अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कैसे एकाधिकार ज़माना है, यह कोई ट्विटर से सीखे। अभी इनकी नई पॉलिसी के अनुसार एक प्लान की टेस्टिंग हो रही है, जो यदि सफल रहा, तो ये वास्तविक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं होगा।
दरअसल ट्विटर के टेस्ट प्लान के अनुसार अब यूज़र के पास तीन प्रकार के विकल्प होंगे – एक तो वह ट्विटर के आम सेटिंग्स के साथ काम कर सकता है, दूसरा कि वह उन लोगों को ही रिप्लाई करेगा, जो उन्हें फॉलो करे, और तीसरा वही user रिप्लाई करेगा, जिन्हें वो विशेष रूप से मेंशन करे।
https://twitter.com/Twitter/status/1263145271946551300?s=19
Liberal celebs – random RW trolls keep exposing us
Twitter CEO: Hmm
Liberal celebs: They throw facts in our face? Imagine!
Twitter CEO: Hmm
Liberal celebs: Their responses get more RTs than us
Twitter CEOs: Ennnnnooouggh. Let me handle this now. https://t.co/uK96knLFZv
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) May 21, 2020
तो आखिर समस्या क्या है? समस्या यह है कि इस प्लान से आपके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर स्पष्ट रूप से हमला होगा। आपके पास विरोध करने का अधिकार नहीं होगा। इससे ना सिर्फ ट्विटर को अपने प्रोपगेंडा को प्रसारित करने की स्वतंत्रता मिलेगी, अपितु वाद विवाद की संभावना भी लगभग क्षीण हो जाएगी। जब कोई आपकी बात पर जवाब ही ना दे पाए, तो क्या चर्चा और क्या विरोध?
ट्विटर किस प्रकार से पक्षपात करता आया है, ये किसी से छुपा नहीं है। इस मंच पर अपनी बात रखने के लिए दक्षिणपंथियों को अनेक पापड़ बेलने पड़े हैं। फॉलोवर काउंट में हस्तक्षेप करने से लेकर शैडो बैन करने और ऊल जलूल दलीलों के आधार पर अकाउंट निलंबित कराने तक, आप बस बोलते जाइए और ट्विटर ने ये सब किया है।
पर ये निर्णय इस अन्याय को एक नए स्तर पर ही ले जाएगा, और सोशल मीडिया सिर्फ एक मज़ाक बनकर रह जाएगा। यदि कोई किसी गलत बात पर विरोध ही ना कर पाए, तो उस प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता किस काम की? एक स्वस्थ वाद विवाद से किसी भी सभ्य समाज में विचारों का बढ़िया आदान प्रदान होता है, और ट्विटर अपने नए प्लान से इस आदान प्रदान पर ही कैंची चला रहा है।
उदाहरण के लिए इस वार्तालाप को देखिए। यहां राणा अय्यूब के एक घटिया ट्वीट पर स्वाति चतुर्वेदी, अभिसार शर्मा और अन्य पत्रकारों ने जमकर धुलाई की थी।
What is left for a virus to kill in a morally corrupt nation
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 16, 2020
Only a mean soul would tweet this –
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) March 16, 2020
अब अगर ट्विटर का टेस्ट प्लान वाकई लागू होता है, तो राणा अय्यूब जैसे झूठी प्रोपेगैंडावादी पत्रकार की तो लॉटरी ही लग जाएगी, क्योंकि वे आलोचना से बचने के लिए आराम से रिप्लाई बटन डिसेबल कर सकती है। इसके अलावा फेक न्यूज़ को भी इस प्लान से ज़बरदस्त बूस्ट मिलेगा, क्योंकि इसके प्रत्युत्तर में वास्तविकता को दिखाने की सुविधा तो नहीं ही मिलेगी। जब झूठ के जवाब में सच ही नहीं दिखेगा, तो झूठ का आग की तरह फैलना तो लाजमी है।
इतना ही नहीं, ट्विटर पर इससे पहले भी कई गंभीर आरोपों में लिप्त रहा है। पिछले वर्ष के प्रारंभ में संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से ट्विटर के सीईओ ने इंकार कर दिया था जिसके बाद इस समिति ने ट्विटर के सीईओ, Twitter इंडिया की पब्लिक पॉलिसी हेड ‘महिमा कौल’ सहित कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को 10 दिनों के भीतर पेश होने का समन भेज दिया। इससे पहले Twitter के सीईओ ने भारत के समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया था। ऐसा करके इस कंपनी ने भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान किया था जिसके लिए Twitter की खूब आलोचना भी हुई। ब्राह्मण समाज का अकारण अपमान करने वाले प्लाकार्ड को समर्थन देने वाले ट्विटर के सीईओ के अन्य कारनामों के बारे में हम जितना कम बोलें, उतना अच्छा।
बता दें कि भारत में सोशल मीडिया पर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने, डाटा की निजता और आगामी लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सही इस्तेमाल से जुड़े मामले को लेकर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से (IT) से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने Twitter सीईओ को पहले 7 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था लेकिन, बाद उस समय कम समय का हवाला देकर Twitter इंडिया की टीम नहीं पेश हुई।
अब अगर ट्विटर को वास्तव में एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तौर पर अपनी विश्वसनीयता बनाए रखनी है, तो उसे ऐसे वाहियात प्लान कूड़ेदान में फेंक देने चाहिए, अन्यथा ट्विटर भी ऑरकुट की भांति पतन की ओर अग्रसर हो जाएगा।