“इस्लाम को कुछ मत बोलो”, मस्जिद में loudspeaker के खिलाफ बोलने वाले भारतीय को नौकरी से निकाला गया

क्या आप Canada को तबाह होते देख पा रहे हैं?

रवि हुड्डा

PC: Newsd

दुनिया में कट्टरपंथी इस्लाम वादियों का अगर कोई नया गढ़ बनता जा रहा है उसका नाम है कनाडा। कनाडा में कहने को तो लोकतंत्र है लेकिन अगर आप इस्लाम धर्म में  कुप्रथाओं के खिलाफ बोलने की हिमाकत करते हैं तो ना सिर्फ आपको अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है, बल्कि आप पर इस्लामोफोबिक होने का टैग भी लगा दिया जाता है। ऐसा ही कुछ हाल ही में भारतीय मूल के रवि हुड्डा के साथ भी हुआ। दरअसल, जब कनाडा के Bramptan शहर के सिटी काउंसिल ने सभी मुस्लिमों को रमजान के समय मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने को इजाज़त दे दी तो इस पर अपने आपत्ति दर्ज करते हुए रवि हुड्डा ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट को लेकर कनाडा के इस्लामवादियो ने इतना हो हल्ला मचाया कि बाद में रवि हुड्डा को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया।

रवि बूटा के ट्वीट के मुताबिक “तो क्या अब कैमल राइडर्स और गॉट राइडर्स के लिए भी अलग लेन होंगी”। आगे अपने ट्वीट में रवि हुड्डा ने मुस्लिमों द्वारा दी जाने वाली जानवरों की बलि और महिलाओं को हिजाब पहनने की अनिवार्यता जैसे कानूनों पर कटाक्ष भी किया। इसके साथ ही रवि ने अपने ट्वीट में यह भी आरोप लगाया कि सिटी काउंसिल जानबूझकर सिर्फ वोट पाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टिकरण कर रही है।

रवि के इतना कहते ही इस्लामवादियों ने उनके खिलाफ जमकर प्रचार करना शुरू कर दिया और उनको नौकरी देने वाली कंपनी Re-max Canada पर रवि हुड्डा को नौकरी से निकालने का दबाव बनाया। दबाव के सामने Re-max कैनेडा भी झुक गई और उसने रवि हुड्डा को नौकरी से निकालने का ऐलान कर दिया।

इसके साथ ही ब्रिटेन के एक स्कूल में रवि काउंसिल के मेंबर थे और उस स्कूल ने भी रवि को काउंसिल के चेयर पद से हटाने की घोषणा कर दी।

रवि हुड्डा ने अपने ट्वीट के बाद एक माफीनामा भी जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके ट्वीट का गलत मतलब निकाला जा रहा है, लेकिन बाद में हुड्डा की  किसी ने नहीं सुनी। इस्लामवादियों द्वारा उन्हें इस्लामोफोबिक कहा गया और उन्हें कनाडाई समाज पर कलंक के समान बताया गया।

बता दें कि जबसे कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की अति वामपंथी सरकार आई है तब से कनाडा इस्लामवादियों का लगातार गढ़ बनता जा रहा है। इस देश के अंदर इस्लाम धर्म सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है और वहां के मुस्लिम अब और ज्यादा मस्जिदें बनाने की अनुमति मांग रहे हैं। Canadian Muslim Congress अब लगातार कनाडा में mosque infrastructure को अपग्रेड करने की मांग कर रहा है। मुस्लिम कांग्रेस के मुताबिक अब मुस्लिमों की संख्या बढ़ने की वजह से मस्जिदों में भीड़ ज्यादा होती है इसलिए उन्हें और ज्यादा मस्जिदें बनानी पड़ेगी। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि कनाडा के लोग भी इस चरमपंथ के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रहे हैं और वह अपने दिनचर्या में बढ़ते इस्लाम के दखल को स्वीकार करते जा रहे हैं।

जस्टिन ट्रूडो सरकार पर न सिर्फ इन इस्लाम-वादियों के प्रति बल्कि खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रति भी नरम रुख रखने का आरोप लगता रहा है। उनकी कैबिनेट में कई मंत्री खुलकर खालिस्तान का समर्थन कर चुके हैं। यहां तक कि जस्टिन ट्रूडो खुद कई बार प्रो खालिस्तानी रैलियों में शामिल हो चुके हैं।  कनाडा के लिबरल, वोट बैंक की राजनीति के लिए इन इस्लाम वादियों और खालिस्तानियों के पैरों में पड़े दिखाई देते हैं। अगर कनाडा के नागरिक और वहां की सरकार जल्द ही अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अब आवाज नहीं उठाते हैं, तो भविष्य में इन्हें इसका बड़ा खामियाजा भुगतने को मिल सकता है।

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