कल यानि मंगलवार को पीएम मोदी 54 दिन में पांचवीं बार देश के सामने आए। अपने संबोधन में उन्होंने चार अहम बातें कही, जिनमें प्रमुख थे – देश को आत्मनिर्भर बनाना, आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज निकालना, जिसके तहत बुधवार शाम 4 बजे से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण घोषणाओं की शुरुआत करेंगी, आत्मनिर्भर बनने की राह में भारत के निवासियों का लोकल प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देना, लॉकडाउन का चौथा फेज नए रंग-रूप और नए नियमों वाला होना इत्यादि।
पीएम मोदी ने बताया कि 20 लाख करोड़ का यह आर्थिक पैकेज भारत की कुल जीडीपी का 10 प्रतिशत होगा। इस विशाल पैकेज और उससे जुड़े लाभ को ना सिर्फ देश के अधिकांश लोगों ने अपना समर्थन दिया, अपितु पीएम मोदी के प्रति अपना आभार भी जताया। पर कुछ लोग तब भी ऐसे थे, जिनके पेट में इस बात की मरोड़ उठी कि आखिर पीएम मोदी ने यह निर्णय लिया तो लिया कैसे।
हमारे देश की विडंबना यह है कि सरकार कोई भी निर्णय ले, वामपंथी बुद्धिजीवियों को अपनी टांग अवश्य अड़ानी है। इसी परिप्रेक्ष्य में सबसे आगे रहे अशोक स्वेन, जिन्होंने इस निर्णय पर तंज कसते हुए लिखा, “कहां से लाएंगे ये जीडीपी का 10 प्रतिशत? जिंबाब्वे की तरह पैसे छापेंगे?”
https://twitter.com/ashoswai/status/1260223604962328576?ref_src=twsrc%5Etfw
भारत के ट्यूबलाइट पत्रकारों में शुमार निखिल वागले को अभी भी लगता है कि प्रवासी मजदूर संकट में है। शायद तभी जनाब ने ट्वीट किया, “माननीय मोदी जी, क्या आपके आत्मनिर्भर भारत में उन प्रवासी मजदूरों के लिए भी कोई जगह है जो अभी भी सड़कों पर पड़े हैं?”
Modi ji, does your self-reliant India include migrant labourers who are still on the road? #India
— nikhil wagle (@waglenikhil) May 12, 2020
अब बात मोदी सरकार को निशाने पर लेने की हो, और आरफा खानुम शेरवानी अपने मधुर वचन ना दें, ऐसा हो सकता है क्या? मोहतरमा ने ट्वीट किया, “यह बात भी किस से कर रहे हैं?”
Who exactly is he talking to ?
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) May 12, 2020
इस पर लिविंग मोर्टल नामक ट्विटर यूज़र ने बड़ा तगड़ा व्यंग्य करते हुए कहा, “उन्हीं से बात कर रहे हैं जिनके पास कागज़ है“.
https://twitter.com/Vaibhav6131584/status/1260222698224889863
परन्तु यह कुंठा केवल वामपंथियों तक ही सीमित नहीं थी। इस पैकेज की घोषणा ने एक बार फिर कांग्रेस के दोहरे मापदंड को भी एक्सपोज कर दिया। रात दिन पैकेज का राग अलापने वाली कांग्रेस ने पैकेज की घोषणा होने के बाद ये रोना शुरू कर दिया है कि पैकेज उनके हिसाब से क्यों है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की माने तो यह पैकेज जीडीपी का 50 प्रतिशत होना चाहिए था।
केवल 20 लाख करोड़..?
मोदी जी,
ये महामारी है,
सब कुछ चौपट हो चुका है।जीडीपी का केवल 10% नहीं,
कम से कम जीडीपी का 50% तो दीजिये।— MP Congress (@INCMP) May 12, 2020
ये ना केवल हास्यास्पद है, बल्कि यह अपने ही नेताओं के बयानों की खिल्लियां उड़ाता है। हालांकि इस मुद्दे पर कांग्रेस दो फाड़ हो गई, क्योंकि कुछ ऐसे भी नेता थे, जिन्हें इस निर्णय से कोई आपत्ति नहीं थी। मिलिंद देवड़ा ने ना केवल इस निर्णय को सराहा, अपितु इसे एक परिपक्व निर्णय भी घोषित किया.
Timely announcement of a US $266 billion economic package by @narendramodi ji.
If carefully executed, we will avert a humanitarian crisis, expand India’s role in global supply chains & revolutionise our @makeinindia capabilities.
In Chinese, crisis = danger + opportunity pic.twitter.com/VEVeYuoICD
— Milind Deora | मिलिंद देवरा ☮️ (@milinddeora) May 12, 2020
इसके अलावा अभी कुछ ही दिन पहले एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता और पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने कहा था कि सरकार को कम से कम जीडीपी का 5 से 6 प्रतिशत राहत कार्यों में लगाना चाहिए। इतना ही नहीं, रघुराम राजन ने जब राहुल गांधी के साथ लाईव वीडियो चैट की, तो उन्होंने भी 65000 करोड़ रुपए के आर्थिक सहायता की वकालत की। पर जब पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की, तो यही लोग अब इसे नाकाफी बता रहे हैं। सही ही कहा था मोदीजी ने ऐसे लोगों के लिए –
हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है.