कोरोना से पूरी दुनिया त्रस्त है और बचत कर अपनी जान बचाने में लगी है। कई बड़े देशो के अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है और लोग भूख से बिलबिला रहे हैं। परंतु एक देश ऐसा भी है है जहां की सेना ने इस महामारी के बीच भी अपने लोगों को छोड़ अपनी सैलरी में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग की है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने इमरान सरकार को मेमोरेंडम भेजकर 63.67 बिलियन रुपए यानी 6367 करोड़ की मांग की है, जिससे कि तीनों सेनाओं- एयरफोर्स, सेना और नेवी के कर्मचारियों की सैलरी में 20 फीसदी का इजाफा किया जा सके। वित्त मंत्रालय को सौंपे गए मेमोरेंडम में दावा किया गया है कि सुरक्षा कर्मियों को पाकिस्तानी रुपये की कीमत कम होने और मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण जीवनयापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वे अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन ने सेना की इस मांग को मंजूरी दे दी है। बता दें कि सेना ने अपने मेमोरेंडम में यह भी कहा है कि पिछले साल देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी इसी कारण से सैनिकों और अधिकारियों ने स्वेच्छा से अपने खर्चों में कटौती को मान लिया था।
यह विडम्बना ही है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था कर्जों पर लंगड़ा कर चल रही हो, नागरिक भूखे मरने पर मजबूर हो, कोरोना जैसे हालात जब नागरिकों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है तब उस देश की सेना ने अपनी सेलेरी को 20 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की है। यह सभी को पता है कि पाकिस्तान को उसकी सेना ही परोक्ष रूप से चलाती है और यह मांग मान भी ली जाएगी।बता दें कि पाकिस्तान में अभी में पांच से छह करोड़ बेहद गरीब की श्रेणी में आते हैं और अब कोरोना के वजह से एक अनुमान में कहा गया है कि देश की 20 करोड़ से कुछ अधिक आबादी में से साढ़े बारह करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे जा सकते हैं।
‘जंग’ में प्रकाशित रिपोर्ट में यह अंदेशा जताया गया है कि कोरोना वायरस के कारण हुई तबाही का भयावह नतीजा पाकिस्तान की जीडीपी को भुगतना पड़ सकता है और देश में अभी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रही पांच से छह करोड़ की आबादी बारह से साढ़े बारह करोड़ तक पहुंच सकती है। पाकिस्तान अभी इतिहास में अब तक की सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है, और राजकोषीय घाटा 9.6 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
पाकिस्तान ने विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सहायता मांगी है, ताकि वुहान वायरस के समय वे अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल सके। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने जी-20 देशों के समूह से कर्ज के लिये आवेदन किया था। वहीं इस देश ने IMF से भी कर्ज की मांग की थी लेकिन, IMF ने कुछ देशों के लिए विशेष पैकेज का ऐलान किया, पर उन 25 देशों में पाकिस्तान का नामोनिशान नहीं था। IMF द्वारा गठित आपदा प्रबंधन एवं राहत ट्रस्ट अथवा CCRT फंड के अन्तर्गत 25 देशों के लिए फंड अप्रूव कराए। इसमें कई अफ्रीकी देश जैसे सिएरा लियोन, बुर्किना फासो शामिल हैं। यहां तक कि अफगानिस्तान को भी इस फंड के अन्तर्गत सहायता प्रदान की गई है, पर पाकिस्तान को ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली है।
वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है और ऐसे में पहले से ही गर्त में पड़ी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कोरोना और टिड्डियों के दोहरी मार झेल रही है। इसी कारण पाकिस्तान में हालत दयनीय हो चुके हैं।
पाकिस्तान में कोरोना के खिलाफ लड़ाई इस प्रकार लड़ी जा रही है कि आज के समय यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति भी इस देश में चला जाए, तो वो भी कोरोना समेत कई खतरनाक बीमारी अपने साथ लेकर आएगा। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है, स्वस्थ लोग बीमार पड़ रहे हैं, दवा-मास्क की कमी हो गयी है, कोरोना के मामले 34 हजार पार कर चुका है।
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने पिछले वर्ष अपने इतिहास में पहली बार एक साल के भीतर 16 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लेकर एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया था। डिफॉल्टर होने से बचने और आयात जारी रखने के लिए पाकिस्तान लगातार विदेशी कर्ज ले रहा है और अभी पाकिस्तान पर इतना कर्ज है कि उसके बजट का बड़ा हिस्सा यानी 42 फीसदी तो कर्ज का ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जाता है।
लेकिन फिर भी ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की सेना अपनी सैलरी में 20 प्रतिशत का इजाफा चाहती है। गरीबी की गर्त में जा चुका पाकिस्तान का यह फैसला नागरिकों की बलि चढ़ाने वाला फैसला होगा है।