दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सुपर पावर बनने का सपना देखने वाले चीन की हालत आज ऐसी हो गयी है कि आज सब देश मौका पाते ही चीन को उसकी जगह दिखाने से पीछे नहीं हटते। इसी कड़ी में ASEAN समिट के दौरान वियतनाम ने भी चीन पर जोरदार हमला बोला है। कल यानि 26 जून को ASEAN देशों की एक वर्चुअल समिट हुई और इस समिट में वियतनाम के प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए चीन पर तगड़ा हमला बोला। उन्होंने इशारों ही इशारों में RCEP यानि Regional Comprehensive Economic Partnership के साइन ना होने के लिए चीन की गुंडागर्दी को जिम्मेदार ठहरा डाला। RCEP वियतनाम के साथ-साथ सभी ASEAN देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और ये सब देश भारत और चीन को साथ लेकर इसे पक्का करना चाहते हैं। भारत ने पिछले साल ही इससे बाहर निकलने का फैसला लिया था, उसके बाद से ही यह डील dead मानी जा रही है। अब वियतनाम ने इशारों ही इशारों में चीन को इसके लिए जिम्मेदार बताया है।
वियतनाम के प्रधानमंत्री Nguyen Xuan Phuc ने कल ASEAN समिट में बोलते हुए कहा “हम RCEP को पक्का करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमें लगता है कि इस क्षेत्र में सभी अर्थव्यवस्थाओं को और ज़्यादा ओपन होना चाहिए। हालांकि, हम इस क्षेत्र में नियम एवं कानून-व्यवस्था के पालन करने को भी ज़रूरी मानते हैं। ऐसे समय में जब दुनियाभर के देश कोरोना से जूझ रहे हैं, तब भी कुछ देश अंतर्राष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाकर आक्रामकता दिखाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। दक्षिण चीन सागर में सभी अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संधियों का पालन होना चाहिए”।
#ASEANSummit#Vietnam PM Nguyen Xuan Phuc sends a strong message to Beijing at ASEAN-36 without naming #China.
– Rules-based order
– Compliance to the Declaration of Conduct of Parties in the South China Sea (DOC)
– 1982 United Nations Convention on the Law of the Sea (#UNCLOS) https://t.co/I560FSnKy3 pic.twitter.com/WmeEYRNfsJ— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) June 26, 2020
वियतनाम का इशारा यहाँ चीन की तरफ ही था। वियतनाम को डर है कि अगर चीन की यह गुंडागर्दी यहाँ नहीं रुकती है तो RCEP हमेशा के लिए रद्द हो सकती है। भारत तो पहले ही इसमें शामिल होने से मना कर चुका है। जिस प्रकार दक्षिण चीन सागर में चीन आक्रामकता दिखा रहा है और विवाद भड़का रहा है, उससे यह क्षेत्र अस्थिर होता जा रहा है, जिससे इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में रोड़ा अटक गया है। अब ये सब देश अपने आर्थिक विकास में बाधा बनने के लिए चीन को खरी-खरी सुना रहे हैं।
बता दें कि RCEP के तहत इसके दस सदस्य देशों यानी ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपिंस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और छह एफटीए पार्टनर्स चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता प्रस्तावित था। पिछले वर्ष जब भारत ने इस डील से बाहर होने का फैसला लिया था, उसके बाद से ही कई छोटे देश भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं। हाल ही में न्यूजीलैंड की उप-व्यापार मंत्री और उप-विदेश मंत्री ने एक बयान देते हुए कहा था कि “कोविड के बाद भारत जैसे देश को भी RCEP जैसे समूह में हिस्सा लेने की ज़रूरत महसूस होगी। भारत अगर RCEP में शामिल होता है तो यह इस क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित होगा”। इसके अलावा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया भी भारत से RCEP मुद्दे पर दोबारा विचार करने का आग्रह कर चुका है। जापान तो पहले ही कह चुका है कि अगर भारत RCEP में शामिल नहीं होगा, तो जापान भी इसका हिस्सा नहीं बनेगा।
हालांकि, अब जिस प्रकार चीन ने बॉर्डर पर भारत के विरुद्ध आक्रामकता दिखाई है, उसके बाद भारत शायद ही कभी चीन के साथ मिलकर RCEP पर साइन करें। ऐसे में चीन की करतूतों से इन सब छोटे देशों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है और RCEP एक मृत प्रस्ताव बनता जा रहा है। यही कारण है कि अब ASEAN और खासकर वियतनाम के लिए चीन ही सबसे बड़ा विलेन बनकर उभरा है।