खराब शहरों में से एक है, अत्यधिक सावधानी बरतने के बावजूद भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण CAPF कोरोनोवायरस प्रकोप से नहीं बच सके।
बता दें कि CRPF का मुख्यालय दिल्ली के CGO कॉम्प्लेक्स में स्थित है। रविवार को अतिरिक्त महानिदेशक जावेद अख्तर के स्टेनोग्राफर का COVID -19 पॉज़िटिव पाये जाने के बाद मुख्यालय को सील कर दिया गया। इस चौंकाने वाली घटना के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और दस अन्य कर्मियों को home-quarantined कर दिया गया है।
इसके ठीक एक दिन के बाद उसी CGO कॉम्प्लेक्स में स्थित BSF के मुख्यालय को भी सील करना पड़ा, जब एक वरिष्ठ BSF अधिकारी से जुड़े हेड कांस्टेबल को कोरोना वायरस से पॉज़िटिव पाया गया था। दोनों हेडक्वार्टर में महानिदेशक यानि DG, ADGs, कुछ IGs इत्यादि सहित दोनों बलों के शीर्ष अधिकारी बैठते हैं और इसलिए इन दोनों ही मुख्यालयों में कोरोनवायरस का एक भी पॉज़िटिव केस देश के लिए नुकसानदेह है।
एक ही शहर में सारे महत्वपूर्ण मुख्यालय क्यों?
यहाँ सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर एक ही शहर में सभी मुख्यालय क्यों हैं? सभी सुरक्षा प्रतिष्ठान से लेकर रक्षा अनुसंधान संगठनों, और देश की राजनीतिक तथा प्रशासनिक निकायों सहित विज्ञान और अनुसंधान निकायों का मुख्यालय दिल्ली में ही स्थित है।
जब हम दिल्ली कहते हैं तो इसका अर्थ लुटियन्स दिल्ली से होता है जो साउथ दिल्ली के CGO कॉम्प्लेक्स से लेकर RK Puram तक फैला है। इसी क्षेत्र में देश के सभी बड़े अधिकारी जैसे सुरक्षा बलों के महानिदेशक, प्रशासनिक निकायों के प्रमुख और शीर्ष वैज्ञानिक रहते हैं।
एक ही शहर में सारे मुख्यालय, अगर कोई अनहोनी हो गई तो?
अभी जिस तरह से कोरोनावायरस ने अपने पांव पसारे हैं उसी तरह आज के परमाणु युग में अन्य खतरे जैसे आतंकी हमले/परमाणु हमले जैसी बदतर घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। अगर कोई अनहोनी होती है तो इस तरह के केन्द्रीकरण का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है।
अगर हम उदाहरण के तौर पर CAPF को ले तो इसमें सभी अर्ध सैनिक बल आते हैं जैसे CRPF ITBP CISF और SSB। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इन सभी का मुख्यालय नई दिल्लीं में ही स्थित है और वह भी CGO कॉम्प्लेक्स के आसपास।
जहां जिसका कार्यक्षेत्र है वहां उसका मुख्यालय क्यों नहीं?
आखिर इनमें से कुछ बलों का मुख्यालय दिल्ली के बाहर क्यों नहीं रखा जा सकता है? CISF और CRPF जैसे पूरे भारत को कवर करने वाले बलों का मुख्यालय दिल्ली में हो सकता है लेकिन SSB जो भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं की रखवाली करता है, उसका का मुख्यालय सीमाओं के आसपास किसी शहर में स्थानांतरित किया जा सकता है जिससे इसके संचालन में बेहतर समन्वय होगा।
इसी तरह, ITBP की तिब्बत के साथ भारत की सीमा पर तैनाती होती है और हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड जैसे राज्यों में इसके मुख्यालय को स्थानांतरित करने का विचार बुरा नहीं है।
दो डीजी और दो मुख्यालय पर भी विचार किया जा सकता है
वहीं BSF को दो अलग-अलग बलों में विभाजित किया जा सकता है- एक बांग्लादेश की सीमा की रखवाली और दूसरा पाकिस्तान की सीमा के लिए। दोनों बलों के लिए दो डीजी को भार सौंपा जा सकता है जो अलग-अलग मुख्यालय में बैठकर अत्यधिक समन्वय से दो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की निगरानी कर सकते हैं। इससे राष्ट्रीय राजधानी पर भी भार कम होगा।
ISRO बंगलुरु से चल सकता है तो DRDO और ICMR और किसी शहर से क्यों नहीं?
अब अगर विज्ञान और अनुसंधान निकायों के बारे में बात करें तो यह समझ से परे है कि यदि ISRO बेंगलुरु में अपने मुख्यालय से अभूतपूर्व सफलता पा सकता है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों का प्रबंधन कर सकता है, तो DRDO और ICMR को दिल्ली से ही क्यों काम करना पड़ता है?
रक्षा अनुसंधान दिल्ली के अलावा पुणे जैसे शहर में भी प्रभावी रूप किया जा सकता है। वहीं मेडिकल रिसर्च को भी दिल्ली से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है, जिससे अगर राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी प्रकार का प्रकोप या आपदा आए तो ये दोनों और इनके जैसे अन्य संस्था प्रभावित न हों।
स्वच्छ गंगा मिशन का मुख्यालय दिल्ली में है, लेकिन गंगा दिल्ली में नहीं है!
राजनीतिक और प्रशासनिक निकाय भी राष्ट्रीय राजधानी में अत्यधिक केंद्रीकृत हैं, और उनमें से कई का दिल्ली में रहने का वास्तविक कारण नजर नहीं आता है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के लिए राष्ट्रीय मिशन को ही देखा जा सकता है। NMCG का मुख्यालय दिल्ली में है जिसका कोई औचित्य नहीं है। इसे किसी भी गंगा नदी के किनारे बसे शहर में क्यों नहीं किया जा सकता है जैसे उत्तर प्रदेश के कानपुर में जहाँ नदी को कायाकल्प की सख्त आवश्यकता है.
RBI और ISRO से सीखा जा सकता है
अगर किसी को ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय संस्था दिल्ली से बाहर काम नहीं कर सकते तो उनके लिए RBI और ISRO सबसे बेहतर उदाहरण हैं। RBI का मुख्यालय मुंबई में है तो वहीं ISRO का मुख्यालय बंगलुरु में स्थित है। यह दोनों ही संस्था काम और दक्षता में किसी अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं से पीछे नहीं हैं बल्कि एक कदम आगे ही हैं। इसीलिए किसी भी केंद्रीय संस्था का नई दिल्ली से बाहर मुख्यालय स्थानान्तरित किया जा सकता है।
इसके अलावा, कोरोनावायरस महामारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को भी लोकप्रिय बना दिया है जिससे देश की एजेंसियों के काम में दूरी अब कोई बाधा नहीं है। कोरोनावायरस महामारी से भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण सबक यही है कि देश के एक ही शहर में अत्यधिक केन्द्रीकरण घातक हो सकता है।
अगर भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सुरक्षा और राजनीतिक नेतृत्व एक ही साथ कोरोना जैसी महामारी या किसी अन्य आकस्मिक आपदाओं से प्रभावित न हो तो कोरोनेरावायरस के बाद की दुनिया में, सुरक्षा और राजनीतिक संस्थाओं का विकेन्द्रीकरण किया जाना सबसे सरल उपाय है।