कभी सोचा है सलमान खान और कांग्रेस में क्या समानता है? नहीं ना, पर एक समानता है। जब भी कोई संकट आता है, तो ये दोनों ही किसी ऐसे व्यक्ति को सामने खड़ा करते हैं, जो आसानी से बलि का बकरा बन सके। सलमान खान के लिए यदि ये काम उनका ‘ ड्राइवर ‘ करता है, तो यही काम कांग्रेस के लिए मोतीलाल वोरा करते हैं।
अभी हाल ही में नेशनल हेराल्ड घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और कांग्रेस पार्टी के नेता मोतीलाल वोरा की 16.38 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया है।
बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रोविजनल अटैचमेंट आदेश एजेएल और मोती लाल वोरा के नाम जारी किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि कुर्क की गई संपत्ति में मुंबई में 9 मंजिला इमारत है, इसमें दो बेसमेंट भी हैं जो 15 हजार स्क्वायर मीटर में बना हुआ है। इसकी कुल कीमत 120 करोड़ रुपए है। इसमें से 16.38 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में एजेएल के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया था और कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ गया था।
परंतु मोतीलाल वोरा है कौन, और नेशनल हेराल्ड घोटाले से उनका संबंध क्या है? मोतीलाल वोरा कांग्रेस पार्टी के सबसे वफादार नेता माने जाते हैं और गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं। इसके लिए उन्हें समय-समय पर पुरस्कार भी मिला है, चाहे 1985-1988 के लिए अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद हो, या फिर 1988-1989 तक और इसके बाद फिर 1991-1993 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में इन्हें जगह मिलना हो, मोतीलाल वोरा को अपनी चाटुकारिता के लिए समय-समय पर पुरस्कार मिला है।
इतना ही नहीं, मोतीलाल वोरा काफी समय तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रहे हैं, और साथ ही साथ उसी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडियन का भाग भी रहे हैं, जिसका नेशनल हेराल्ड घोटाले से लिंक भी सामने आया था। नेशनल हेराल्ड वही मामला है जिसके तहत सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर मुकदमा दायर है। स्पष्ट है मोतीलाल वोरा को कांग्रेस की काली करतूतों के बारे में अच्छी ख़ासी जानकारी है।
ऐसे में उन्हें बलि का बकरा बनाकर कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के लिए एक रक्षा कवच की तरह इस्तेमाल करना चाहती है। ठीक वैसे ही जैसे 1998-99 के कार्यकाल में सीताराम केसरी के साथ इस पार्टी ने किया था। सीताराम केसरी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष थे, जिन्हें ज़बरदस्ती उनके पद से हटाया गया था और उन्हें अपमानित कर सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, पीवी नरसिम्हा राव के साथ कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया था क्योंकि पीवी नरसिम्हा राव के लिए राष्ट्र सबसे पहले था, लेकिन उनकी मौत के बाद कांग्रेस का उनके शव के साथ व्यवहार शर्मनाक था।
ऐसे में मोतीलाल वोरा कांग्रेस के लिए वही ओहदा रखते हैं, जो सलमान खान के लिए उनके ‘ ड्राइवर ‘। जब भी कांग्रेस को लगता है कि 10 जनपथ में विराजमान उनके हाईकमान मुसीबत में है, तो ये पार्टी तुरंत मोतीलाल वोरा जैसे लोगों को आगे कर देती हैं। अब ऐसे में मोतीलाल वोरा का आगे क्या होगा, ये तो भगवान ही जाने, पर एक बात फिर स्पष्ट हो गई – कांग्रेस के लिए आज भी गांधी परिवार का हित सर्वोपरि है और आगे भी रहेगा।