बिहार की सत्ता में वर्षों से कब्जा जमाये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना वायरस महामारी के समय में सबसे असफल मुख्यमंत्री उभर सामने आये हैं. जिस तरह से कोरोना की महामारी और उससे उपजी श्रमिकों की समस्या एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरा था अब यह बिहार के चुनाव परिणामों के समीकरण में भारी बदलाव कर सकता है। आलोचनाओं के बावजूद राज्य के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उदासीन रवैया अभी भी बना हुआ है। अब अनके इसी रूख की वजह से लोजपा और जेडीयू में खींचतान देखने को मिल रही है। चिराग पासवान ने न केवल बिहार सरकार की आलोंचना की बल्कि अब राज्य के नेतृत्व में भी बदलाव की ओर संकेत दे रहे हैं।
बिहार में नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) एक्शन मोड में आ चुकी है। दोनों ही पार्टियां चुनावी तैयारी में जुट चुकी हैं लेकिन सवाल तब उठने लगे जब जेडीयू और लोजपा दोनों ही अलग होकर तैयारी कर रही हैं। इसपर फ़िलहाल लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता ए.के. वाजपेयी ने आईएएनएस से कहा, 243 विधानसभा सीटों पर तैयारियों का मतलब यह नहीं है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। बल्कि हम तैयारी इसलिए कर रहे हैं कि एनडीए का जो भी उम्मीदवार इन सीटों पर लड़े, उसका हम सहयोग कर सकें। सीटों का बंटवारा बाद में होगा, लेकिन हम चुनाव की घोषणा होने से पहले हर सीट पर अपनी तैयारी पूरी कर लेना चाहते हैं। बूथ लेवल तक तैयारियां चल रहीं हैं। हालांकि सच क्या है ये तो आने वाले समय में पता चलेगा परन्तु अटकलों का दौर शुरू होने का कारण चिराग पासवान का नीतीश कुमार के खिलाफ सख्त रुख भी है।
दरअसल, पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि, “चेहरा कौन होगा? गठबंधन का नेता कौन होगा? यह कुछ ऐसा है जो उसके सबसे बड़े घटक भाजपा को तय करना है। भाजपा जो भी निर्णय लेगी उसमें लोजपा दृढ़ता के साथ खड़ी रहेगी। अगर वे (भाजपा) नीतीश कुमार जी के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। तब भी हम उनके साथ हैं, अगर वे बदलाव का मन बनाना चाहते हैं, तब भी साथ हैं। भाजपा जो भी फैसला लेगी, हम समर्थन करेंगे।” इस बयान के बाद माना जा रहा था कि नीतीश कुमार को एनडीए का चेहरा बनाए जाने को चिराग पासवान पसंद नहीं कर रहे हैं। इस बयान के मायने इसलिए भी तलाशे जा रहे थे कि जब भाजपा नेता अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले ही साफ कर चुके हैं कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव के मैदान में उतरेगी तो फिर चेहरा तय करने की बात चिराग क्यों कर रहे हैं।
लोजपा के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए प्रवासी संकट से निपटने के लिए किए गए उपायों को लेकर असंतोष व्यक्त किया था। कोरोना वायरस को लेकर शुरू से ही चिराग पासवान ने नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार को लेकर आड़े हाथों ले रहे हैं। राम विलास पासवान और चिराग पासवान नीतीश कुमार को निशाने पर लेने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहते, जबकि ये दोनों ही जानते हैं कि नीतीश कुमार कॉम्पिटिटर को पसंद नहीं करते, सुशील मोदी जैसे हाँ में हाँ मिलाने वाले नेता ही उनके करीब होते हैं। ऐसा लगता है कि दोनों ही नेता बिहार में नीतीश कुमार के कुशासन से बिहार की जनता को और व्यथित नहीं देख सकते वो भी राज्य के लिए पीएम मोदी जैसा गतिशील नेता चाहते हैं जो बिहार के विकास को एक नयी राह दे।
ऐसे में भाजपा को खुलकर लोकजनशक्ति पार्टी का समर्थन करने की आवश्यकता है न कि नीतीश कुमार की । यदि भाजपा पासवान के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव में उतरती है तो बिहार को न केवल एक बेहतर नेता मिलेगा बल्कि वर्षों से विकास से विमुख बिहार को नई दिशा भी मिलेगी ।