देश के चुनावी गलियारों में तापमान बढ़ चुका है। देश की लगभग सभी पार्टियां आने वाले बिहार और पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर चुकी हैं। पश्चिम बंगाल में जिस तरह का माहौल बन रहा है, उससे तो यह प्रतीत हो रहा है कि इस बार विधान सभा चुनावों में बीजेपी ममता बनर्जी का पत्ता उनके ही गढ़ से साफ करने वाली है।
केंद्र और बीजेपी के खिलाफ हमेशा आक्रामक रुख अपनाने वाली ममता बनर्जी अभी बैक फुट पर दिखाई दे रही हैं और डिफेंसिव खेल रही हैं, जो उनके व्यक्तित्व के बिल्कुल विपरीत है।
हाल ही में एक वर्चुअल रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि “कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी ने प्रवासी मजदूरों को वापस पश्चिम बंगाल लाने वाली ट्रेन को कोरॉना एक्सप्रेस कहा था और यही उनके चुनाव हारने का कारण बनेगा।”
हालांकि, उम्मीद यह थी कि ममता बनर्जी के तरफ से कोई झन्नाटेदार जवाब आएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं और मुख्यमंत्री ममता बैकफुट पर नजर आईं।
अपने व्यक्तित्व के बिल्कुल उलट जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने कोरोना एक्सप्रेस कहा ही नहीं। उन्होंने बयान दिया कि “ऐसा जनता कह रही थी। आप मेरा वास्तविक बयान देख सकते हैं मैंने कहा है कि जनता ऐसा कह रही है।”
अब ममता यहां पर डिफेंसिव क्यों हो रही हैं यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। 9 वर्ष सीएम पद का अनुभव रहते हुए भी उन्होंने कोरोना को सबसे घटिया तरीके से हैंडल किया जिससे राज्य में कोरोना के मामले खूब बढ़े और कई तो रिपोर्ट भी नहीं किए गए।
इस कारण से, जनता के बीच में ममता बनर्जी के खिलाफ माहौल बना हुआ है। हाल ही में सामने आए Times Now ORMAX Media के एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि कोलकाता के मात्र 6 प्रतिशत लोग ही ममता बनर्जी द्वारा कोरोना माहामारी के दौरान लिए गए कदमों से खुश हैं।
कोलकाता के क्षेत्र को ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है, जहां उन्होंने जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। इस क्षेत्र में 94 प्रतिशत लोगों का ममता बनर्जी के खिलाफ होना दिखाता है कि उनकी लोकप्रियता में भयंकर कमी आने वाली है। कोरोना पर खराब निर्णय और लगातार केंद्र के साथ झगड़े से ममता बनर्जी का वोट बैंक भी परेशान हो चुका है। इसके बाद अगर BJP ममता बनर्जी को उनके अपने गढ़ में मात देदे, तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।
इस फोटो में देखा जा सकता है कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र में लगभग सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, तो वहीं कांग्रेस और TMC ने पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में जीत हासिल की थी। कोलकाता भी पूरे तरीके से TMC के रंग में रंगा नज़र आता है।
परन्तु कोरोना के फैलने से ममता बनर्जी द्वारा लिए गए निर्णयों ने उनकी लोकप्रियता को पाताल लोक पहुंचा दिया है। इस कारण से इस विधान सभा चुनाव में अब उनकी हार निश्चित नजर आ रही है।
जनता, खास कर युवा ममता बनर्जी के प्रदर्शन से खुश नहीं है और वे इस बार बीजेपी को मौका देना चाहते हैं। इसका नमूना हमें लोक सभा चुनाव में ही देखने को मिला था जब बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कारण ना सिर्फ कोरोना के मामलों की अंडर रिपोर्टिंग हुई है, बल्कि पर्याप्त टेस्टिंग भी नहीं हुई है। वहीं ममता बनर्जी महामारी के बीच ही लगातार केंद्र के साथ नोक झोंक में लगी रही और बार बार अपनी अक्षमता का ठीकरा केंद्र के सिर मढ़ने के प्रयास में लगी रही। जब सबसे अधिक समन्वय की आवश्यकता थी, तब ममता बनर्जी का इस तरह से बर्ताव किसी को पसंद नहीं आया।
अपनी गलती छिपाने के लिए ममता बनर्जी ने मीडिया का मुंह भी बंद करने का प्रयास किया। हाल ही में टीएमसी के विरोध में रिपोर्ट दिखाने वाले “कोलकाता टीवी” का प्रसारण ही रोक दिया गया था।
हालांकि यह चैनल डीटीएच के प्लेटफॉर्म पर मौजूद था लेकिन लोकल केबल ऑपरेटरों पर इतना राजनीतिक दबाव बनाया गया कि उन्हें इस चैनल का प्रसारण रोकना पड़ा।
अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए उन्होंने बंगाली अस्मिता का कार्ड भी खेलने का प्रयास किया। उन्होंने कहा था कि वे भगवान से प्रार्थना करेंगी कि भगवान उन बंगालियों को भी माफ कर देना जो पश्चिम बंगाल की छवि खराब करना चाहते हैं। स्पष्ट रूप से उनका निशाना उन अधिकारियों पर था जो केंद्र या ICMR में है और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोरोना को लेकर की जा रही गड़बड़ी को सामने ला रहे थे।
अपनी छवि बचाने के लिए क्षेत्रीयता का कार्ड खेलना नेताओं की पुरानी आदत है। खास कर गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में! किसी क्षेत्र की भाषा या संस्कृति की बात करना अच्छी बात है लेकिन अगर आप उसका इस्तेमाल अपनी गलतियों और घोटालों को छिपाने के लिए कर रहे हैं तो जनता बेवकूफ नहीं है।
पश्चिम बंगाल की जनता अब ममता बनर्जी की हर चाल को समझ चुकी है और अब वे बेवकूफ नहीं बनने वाले हैं। राज्य के पश्चिमी क्षेत्र को पहले ही बीजेपी को गंवा चुकी ममता बनर्जी इस बार के चुनाव में पूर्वी क्षेत्र और कोलकाता को भी गंवा देंगी, जिससे उनकी हार तय होनी तय है।