ज़माना चाहे इधर से उधर हो जाए, पर मजाल है कि चीन अपनी हरकतों से बाज आए। वुहान वायरस को दुनिया भर में फैलाने के बाद भी इस देश की हेकड़ी जस की तस है। इन्होंने अब द हिन्दू को निशाने पर लिया है, क्योंकि इस अख़बार ने चीन के धुर विरोधी देश ताइवान के वुहान वायरस से संबंधित तैयारियों को लेकर चीन विरोधी टिप्पणियां की थी।
दरअसल, द हिन्दू के लिए लेख लिखते हुए ताइवान के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कैसे ताइवान ने वुहान वायरस के विरुद्ध अपना युद्ध जीता था और क्यों WHO में उसका प्रवेश अत्यंत आवश्यक है।
अब इसे सिद्ध करना कोई रॉकेट साइंस तो है नहीं की ताइवान का उल्लेख मात्र ही कैसे चीन को तमतमाने पर विवश कर देता है। लिहाजा चीनी दूतावास ने इस लेख पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भारतीय मीडिया को वन चाइना सिद्धांत पर अमल रहने की हिदायत दी।
परन्तु यह पहला ऐसा केस नहीं है, जब China ने भारतीय मीडिया को उसकी बेबाकी पर चलने का तुगलकी फरमान सुनाया हो। इससे पहले WION न्यूज और टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी ताइवान को लेकर कुछ कवरेज और इंटरव्यू की थी जिससे चीन बिलबिला उठा था।
दुनियाभर की वैश्विक मीडिया की ओर देखा जाये, फिर चाहे वह चीनी मीडिया हो या अमेरिकी मीडिया, सब को आज चीन द्वारा खरीद लिया गया है। यहाँ तक कि WHO जैसे संगठन भी आज China की भाषा बोलते ही दिखाई देते हैं। ऐसे में WION जो कर रहा है, उसने चीन को अंदर तक हिला कर रख दिया है।
WION ना सिर्फ कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहने से पीछे नहीं हट रहा है बल्कि, China द्वारा ताइवान के साथ किए जाने वाले बुरे बर्ताव को भी सबके सामने रख रहा है। चूंकि WION भारत के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया में भी काफी देखा जाता है, ऐसे में यही एक वैश्विक चैनल बचा है जिससे चीनी सरकार अब पूरी तरह डर चुकी है।
इतना ही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी चीन को दिन में तारे दिखा दिए थे। अपनी रिपोर्ट में Times of India ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसफ जोशिए का इंटरव्यू प्रकाशित किया था जिसमें उनसे कोरोना वायरस के प्रति ताइवान के रुख और ताइवान की WHO में सदस्यता संबन्धित कई प्रश्न पूछे गए थे। जोसेफ़ ने इस इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि कैसे चीन WHO में ताइवान की भागीदारी का विरोध करता रहा है। जोसेफ़ के मुताबिक-
“वर्ष 2009 से लेकर 2019 तक हमनें 187 बार टेक्निकल मीटिंग्स में हिस्सा लेने के लिए आवदेन किया था, और हमें 70 प्रतिशत बार मना कर दिया गया, क्योंकि चीन ऐसा चाहता था”।
अब द हिन्दू के एक लेख पर जिस तरह से चीनी दूतावास ने अपना वास्तविक स्वरूप दिखाया है, उससे एक बात तो स्पष्ट है, कि चीन अभी भी भारतीय मीडिया को पूरी तरह खरीदने में बुरी तरह असफल रहा है। इसी बौखलाहट में वह एक सड़कछाप गुंडे की तरह भारतीय पत्रकारों अथवा भारतीय पोर्टल्स को धमकाता फिर रहा है, पर ये भारतीय मीडिया है चीन जितना चिढ़ेगा उतना ही यहां के पत्रकार उसे चिढ़ाएंगे।