वुहान वायरस के कारण अमेरिका में हाहाकार मचा हुआ है, और लगता है कि अमेरिका के सत्ता का केंद्र भी जल्द ही इसकी चपेट में आने वाला है। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति के एक सैन्य सहायक और उपराष्ट्रपति के दो सहायक स्टाफ सदस्यों के वुहान वायरस से संक्रमित होने से व्हाइट हाउस में हड़कंप मच गया है।
पिछले हफ्ते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सैन्य सहायक और उपराष्ट्रपति माइक पेंस की प्रवक्ता एवं प्रेस सेक्रेटरी केटी मिलर COVID 19 पॉज़िटिव पाई गई थीं। इसके कारण सोमवार से ही व्हाइट हाउस ने निर्देश दिए हैं कि वेस्ट विंग (जहां से राष्ट्रपति ट्रंप अपने आधिकारिक काम करते हैं) में आने वाले सभी लोग मास्क पहनेंगे, और उनकी टेस्टिंग भी की जाएगी।
हालांकि इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप ने मास्क पहनने से इंकार किया है। उनके अनुसार दो लोगों के COVID 19 पॉज़िटिव होने से व्हाइट हाउस पर कोई बहुत बड़ा संकट नहीं आ गया है। हालांकि उन्होंने इस बात पर स्वीकृति की है कि वे माइक पेंस से फिलहाल के लिए थोड़ी दूरी बनाकर रखेंगे.
इन सभी घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि COVID-19 अब व्हाइट हाउस में दस्तक दे चुका है, और यदि स्थिति जल्द ही नहीं संभाली गई, तो पूरा व्हाइट हाउस जल्द ही कोरोना हाउस में परिवर्तित हो सकता है।
बता दें कि अमेरिका में 14 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 83 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। परन्तु वहां के जनमानस के स्वभाव को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वे इस स्थिति को लेकर बिल्कुल भी गंभीर है।
अमेरिका किसी अन्य देश से अधिक मौतों का गवाह बन रहा है, और हाल ही में एक दिन में मरने वालों की संख्या 9/11 की कुल संख्या को भी पार कर गई। कोरोना वायरस की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां ग्राफ थमने का नाम नहीं ले रहा है और इसका कारण बस वहाँ के लोगों की मानसिकता है। उन्हें लगता है कि उनका देश महान है और वे फ़र्स्ट वर्ल्ड के देश हैं इस वजह से वे लॉकडाउन किए बिना भी बच जाएंगे लेकिन ठीक इसके विपरित हो रहा है और यही घमंड इन पर भारी पड़ रहा है। मौत का ग्राफ बढ़ने पर भी राष्ट्रपति ट्रम्प ने अर्थव्यवस्था सुधारने पर तवज्जो दिया.
अमेरिका वास्तव में इस महामारी के प्रति कितना गंभीर है, इसके लिए किसी विशेष शोध की आवश्यकता नहीं है। जब कोरोना ने अमेरिका में अपना पाँव पसारना शुरू किया था तब अमेरिका में इसे खूब नज़रअंदाज़ किया गया था। व्हाइट हाउस ने भी किसी की नहीं सुनी और कोरोना वायरस को हल्के में लेते रहे। पिछले महीने ही ट्रम्प ने कोरोना वायरस की तुलना एक सामान्य फ्लू से की थी।
एक तरफ जहां भारत में जनता कर्फ़्यू लगा था तो वहीं अमेरिका में इस वायरस को खत्म होने के लिए गर्मी का इंतज़ार किया जा रहा था। राष्ट्रपति ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था। सिर्फ ट्रम्प ही नहीं अमेरिका की पूरी व्यवस्था ही इस वायरस को कमतर आंकती रही। मार्च के मध्य ही ट्रम्प अमेरिका की अर्थव्यवस्था को खोलना चाहते थे।
परंतु, अमेरिका का विपक्ष यानि डेमोक्रेट्स क्या कर रहे थे? रिपब्लिकन करेले तो डेमोक्रेट नीम चढ़े सिद्ध हुए। जब पूरा विश्व सोशल डिस्टेन्सिंग को अपना रहा था तब ये अपने यह देश अपने यहां भीड़ इकट्ठा कर रही थी। दूसरी तरफ पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन राष्ट्रपति ट्रंप के चीन के प्रति Xenophobia को एक्सपोज करने में लगे रहे।
किसी नेता ने अमेरिका में वुहान वायरस के खिलाफ बोलने की या लोगों को उससे बचने की हुंकार नहीं भरी, लेकिन राष्ट्रपति की निंदा करते रहे। अमेरिका के राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय भी देखने को नहीं मिला। लॉकडाउन में दी गयी ढील इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। राष्ट्रपति और गवर्नर जो भी कर रहे हैं वो वहीं मानसिकता सामान्य अमेरिकी का भी है। अब वुहान वायरस व्हाइट हाउस तक पहुंच चुका है, और ऐसे में अभी भी समय है कि प्रशासन चेत जाए । परन्तु राष्ट्रपति ट्रंप के स्वभाव को देखते हुए इसकी उम्मीद बेहद कम है।