जहां एक ओर वुहान वायरस के कारण चीन अपनी खोई हुई साख को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है, तो वहीं उसके कारण अपने हजारों-लाखों नागरिकों को खोने वाले देश अन्य देशों के साथ एकजुट होकर चीन के विरुद्ध मोर्चा खोल चुके हैं। इन्हीं में से एक है ऑस्ट्रेलिया, जिसने भारत के साथ अपनी घनिष्ठता और बढ़ाने में जुट गया है।
4 जून को दोनों देश बात करेंगे
स्थानीय पत्रिका द ऑस्ट्रेलियन के अनुसार– 4 जून को प्रस्तावित एक ऑनलाइन समिट में दोनों राष्ट्रध्यक्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया की सामरिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने के लिए विचार विमर्श करेंगे। सूत्रों के अनुसार, नई साझेदारी के अन्तर्गत चिकित्सीय परीक्षण एवं उपकरण, तकनीक, आवश्यक मिनरल इत्यादि के आदान-प्रदान पर दोनों देश बात करेंगे.
इसके अलावा दोनों देश एक नए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ना सिर्फ एक दूसरे के सैन्य बेस का उपयोग होगा, बल्कि सैन्य तकनीक के नए प्रोजेक्ट्स पर काम भी सुचारू रूप से चालू होगा। इतना ही नहीं, भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ शैक्षणिक साझेदारी भी करेगा, जिससे ऑस्ट्रेलिया की चीनी विद्यार्थियों पर निर्भरता कम हो सके.
ये निर्णय यूं ही नहीं लिया गया है। चीन एक ऐसा देश है जिसने ना केवल भारत का, बल्कि ऑस्ट्रेलिया का भी खूब शोषण किया है, और वुहान वायरस के समय भी वह अपनी गुंडागर्दी से बाज नहीं आ रहा है। ऑस्ट्रेलिया इसी गुंडई से तंग आकर उसके विरुद्ध मोर्चा खोल चुका है, जिसे ताईवान, अमेरिका और भारत सहित विश्व के लगभग हर बड़े देश ने अपना समर्थन दिया है।
अभी हाल ही में जिस प्रस्ताव के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया वुहान वायरस के फैलने के कारण की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराना चाहता था, उसे भारत ने भी अपना पुरजोर समर्थन दिया था।
चीन ने ऑस्ट्रेलिया से मेडिकल सामान चोरी किया था
चीन ने ऑस्ट्रेलिया का जीना कैसे दुभर कर दिया था, ये आप इन्हीं दो उदाहरणों से समझ सकते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में मास्क और हैंड सेनिटाइजर जैसी आवश्यक चीजों की कमी हो गयी थी और इसका कारण कोई और नहीं बल्कि चीन सरकार समर्थित कंपनियां थीं जो पहले ही मेडिकल सामग्रियां ऑस्ट्रेलिया से खरीदकर चीन एक्सपोर्ट कर चुकी थीं।
जब तक ऑस्ट्रेलिया की सरकार को होश आया, तब तक इन सामानों की भारी किल्लत पड़ गई थी. जिसके बाद ऑस्ट्रिया ने कुछ कड़े नियम लगाते हुए customs regulations का विस्तार किया. जिसके बाद दस्ताने, गाउन, गॉगल्स, वीज़र्स और अल्कोहल वाइप्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर कोई फेस मास्क और हैंड सैनिटाइज़र जैसे मेडिकल सप्लाई का निर्यात करता है तो उसे पांच साल तक के प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है।
द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार, द ग्रीनलैंड ग्रुप, नाम की कंपनी के कारण ऑस्ट्रेलिया के मार्केट से एंटी-कोरोनावायरस उपकरण गायब हो चुके थे। ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में जहां भी द ग्रीनलैंड ग्रुप हैं वहाँ से 3 मिलियन सर्जिकल मास्क, 500,000 जोड़े दस्ताने और भारी मात्रा में सैनिटाइज़र और वाइप्स की ख़रीदारी हुई थी।
बेबी मिल्क पाउडर भी ऑस्ट्रेलिया से चोरी किया
पर चीन वहीं पर नहीं रुका। पिछले महीने ही सिडनी में एक डाइगो फ्लाइट “मर्सी फ्लाइट” के नाम से भेजी गयी थी, जिसमें 70 टन मेडिकल सप्लाई भरी हुई थी। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस मेडिकल सप्लाई को लेने से मना कर दिया। हालांकि, जब वो फ्लाइट वापस गई तो उसमें बेबी मिल्क फॉर्मूला के 11298 टिन के डब्बे भरे हुए थे, साथ ही उसमें 35 हज़ार किलोग्राम Tasmania Atlantic salmon भरी हुई थी। अब सामने आया है कि उस mercy फ्लाइट का Yuan Richard Zuwen द्वारा प्रबंध किया गया था, जो कि Australia China Daigou Association का डाइरेक्टर है।
डाइगो व्यापार वाकई में बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है और चीनी लोग जितना भी luxury सामान खरीदते हैं, उसका एक तिहाई डाइगो गिरोह के द्वारा ही चीन में लाया जाता है। इस गिरोह पर समय-समय पर गैर-कानूनी चीजों की तस्करी करने और चीजों को बड़ी मात्रा में स्टोर करने के आरोप लगते रहे हैं। पिछले साल इस गिरोह के 8 लोगों को 1 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर्स की कीमत के बेबी मिल्क फॉर्मूला के साथ पकड़ा गया था।
ऐसे में ऑस्ट्रेलिया को भारत से काफी उम्मीद है, जिससे ना केवल चीन की हेकड़ी के सामने ऑस्ट्रेलिया सीना तानकर खड़ा हुआ है, बल्कि किसी भी जरूरतमंद देश की निस्वार्थ भाव से सहायता भी कर रहा है। ये समय की मांग भी है और दोनों देशों के हित में भी है, कि वे अविलंब इस साझेदारी को लागू करें, ताकि विश्व को चीन पर किसी भी वस्तु के लिए अत्यधिक आश्रित ना होना पड़ा।