कुछ भी कहिए, पर उत्तर प्रदेश प्रशासन की बात ही कुछ और ही है। जिस तरह से वुहान वायरस से निपटने के लिए वे नित नए तरीके अपना रहे हैं, उसे देख तो कोई भी इनका मुरीद हो जाएगा। अभी हाल ही में यूपी में जो वुहान वायरस के हॉटस्पॉट चिन्हित हुए हैं, वो उन्हीं लोगों से संबंधित है, जिनका नाम लेने से भी कुछ लोगों कई आत्मा किलसने लगती है।
18 हॉटस्पॉट में 8 के नाम सीधे-सीधे मस्जिदों के नाम पर
उदाहरण के लिए लखनऊ में जो 18 हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं, उनमें से 8 सीधे-सीधे मस्जिदों के नाम पर रखे गए हैं। परन्तु यह नाम यूं ही नहीं रखे गए हैं। द प्रिंट से बातचीत के दौरान एक सरकारी अफसर ने बताया कि चूंकि अधिकतर इन मस्जिदों के इर्द-गिर्द ही मिले हैं, इसीलिए इन हॉटस्पॉट्स का नाम इन मस्जिदों के नाम पर रखा गया है.
अब ज़रा इन हॉट-स्पॉट्स के नामों पर नजर डालिए। किसी का नाम मस्जिद अली जान और आसपास के क्षेत्र हैं, तो किसी का नाम मोहम्मदिया मस्जिद और आसपास के क्षेत्र हैं, किसी का नाम खजूर वाली मस्जिद और आसपास के क्षेत्र है तो किसी का नाम फूलबाग या नजरबाग वाली मस्जिद और आसपास के क्षेत्र है।
प्रशासन ने इन हॉटस्पॉट्स के नाम ऐसे क्यों रखे हैं, इसके पीछे का प्रमुख कारण है वहां मौजूद केस। उदाहरण के लिए मस्जिद अली जान वाले क्षेत्र में अब तक 95 मामले वुहान वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। ऐसे में यदि हॉटस्पॉट के नाम उन मस्जिदों के नाम पर रखा गया है तो समस्या क्या है?
मस्जिद के नाम पर हॉटस्पॉट के नाम रखे जाने से विरोधियों में मातम
परन्तु इससे विपक्ष को क्या? उन्हें तो बस हो हल्ला मचाने का बहाना चाहिए, और इस निर्णय के सार्वजनिक होते ही उन्होंने धावा बोल दिया । इस निर्णय को वे ऐसे दिखाने लगे जैसे कि ये मुसलमानों के खिलाफ कोई बहुत बड़ी साजिश है। समाजवादी पार्टी की नेता जूही सिंह के अनुसार-
“हमें इन सब से धर्म को दूर रखना चाहिए। जब स्थिति पहले ही बहुत खराब है, तो इसे और क्यों खराब करें? मस्जिदों के जरिए हॉटस्पॉट चिन्हित करने से सरकार अपने ही उद्देश्य को कुचल रही है“।
उधर उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रमुख अजय कुमार लल्लू में आरोप लगाया कि योगी सरकार मामलों को दबा रही है। हमें अच्छा तो नहीं लगता यह बताते हुए, पर अजय बाबू, योगी सरकार ठीक वैसा ही कर रही है, जैसा आप कह रहे हो। अब उसके नतीजे आपके अनुकूल नहीं हैं तो ये आपकी निजी समस्या है।
पर जो भी कहिए, योगी सरकार वुहान वायरस से प्रभावशाली तरीके से मोर्चा संभालने के लिए प्रशंसा की अधिकारी है। वैसे भी, सही को सही और ग़लत को गलत बोलना एक कुशल प्रशासन की निशानी है, जिससे केवल मूर्खों को ही समस्या हो सकती है।