कोरोना वायरस ने दुनिया के बाकी देशों की तरह ही बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर भी बेहद नकारात्मक प्रभाव डाला है। कुछ ही महीनों पहले बांग्लादेश 16 करोड़ की जनसंख्या के साथ दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में टेक्सटाइल उद्योग बहुत तेजी से विकास कर रहा था। यह उद्योग बांग्लादेश की GDP में 12 प्रतिशत का योगदान देता है, और बांग्लादेश से होने वाले कुल एक्स्पोर्ट्स का 84 प्रतिशत हिस्सा भी टेक्सटाइल उद्योग से ही आता है। लेकिन कोरोना के बाद ये एक्स्पोर्ट्स एकदम ढह गए। बांग्लादेश की एक बड़ी working force देखते ही देखते बेरोजगार हो गयी। बस फिर क्या था, चीन तुरंत मौका देखकर बांग्लादेश को भी अपने जाल में जकड़ने के लिए पहुंच गया।
दरअसल, हाल ही में बांग्लादेश और चीन के बीच हुए करार के बाद चीन ने यह ऐलान किया है कि वह बांग्लादेश से आयात होने वाले 97 प्रतिशत सामान पर कोई इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं लगाएगा। माना जा रहा है कि इससे Bangladesh की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होगा। चीन ने बांग्लादेश को एक “least developed country यानि LDC का दर्जा दिया है, जिसके बाद बांग्लादेश को बिना किसी import duty के चीन में 5,161 वस्तुओं का निर्यात करना आसान हो जाएगा। अभी एशिया-पेसिफिक ट्रेड अग्रीमेंट के तहत Bangladesh को सिर्फ 3,095 वस्तुओं पर ही यह छूट मिलती थी।
किसी अन्य देश की तरह ही बांग्लादेश के साथ भी चीन का बहुत बड़ा व्यापार असंतुलन था। बांग्लादेश जहां चीन से 13.86 बिलियन डॉलर का सामान इम्पोर्ट करता था, तो वहीं चीन बांग्लादेश से सिर्फ 831 मिलियन डॉलर का सामान ही आयात करता था। अब Bangladesh का विचार है कि इस नए व्यापार नीति के तहत बांग्लादेश उस असंतुलन को मिटाने में सफलता पा सकेगा। हालांकि, उसके आसार अभी कम ही लग रहे हैं।
लेकिन चीन की इस दरियादिली के पीछे का बड़ा कारण कुछ और ही है। चीन जब भी किसी देश की सहायता करता है, तो उसके पीछे उसका बहुत बड़ी योजना छिपी होती है। मालदीव की सहायता कर उसने उस देश को हाईजैक कर लिया था, श्रीलंका की सहायता कर चीन ने उसके एक पोर्ट को अपने कब्जे में कर लिया, नेपाल की सहायता कर चीन ने उस देश को अपने जाल में फंसा लिया, अब बांग्लादेश के साथ चीन क्या करने वाला है? दरअसल, चीन Bangladesh में अपने BRI प्रोजेक्ट को बढ़ावा देना चाहता है, ताकि वह आसानी से अपने यूनान प्रांत को समुन्द्र से जोड़ सके, और फिर Bangladesh के माध्यम से वह अपना व्यापार कर सके।
अब भविष्य में अगर Bangladesh किसी भी कारण से चीन के BRI में कोई अडचन पैदा करेगा, तो तुरंत चीन उसके आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की धमकी जारी कर उसका मुंह बंद करा सकेगा। चीन इस डील से Bangladesh को अपने ऊपर आश्रित करना चाहता है, ताकि फिर Bangladesh चाहकर भी चीन के खिलाफ कुछ बोल ना पाये। भारत के लिए यह किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। भारत के पास अभी भी वक्त है, और वह आसानी से शेख हसीना के नेतृत्व वाले Bangladesh का विश्वास जीत सकता है। अभी Bangladesh का टेक्सटाइल सेक्टर बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। ऐसे में अगर भारत किसी भी तरीके से Bangladesh की कुछ सहायता कर सकता है, तो उसे अवश्य ऐसा करना चाहिए।