भारत ने कोरोना काल में भी कूटनीति का भरपूर इस्तेमाल किया है। अब एक और चाल चलते हुए भारत ने मलेशिया से आतंकवादी ज़ाकिर नाईक के प्रत्यर्पण का एक औपचारिक अनुरोध किया है। मलेशिया से नाईक को भारत में प्रत्यर्पण की कोशिश जुटी में भारत सरकार ने पिछले साल भी मलेशिया को उसके प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा था, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी थी।
यही नहीं उस दौरान मलेशिया की सत्ता महातिर मोहम्मद में हाथों में थी जिन्होंने भारत को रोकने की भरपूर कोशिश की थी। परंतु इस बार सत्ता में महातिर भी नहीं है और साथ ही कोरोना से तबाह हुई मलेशिया की अर्थव्यवस्था के कारण, उस पर भयंकर दबाव है। भारत ही है जो मलेशिया को इस मुसीबत से निकाल सकता है क्योंकि भारत मलेशिया के पाम ऑयल के सबसे बड़े ख़रीदारों में से एक है। ऐसे में इस बार ज़ाकिर नाईक के प्रत्यर्पण की संभावना बढ़ चुकी है।
Govt has sent formal request to Malaysia for extradition of Zakir Naik, govt is pursuing it: Sources. (File pic) pic.twitter.com/QdodjgRKFW
— ANI (@ANI) May 14, 2020
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया है कि भारत सरकार मलेशिया सरकार के साथ ज़ाकिर नाईक के प्रत्यर्पण को उठा रही है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) नाईक के मामले की जांच कर रही है, परंतु जांच शुरू होने से पहले ही वह मलेशिया में जाकर छिप गया। हालांकि, यह कट्टरपंथी मलेशिया में बैठकर भी जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा है। हाल ही में उसका एक वीडियो सामने आया था जिसमें उसने गैर-मुस्लिमों और देशों को मुस्लिम देशों या मुस्लिम ब्रदरहुड के दबदबे की धमकी दी थी।
हालांकि, मलेशिया में अब ज़ाकिर नाईक के सबसे बड़े विरोधी रहे मलेशिया के पूर्व गृहमंत्री मुहियुद्दीन यासीन अब देश के प्रधानमंत्री पद पर हैं। वे ज़ाकिर नाईक के कड़े विरोधी रह चुके हैं, और इसके साथ ही उसे भारत सौंपने की वकालत भी कर चुके हैं। पिछले वर्ष अगस्त में जब ज़ाकिर ने मलेशिया के हिंदुओं को निशाने पर लेते हुए उनकी वफादारी पर शक किया था, तो हाल ही में PM का पद संभालने वाले मुहियुद्दीन यासीन ने तब उसके खिलाफ सख्त रुख अपनाया था।
ज़ाकिर ने तब कहा था कि मलेशिया के हिन्दू मलेशिया से ज़्यादा पीएम मोदी के वफादार हैं। उसके बाद यासीन ने ज़ाकिर को चेतावनी देते हुए कहा था- “कानून से ऊपर कोई नहीं है, डॉक्टर जाकिर नाइक भी नहीं”। उसके बाद ज़ाकिर नाईक पर कार्रवाई करते हुए उनके सार्वजनिक भाषणों पर रोक लगा दी गयी थी।
"None above the law, not even Dr. Zakir Naik (in file pic)," says, Malaysian Home Minister Muhyiddin Yassin: Malaysian media pic.twitter.com/l6TlbjBEHS
— ANI (@ANI) August 26, 2019
बता दें कि ज़ाकिर नाइक पर भारत में 193.06 करोड़ रु. की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। गिरफ्तारी की डर से वह 2016 में मलेशिया भाग गया था। नाइक के खिलाफ 2016 में एंटी-टेरर लॉ के तहत केस दर्ज किया गया था। जून 2017 में कोर्ट ने नाइक को अपराधी घोषित किया गया था।
वहीं दूसरा कारण देखें तो वह आर्थिक तंगी है क्योंकि जिस तरह से महातिर मोहमाद ने भारत के साथ रिश्तों को खराब कर के अपने पाम ऑयल पर आश्रित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है, कोरोना के कारण अब वह बिखरने के कगार पर है। ऐसे में मलेशिया की नई नवेली सरकार फिर से भारत के साथ अपने रिश्ते खराब करना नहीं चाहेगी।
बता दें कि पॉम आयल का उद्योग इसलिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस उद्योग में लगभग 10 लाख लोग काम करते हैं। 6 से 7 लाख लोगों को इस उद्योग में प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता है, तो वहीं लगभग 3 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से! मलेशिया अब फिर से नहीं चाहेगा कि दुनिया के सबसे बड़े पाम ऑयल इंपोर्टर देशों से एक भारत फिर से कोई ऐसा कदम उठाए।
भारत ने सही मौके पर मलेशिया से इस खतरनाक कट्टरपंथी की मांग की है, तब जाकिर नाईक का बच पाना नामुमकिन है। कोरोना के समय में अभी लगभग सभी देश अपने देशवाशियों की जान के साथ साथ अपनी अर्थव्यवस्था बचाने में लगे हैं। जिन देशों की अर्थव्यवस्था किसी एक क्षेत्र पर अत्यधिक टिकी हुई है उन देशों को काफी नुकसान हुआ है। मलेशिया भी उन्हीं देशों में है जिसकी अर्थव्यवस्था सिर्फ पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर निर्भर है लेकिन अब पूरी दुनिया के सप्लाइ चेन में बाधा आ गई है।
ऐसे में मलेशिया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से संवेदनशील है और बिना किसी सपोर्ट के गिर सकता है। भारत ने भी ऐसे मौके को देख कर ही मलेशिया से ज़ाकिर नायक के प्रत्यर्पण के लिए दबाव बनाया है। यही सही समय है जब मलेशिया जैसे देश पर दबाव बनाकर कट्टरपंथी ज़ाकिर नाईक को भारत लाया जाए और उसे उसके कर्मों की कानून के तहत सज़ा दी जाए।