नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार को भारत के विरोध के कारण अब लेने के देने पड़ गए हैं। नेपाल सेना के सेना प्रमुख ने ही प्रधानमंत्री केपी ओली के भारत विरोधी रुख का समर्थन करने से मना कर दिया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चन्द्र थापा को भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने का उनके नेपाल पर दिये गए बयान का विरोध करने को कहा, लेकिन जनरल थापा ने मना कर दिया। ओली चाहते थे कि किसी तरह इस मामले को बढ़ा कर दोनों सेनाओं में मतभेद पैदा किया जा सके लेकिन जनरल थापा ने उनकी मंशा पर पानी फेरते हुए इस मामले को राजनीतिक करार देते हुए किसी भी तरह का बयान देने से मना कर दिया।
बता दें कि जब नेपाल ने भारत के हिस्सों को अपने नए नक्शे में शामिल किया था तब भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने कहा था कि हो सकता है कि नेपाल ने किसी और के कहने पर इस तरह का कदम उठाया है। इससे ओली बुरी तरह से चिढ़ गए थे और उन्होंने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल थापा से जनरल नरवाने के बयान का विरोध करने को कहा लेकिन उन्होंने इसे राजनीतिक मामला बताते हुए साफ मना कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि इसका मिलिटरी से कोई लेना देना नहीं है।
जनरल थापा ने ऐसा क्यों किया यह समझना मुश्किल नहीं है क्योंकि नेपाल का सेना अध्यक्ष भारतीय सेना का Honorary General होता है और भारतीय सेनाध्यक्ष नेपाल की सेना के। यानि जनरल थापा भारतीय सेना के Honorary General हैं, उन्हें यह पद पिछले वर्ष जनवरी में राष्ट्रपति भवन के एक कार्यक्रम में उनके नेपाली सेना का पदभार संभालने के बाद दिया गया था।
अब जनरल थापा ने पीएम केपी ओली को मना कर यह दिखा दिया है कि वह भारतीय सेना के Honorary General हैं और वह भारतीय सेना प्रमुख के खिलाफ किसी भी तरह का विरोधात्मक बयान नहीं देंगे।
दोनों देशों की सेनाएं मजबूत द्विपक्षीय संबंध साझा करती हैं, और नेपाल सेना में एक परंपरा है जिसके अनुसार नेपाल सेना प्रमुख पद संभालने के बाद अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे पर नई दिल्ली आते हैं। जनरल थापा ने भी 2019 में इसी परंपरा के तहत भारत का दौरा किया था।
इसके अलावा, भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में नेपाल से भर्ती किया जाता है। अगर वर्तमान में देखें तो, भारतीय सेना में नेपाल के 32,000 गोरखा सैनिक हैं। इसके अलावा भारतीय सेना 1,25,000 सेवानिवृत्त गोरखा सैनिकों और असैनिक कर्मियों को पेंशन देती है। यह दिखाता है कि इन दोनों देशों की सेना में किस स्तर का समन्वय है।
भारतीय सेना ने नेपाल सेना की प्रशिक्षण और संस्थागत सहायता भी की है। नेपाल सेना के कई अधिकारी भारतीय सेना के प्रशिक्षण में भाग लेते हैं। और जनरल थापा ने स्वयं भारत के नेशनल डिफेंस कॉलेज से स्नातक और मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा और सामरिक अध्ययन में स्नातकोत्तर किया हैं।
ऐसा लगता है कि इस गहरे सबंध को कम्युनिस्ट पार्टी के ओली भूल गए और उन्होंने सेना को राजनीति में अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और जनरल थापा ने सेना की मर्यादा का मान रखा।
पीएम केपी ओली ने चीन के बहकावे में आकर भारत के खिलाफ कदम उठाना तो शुरू कर दिया था, लेकिन उसके परिणाम के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा था। जब से चीन ने केपी ओली की सरकार बचाई है तब से ही वे चीन के इशारों पर नाच रहे हैं। अब ओली ने सेना को बीच में लाने की कोशिश कर अपने आप की ही बेइज्जती कारवाई है। अभी भी समय है नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार को सेना और नेपाल के लोगों का भारत के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव का सम्मान करना चाहिए।